अमरोहा का खौफनाक सच – खेत में मिला महिला का शव, गांव में पसरा सन्नाटा

उत्तर प्रदेश का अमरोहा जिला मंगलवार की सुबह उस वक्त दहल उठा, जब एक खेत से महिला का शव बरामद हुआ।
जिसने भी यह मंजर देखा, उसकी रूह कांप गई। मासूम ज़िंदगी को किस बेरहमी से मौत के हवाले कर दिया गया था, यह देखकर गांव वाले सन्न रह गए।
सुबह का भयावह मंजर
गांव के किसान सुबह की रोशनी में खेत की ओर गए थे। धूप अभी फैली ही थी कि अचानक नज़र गिरी एक शव पर। एक महिला का निर्जीव शरीर खून से लथपथ पड़ा था। उसके कपड़े अस्त-व्यस्त थे और चेहरे पर गहरी चोटों के निशान थे।
किसान घबरा गए, किसी ने गांव में खबर दी, किसी ने पुलिस को सूचना दी। कुछ ही देर में खेत के चारों ओर भीड़ उमड़ आई। हर चेहरे पर खौफ था।
कौन थी वह महिला?
जांच में पता चला कि महिला आसपास के ही गांव की रहने वाली थी। बीती रात से ही वह लापता थी। परिवार ने खोजबीन की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। और सुबह होते ही खेत से उसकी लाश मिली।
परिजनों की हालत देख गांव का माहौल और भारी हो गया। रोते-बिलखते बच्चे, गश खाती माँ, और बदहवास पति… हर किसी की आंखों में बस दर्द और सवाल थे।
हत्या या कुछ और?
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। शुरुआती अंदाज़े में मामला हत्या का लग रहा है। शरीर पर चोटों के निशान और घटनास्थल की हालत साफ संकेत दे रहे थे कि महिला के साथ क्रूरता की गई है।
जांच टीम हर एंगल से मामले को खंगाल रही है – क्या यह रंजिश थी, संपत्ति का विवाद था, या किसी गहरी साजिश का नतीजा?

गांव में दहशत
गांव के लोग सहमे हुए हैं। महिलाएं घर से बाहर निकलने से डर रही हैं। रात का सन्नाटा अब और खतरनाक लगने लगा है। हर किसी के मन में एक ही सवाल है – आखिर इस वारदात के पीछे कौन है?
परिवार का आक्रोश
महिला के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वे बार-बार यही कह रहे हैं –
“हमारी बेटी ने किसी का क्या बिगाड़ा था? आखिर क्यों उसे ऐसी मौत दी गई?”
यह सवाल न सिर्फ परिवार का है, बल्कि पूरे समाज का है।
सिस्टम और जिम्मेदारी
यह वारदात एक बार फिर पुलिस और प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है। जब तक ऐसी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक अपराधियों के हौसले बुलंद रहेंगे और मासूम ज़िंदगियां इसी तरह मिटती रहेंगी।
अमरोहा की यह घटना सिर्फ एक महिला की मौत नहीं, बल्कि समाज के लिए आईना है – जिसमें हम सबकी लापरवाही और संवेदनहीनता झलकती है। जब तक इंसाफ नहीं मिलता, तब तक इस गांव की हर सांस चीखती रहेगी।















