आर्य वीर दल के चरित्र निर्माण एवं आत्मरक्षा शिविर के छ्ठे दिन बच्चों ने खेले परम्परा खेल और सिखे तलवार चलाने के गुर।

- पाली
आर्य वीर दल पाली के चरित्र निर्माण एवं आत्मरक्षा शिविर में संचालक देवेन्द्र मेवाडा एवं हनुमान आर्य के निर्देशन में चल रहे सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में छठे दिन शुक्रवार को बच्चों की संख्या 80 से बढ़कर 150 पहुंच गई।
जैसे जैसे बच्चों की संख्या बढ़ रही है उसी अनुपात में बच्चों के अल्पाहार रास्ते के लिए भामाशाह बढ चढकर आगे आकर सहयोग कर रहे हैं । बच्चों की आयु वर्ग उनकी योग्यता और रूचि अनुसार तीन वर्ग का निर्धारण कर तीन समुह बनाकर अलग अलग प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें 12 से 18 वर्ष एक वर्ग, 8 से 12 वर्ष दुसरा वर्ग और 6 से 10 वर्ष तीसरा वर्ग बनाया गया।
हनुमान आर्य द्वारा योग सूर्य नमस्कार भुमि नमस्कार और कराटे का, भरत कुमावत द्वारा मलखंभ रस्सी मलखंभ, तलवार संचालन, भरतवीर सिंह द्वारा लाठी संचालन, भंवर गौरी योगेन्द्र देवड़ा द्वारा जिम्नास्टिक एवं रिंकू पंवार द्वारा परम्परागत खेल का प्रशिक्षण दिया गया।
प्रचार मंत्री घेवरचन्द आर्य ने बताया कि शिविर की दिनचर्या प्रातः 6:00 बजे ध्वजारोहण से आरम्भ होती है जिसमें 6:30 बजे तक सभी वर्गों के बच्चों द्वारा सामुहिक सर्वांग सुंदर व्यायाम सूर्य नमस्कार, भूमि नमस्कार किया जाता है । उसके बाद अलग अलग वर्ग अनुसार 6:30 से 7:00 तक कराटे, लाठी 7 से 8:00 बजे तक लाठी तलवार संचालन, जिमनास्टिक , 8:30 बजे तक मलखम्ब व रस्सी मलखम्ब का प्रशिक्षण दिया जाता है। 8:30 से 9:00 बजे तक सभी वर्गों को सम्मिलित कर अल्पाहार वितरण किया जाता है उसके बाद भोजन मंत्र बोलकर सब अल्पाहार ग्रहण करते हैं फिर ध्वज अवतरण के पश्चात ध्वज गान और जयघोष कर शाखा का विसर्जन किया जाता है।
कार्यक्रम में आज आर्य समाज पाली के मंत्री विजय राज आर्य ने बच्चों को ओ३म् का उच्चारण गायत्री मंत्र का उच्चारण करवाया और गायत्री मंत्र की महिमा के बारे में बताया की इससे बुद्धि तीव्र होती है एकाग्रता बढ़ती है फलत मस्तिष्क का विकास होता है याददाश्त बढ़ती है। उन्होंने कहां की स्वामी दयानंद जी महाराज के गुरु विरजानन्द प्रज्ञाचक्षु थे जिन्होंने गंगा में खड़े रहकर गायत्री मंत्र का जाप किया जिससे उनके हृदय में ने वेदों का ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्होंने यह ज्ञान दयानन्द जी महाराज को दिया, उनसे मैंने ग्रहण कर आपको बताया। अध्यक्ष दिलीप परिहार ने बच्चों को माता पिता की आज्ञा मानने सुबह शाम उनका चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेने की सिख दी उन्होंने कहा की जब तक माता पिता जिवीत है उनकी आज्ञापालन और सेवा करो यही जीवीत देवता हैं । पुखराज शर्मा और गणपत भदोरिया ने भी सम्बोधित किया।
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