“इतिहास रचता एक दानवीर परिवार: दोशी परिवार ने साधुमार्ग के भक्तों के कल्याण हेतु 1000 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक घोषणा की”

एक अभूतपूर्व उदाहरण:
धर्मप्रेमी और उद्योगपति श्री राकेश चिमनलाल दोशी एवं उनके परिवार ने आध्यात्मिकता और मानव सेवा के क्षेत्र में एक ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है, जिसकी चर्चा युगों-युगों तक होती रहेगी। उन्होंने राष्ट्रसंत, पद्म विभूषण श्री रत्नसुंदर विजयजी महाराज साहब की पावन निश्रा में साधुमार्ग के भाइयों के कल्याणार्थ 1000 करोड़ रुपये की अकल्पनीय राशि दान में देने की घोषणा की। यह घोषणा गुरु भंगवत जी के द्वारा करवाई गई।
पिता के प्रति श्रद्धा और समाज के प्रति स्नेह का अनूठा संगम:
यह महादान उन्होंने अपने पूज्य पिता श्री चिमनलाल जी के जन्मदिन के पावन अवसर पर किया, जो परिवार में पारंपरिक मूल्यों और श्रद्धा की गहरी भावना को दर्शाता है। इस राशि का उपयोग साधुमार्ग के भक्तों के लिए चिकित्सा सहायता, शैक्षिक सहायता और आर्थिक मदद जैसे कार्यों में किया जाएगा।
गुरुजनों से मिला आशीर्वाद:
मंच पर विराजमान गुरु भंगवत जी ने अपने 78 वर्षों के जीवन में इतने बड़े दान की घोषणा को अभूतपूर्व बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक दान नहीं, बल्कि भक्ति और सेवा के प्रति एक अटूट समर्पण है। प्रवचन से पूर्व जब श्री राकेश दोशी ने गुरुदेव को अपने इस संकल्प के बारे में बताया, तो यह सुनकर पूरा सभागार खुशी और उत्साह से गूंज उठा।
एक माँ का सादा परिवेश में असाधारण गौरव:
इस ऐतिहासिक पल की सबसे मार्मिक झलक तब देखने को मिली, जब दोशी परिवार की माताजी सादी साड़ी में, लेकिन गर्व और आनंाद से सराबोर, अकेली खड़ी हुईं और सभी श्रद्धालुओं द्वारा इस दानवीर परिवार की ‘खूब-खूब अनुमोदना’ (जयघोष) की गई। यह दृश्य अत्यंत ही हृदयस्पर्शी और प्रेरणादायक था। दोशी परिवार का यह कार्य केवल एक दान नहीं, बल्कि एक सामाजिक दायित्वबोध, आध्यात्मिक निष्ठा और पारिवारिक मूल्यों का जीवंत दस्तावेज है। वे आधुनिक युग के सच्चे “भामाशाह” हैं, जिन्होंने धन की शक्ति को मानवता की सेवा और धर्म के प्रसार के लिए एक पवित्र साधन के रूप में इस्तेमाल किया है। ऐसे महान परिवार को समस्त समाज का शत-शत नमन।
















