राजस्थान

केन्द्रीय गृह सचिव ने तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की समीक्षा कर एसओपी, एडवाइजरी की शत-प्रतिशत पालना के दिए निर्देश

जयपुर।  केन्द्रीय गृह सचिव गोविन्द मोहन ने मंगलवार को सचिवालय में अधिकारियों की बैठक में भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के राजस्थान में क्रियान्वयन की समीक्षा की। उन्होंने इन कानूनों की मूल भावना, एडवाइजरी, एसओपी और मैकेनिज्म की शत-प्रतिशत पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि पुलिस, कारागार, फोरेंसिक, अभियोजन, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, और चिकित्सा शिक्षा के कार्मिकों को इन कानूनों से संबंधित प्रशिक्षण तय समय में पूरा करवाया जाए। राज्य के 70 प्रतिशत पुलिस बल को यह प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

चार्जशीट दाखिल करने की समय सीमा तय

गृह सचिव ने निर्देश दिया कि पोस्को और कम अवधि की सजा वाले मामलों में 60 दिनों और जघन्य अपराधों में 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने बताया कि एफआईआर दर्ज होने से सुप्रीम कोर्ट तक केस निस्तारण की आदर्श समय सीमा तीन वर्ष तय की गई है।

ई-समन और ई-साक्ष्य पर जोर

गृह सचिव ने बताया कि नए कानून लागू होने के बाद ई-समन अनिवार्य कर दिया गया है। समन तामील में थानों की भूमिका खत्म कर दी गई है। एफआईआर दर्ज करते समय शिकायतकर्ता और गवाहों के व्हाट्सएप नंबर व ईमेल दर्ज करना जरूरी है। इसके अलावा, सीन ऑफ क्राइम, सर्च और जब्ती की वीडियोग्राफी-फोटोग्राफी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और फोरेंसिक लैब्स की प्रगति

राज्य के 1200 न्यायालयों में से 105 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पॉइंट स्थापित किए जा चुके हैं। फोरेंसिक लैब्स में खाली पदों की भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी करने और डीएनए यूनिट व साइबर फोरेंसिक खंड के निर्माण को तेज करने के निर्देश दिए गए।

ई-प्रोसेक्यूशन में राजस्थान प्रथम स्थान पर

बैठक में बताया गया कि ई-प्रोसेक्यूशन के तहत राजस्थान देशभर में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2024 में 8,82,432 डेटा एंट्री की गई।

रैंडम केस स्टडी का निर्देश

गृह सचिव ने नए कानून लागू होने के बाद निस्तारित प्रकरणों में से रैंडम 100 मामलों की अवधि और सजा दर का अध्ययन करने और इसकी तुलना पुराने कानूनों के तहत निस्तारित मामलों से करने के निर्देश दिए। बैठक में मुख्य सचिव सुधांश पंत, पुलिस महानिदेशक यू. आर. साहू, अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद कुमार, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

बैठक में उपस्थित अधिकारी

  • 1. गोविन्द मोहन – केन्द्रीय गृह सचिव
  • 2. सुधांश पंत – मुख्य सचिव
  • 3. यू. आर. साहू – पुलिस महानिदेशक
  • 4. आनंद कुमार – गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव
  • 5. संजय कुमार अग्रवाल – डीजी (इंटेलीजेंस)
  • 6. आलोक रंजन – नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक
  • 7. राजीव कुमार शर्मा – ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डवलपमेंट के डीजी
  • 8. गोविन्द गुप्ता – डीजी (जेल)
  • 9. दिनेश एम.एन. – एडीजी (क्राइम)
  • 10. गायत्री ए. राठौर – चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण की प्रमुख शासन सचिव
  • 11. ब्रजेन्द्र कुमार जैन – विधि विभाग के प्रमुख शासन सचिव
  • 12. प्रफुल्ल कुमार – पुलिस महानिरीक्षक (इंटेलीजेंस)
  • 13. शरत कविराज – स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के महानिरीक्षक
  • 14. अम्बरीश कुमार – चिकित्सा शिक्षा विभाग के शासन सचिव
  • 15. अर्चना सिंह – सूचना, प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग की शासन सचिव
  • 16. एस. ओ. जुनारे – नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के निदेशक
  • 17. रवि शर्मा – अभियोजन निदेशक
  • 18. अजय शर्मा – एफएसएल निदेशक

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