भीलवाड़ा न्यूजखास बातचीत

कैंसर से न डरें, सही उपचार और जागरूकता से संभव है इस पर विजय

  • भीलवाड़ा


मूलचंद पेसवानी
जिला संवाददाता

मूलचंद पेसवानी वरिष्ठ पत्रकार, जिला संवाददाता - शाहपुरा / भीलवाड़ा 

callwebsite

कैंसर अब पहले जैसा असाध्य रोग नहीं रहा।


जागरूकता, सही समय पर जांच और उचित उपचार से इस बीमारी को हराया जा सकता है। सबसे जरूरी है कि लोग इसके प्रति भयभीत होने के बजाय जागरूक रहें और किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। यदि समाज में कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, तो इस बीमारी से होने वाली मौतों में कमी लाई जा सकती है।

विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया। एक समय था जब कैंसर का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते थे, लेकिन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में हुए नए अनुसंधानों और तकनीकों के कारण अब इस गंभीर बीमारी का उपचार संभव हो गया है। यदि समय रहते इस रोग का पता चल जाए और सही तरीके से इलाज किया जाए, तो कैंसर पर विजय पाई जा सकती है।


भारत में कैंसर के बढ़ते मामले

भारत में प्रतिवर्ष लगभग 14 से 15 लाख लोग कैंसर से प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस संख्या में वृद्धि के दो मुख्य कारण हैं:

1. कैंसर रोग का तेजी से फैलना।  

2. बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा जांच कराना।  

पहले के समय में लोग जांच कराने से कतराते थे, लेकिन अब बढ़ती जागरूकता के कारण लोग स्वास्थ्य परीक्षण के लिए आगे आ रहे हैं। इससे कैंसर के मामलों की संख्या बढ़ती दिख रही है, लेकिन यह एक सकारात्मक संकेत भी है, क्योंकि समय रहते बीमारी का पता चलने से उपचार करना आसान हो जाता है।


कैंसर के प्रमुख कारण

कैंसर होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ नियंत्रित किए जा सकते हैं और कुछ नहीं।

आनुवंशिकता (जेनेटिक्स): यदि परिवार में पहले किसी को कैंसर हो चुका है, तो अन्य सदस्यों को भी इसका खतरा बढ़ जाता है।

जीवनशैली से जुड़े कारण: धूम्रपान, शराब, तंबाकू चबाना, असंतुलित आहार, मोटापा और प्रदूषण जैसे कारक कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।


कैंसर के प्रकार

कैंसर कई प्रकार के होते हैं, लेकिन कुछ प्रकार अधिक सामान्य हैं:

पुरुषों में: फेफड़ों का कैंसर सबसे अधिक पाया जाता है।

महिलाओं में: ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादा सामने आते हैं।

अन्य प्रकार: ब्लड कैंसर, लीवर कैंसर, पेट का कैंसर और गर्भाशय कैंसर भी आमतौर पर देखे जाते हैं।


कैंसर की जांच और उपचार

कैंसर का सफल इलाज तभी संभव है जब इसका सही समय पर पता लगाया जाए। इसके लिए आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग किया जाता है, जैसे:

– ब्लड टेस्ट: खून की जांच के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं की पहचान की जाती है।

– बायोप्सी: प्रभावित ऊतक का नमूना लेकर जांच की जाती है।

पेट स्कैन, एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन: शरीर में कैंसर की उपस्थिति को दर्शाने में सहायक होते हैं।

बोन मैरो टेस्ट: ब्लड कैंसर की जांच के लिए किया जाता है।


कैंसर के उपचार के तरीके

कैंसर के उपचार के लिए तीन प्रमुख विधियाँ अपनाई जाती हैं:

1. सर्जरी (शल्य चिकित्सा): कैंसर प्रभावित ऊतक को शारीरिक रूप से निकाल दिया जाता है।

2. रेडियोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडिएशन का उपयोग किया जाता है।

3. कीमोथेरेपी: दवाओं के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को समाप्त किया जाता है।


बचाव के उपाय

कैंसर से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बहुत जरूरी है। कुछ सावधानियाँ निम्नलिखित हैं:

  • शुद्ध और संतुलित आहार लें, जिसमें फल, सब्जियाँ और हरी पत्तेदार सब्जियाँ शामिल हों।  
  • धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों का सेवन पूरी तरह से बंद करें।  
  • नियमित रूप से योग, व्यायाम और ध्यान करें।  
  • मोटापे से बचें और शरीर के वजन को संतुलित रखें।  
  • मानसिक तनाव से बचने का प्रयास करें और सकारात्मक जीवनशैली अपनाएँ।  
  • नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण करवाते रहें।  

भीलवाड़ा में कैंसर उपचार की सुविधा

भीलवाड़ा जिले में भी कैंसर रोगियों के लिए आधुनिक उपचार की सुविधा उपलब्ध है। महात्मा गांधी राजकीय अस्पताल में प्रथम तल पर कैंसर रोगियों के लिए 10 बिस्तरों वाला वातानुकूलित वार्ड बनाया गया है। पिछले तीन वर्षों से यहाँ कीमोथेरेपी की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे मरीजों को बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती।


इम्यूनोथेरेपी: कैंसर उपचार में एक क्रांतिकारी कदम

कैंसर उपचार के पारंपरिक तरीकों जैसे कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के अलावा अब इम्यूनोथेरेपी को एक क्रांतिकारी चिकित्सा पद्धति के रूप में देखा जा रहा है। यह उपचार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करके कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने में सहायता करता है।


इम्यूनोथेरेपी के प्रकार

1. चेकपॉइंट इनहिबिटर: यह उपचार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने में मदद करता है।

2. सीएआर टी सेल थेरेपी: रोगी की टी-कोशिकाओं को आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जाता है ताकि वे कैंसर कोशिकाओं को अधिक प्रभावी ढंग से नष्ट कर सकें।

3. कैंसर वैक्सीन: यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रेरित करती हैं।

4. मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी: यह कैंसर कोशिकाओं पर हमला करते हैं या प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं।

5. साइटोकाइन थेरेपी: यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को अधिक सक्रिय बनाते हैं।


इम्यूनोथेरेपी के लाभ

  • लंबे समय तक प्रभावी परिणाम।
  • कम दुष्प्रभाव।
  • विशिष्टता (केवल कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करना)।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना।

इम्यूनोथेरेपी की चुनौतियाँ

  • हर मरीज पर प्रभावी नहीं होती।
  • महंगी चिकित्सा पद्धति।
  • कभी-कभी दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

  • कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के संयोजन पर शोध।
  • बायोमार्कर्स का विकास।
  • कम लागत वाली इम्यूनोथेरेपी तकनीकों पर अनुसंधान।

विशेषज्ञों की राय

मेट्रो हॉस्पिटल, नोएडा के डायरेक्टर एवं हेड मेडिकल ओंकोलॉजी डॉ. आर. के. चैधरी का कहना है, “इम्यूनोथेरेपी ने कैंसर उपचार में एक नई आशा की किरण जगाई है। हालांकि, अभी भी इस क्षेत्र में बहुत शोध की आवश्यकता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में यह कैंसर के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियार बन सकता है।”

मूलचन्द पेसवानी शाहपुरा

जिला संवाददाता, शाहपुरा/भीलवाड़ा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button