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झेलम नदी में अचानक आई भीषण बाढ़, पाकिस्तान ने भारत पर लगाया गंभीर आरोप, आपातकाल की घोषणा

  • इस्लामाबाद/लाहौर

पाकिस्तान के पंजाब और आज़ाद कश्मीर क्षेत्रों में बहने वाली झेलम नदी में रविवार को अचानक आई भीषण बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। बाढ़ से अब तक सैकड़ों घर जलमग्न हो गए हैं, हजारों लोग बेघर हो चुके हैं और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। हालात को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में इमरजेंसी लागू कर दी है।

चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तानी मीडिया और अधिकारियों ने इस आपदा के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया है। उनका दावा है कि भारत ने बिना पूर्व सूचना के झेलम नदी में पानी छोड़ा, जिससे अचानक बाढ़ आ गई। हालांकि भारतीय अधिकारियों ने इन आरोपों का सख्त खंडन किया है।

घटनाक्रम का पूरा विवरण

रविवार सुबह लगभग 5 बजे झेलम नदी का जलस्तर अचानक सामान्य सीमा से कई मीटर ऊपर पहुंच गया। आज़ाद कश्मीर के कोटली, मीरपुर, और झेलम जिलों में भारी तबाही मची। दर्जनों गांव पानी में डूब गए, सड़कें कट गईं और बिजली व्यवस्था ठप हो गई।

स्थानीय प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किए। सेना को भी आपदा प्रबंधन के लिए तैनात किया गया है। नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

पाकिस्तान के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार:

  • अब तक 32 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
  • 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
  • करीब 15,000 लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए हैं।

पाक मीडिया और अधिकारियों के आरोप

पाकिस्तान के प्रमुख न्यूज़ चैनलों जैसे Geo News, ARY News, और Dawn ने भारतीय प्रशासन पर आरोप लगाया कि भारत ने झेलम नदी में बिना सूचित किए भारी मात्रा में पानी छोड़ा।

पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:

“भारत ने अंतरराष्ट्रीय जल संधियों का उल्लंघन करते हुए पानी छोड़ा, जिससे हमारे देश में भारी तबाही हुई है। हमने इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने का निर्णय लिया है।”

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक से भी हस्तक्षेप की अपील की है।

भारत का पक्ष

भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। भारतीय जल आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:

“भारत ने किसी भी संधि का उल्लंघन नहीं किया है। झेलम नदी के जलस्तर में वृद्धि प्राकृतिक कारणों, विशेष रूप से भारी वर्षा के चलते हुई है। भारत ने समय पर सभी आवश्यक सूचनाएं साझा की थीं।”

विशेषज्ञों का मानना है कि इस मौसम में हिमालयी क्षेत्रों में अचानक तेज बारिश और ग्लेशियर पिघलने से नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है।

बाढ़ का प्रभाव

कृषि क्षेत्र: हजारों एकड़ खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं।

बिजली और संचार: कई इलाकों में बिजली और इंटरनेट सेवाएं बंद हो गई हैं।

स्वास्थ्य संकट: बाढ़ के पानी में प्रदूषण बढ़ने के कारण संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।

राहत शिविर: सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने राहत शिविरों की स्थापना शुरू कर दी है, लेकिन व्यवस्थाएं अपर्याप्त बताई जा रही हैं।

सरकार की कार्रवाई

पाकिस्तान सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में निम्न कदम उठाए हैं:

  • राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा।
  • सेना और रेंजर्स की तैनाती।
  • हेलीकॉप्टर और नावों द्वारा राहत-बचाव कार्य।
  • प्रभावित लोगों के लिए फ्री भोजन और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना।
  • क्षतिग्रस्त घरों और फसलों के लिए मुआवजे की घोषणा।

प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने एक उच्चस्तरीय बैठक में कहा:

“हम इस आपदा से निपटने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। देश एकजुट होकर इस मुश्किल घड़ी का सामना करेगा।”

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस जैसी संस्थाओं ने पाकिस्तान को आवश्यक सहायता प्रदान करने की पेशकश की है। भारत सहित कई देशों ने मानवीय आधार पर मदद के लिए तैयार रहने की घोषणा की है, लेकिन पाकिस्तान ने फिलहाल घरेलू संसाधनों से निपटने का निर्णय लिया है।

विशेषज्ञों की राय

पानी प्रबंधन विशेषज्ञों के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि के तहत स्पष्ट प्रावधान हैं कि नदी के प्रवाह में बदलाव की सूचना साझा करना अनिवार्य है। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण अचानक बाढ़ जैसी घटनाएं भविष्य में और बढ़ सकती हैं।

झेलम नदी में आई भीषण बाढ़ ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के जल संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है। जहाँ एक ओर पाकिस्तान भारत पर आरोप लगा रहा है, वहीं भारत मौसमीय कारणों को इसका जिम्मेदार ठहरा रहा है। इस संकट ने दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद अविश्वास की खाई को और गहरा कर दिया है।

Khushal Luniya

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