टुंडी में मनाया गया प्रकृति और पशुधन के पूजन का सोहराय पर्व
रतनपुर मुखिया ने सोहराय पर्व पर आदिवासियों के बीच सैकड़ों वस्त्रों का वितरण कर दिया मानवता का परिचय
टुंडी के गादी टुंडी बाड़ेडीह में आदिवासी समाज ने परंपरागत हर्षोल्लास के साथ सोहराय पर्व मनाया। यह पर्व खेतों में फसल उगाने में अहम भूमिका निभाने वाले पशुधन, खासकर गाय और बैल, के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। साथ ही, अच्छी फसल की कामना भी की जाती है।
पर्व की शुरुआत और आयोजन:
जनवरी के पहले सप्ताह में नहान के साथ इस पर्व की शुरुआत होती है। दूसरे दिन पशु-घर का गोहायल पूजा और तीसरे दिन बरद खुटा के साथ सामूहिक पारंपरिक नृत्य किया जाता है। पर्व का समापन मकर संक्रांति से एक दिन पहले शिकार खेल के साथ होता है।
मुखिया ने दिया आशीर्वाद और सम्मान:
रतनपुर पंचायत की मुखिया गरीबन बीबी के घर आदिवासी ग्रामीण आशीर्वाद लेने पहुंचे। मुखिया ने सोहराय की शुभकामनाएं दीं और जोग माझी व माझी हड़ाम को पगड़ी और धोती देकर सम्मानित किया। पंचायत प्रतिनिधि शहादत अंसारी और आजाद अंसारी ने विभिन्न गांवों—धोबियासिंगा, कमालपुर, रतनपुर, सिंदवारीटांड, लहरबारी, कोकरद, मारेडीह, दुर्गारायडीह और बांदोबेडा—का दौरा कर माझी हड़ाम, जोग माझी को पगड़ी और धोती तथा बुजुर्ग महिलाओं को साड़ी देकर सम्मानित किया।
गाय और बैलों की सजावट:
पर्व के दौरान आदिवासी समाज अपने घरों के साथ-साथ गाय और बैलों को भी सजाता है। मांदर की थाप पर पारंपरिक नृत्य और उत्साह का माहौल होता है। इस पर्व को अलग-अलग गांवों में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है ताकि रिश्तेदार और मित्र इसमें शामिल हो सकें।
पर्व में उपस्थित लोग:
इस अवसर पर राजेंद्र मूर्मु, संजू बास्की, किशोर बास्की, धीरेन मूर्मु, लपसा मूर्मु, शिवलाल, जोरने, मिहिलाल, शहजाद अंसारी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।