
रिपोर्ट : गौतम सुराणा कंवलियास
कंवलियास (कासोरिया रोड) – ग्राम कंवलियास में हाल ही में खुदाई के दौरान प्राप्त हुए त्रिदेव शिव मंदिर की प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन अत्यंत भव्य और दिव्य वातावरण में संपन्न हुआ। इस विशेष अवसर पर आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला, जब हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शनों के लिए उमड़ पड़े और सम्पूर्ण क्षेत्र शिवमय हो उठा।
मूर्ति प्रतिष्ठा : विधि-विधान से संपन्न हुआ आयोजन
शुभ मुहूर्त में ग्यारह विद्वान ब्राह्मणों द्वारा वेद-मंत्रों और विधिवत हवन यज्ञ के साथ भगवान शिव की मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई। लगभग 5000 से अधिक श्रद्धालुओं की साक्षी में यह धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। पूरे वातावरण में मंत्रोच्चार, धूप-दीप और आस्था की ऊर्जा का संचार हो रहा था।
भव्य कलश यात्रा बनी आकर्षण का केंद्र
प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पूर्व प्रातःकाल विजयपुर, जासोरिया और कासोरिया से भव्य कलश शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों महिलाओं ने सिर पर कलश धारण कर भाग लिया। महिलाएं नाचते-गाते हुए, भक्ति रस में लीन होकर जब मंदिर परिसर पहुँचीं, तो दृश्य अत्यंत मनोहारी हो उठा। ढोल, मंजीरों और भजन की धुनों पर युवा वर्ग भी झूमता नजर आया।
श्रद्धालुओं की भीड़ और जयकारों से गूंजा वातावरण
मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। भगवान शिव की एक झलक पाने के लिए लोग घंटों तक कतार में खड़े रहे। पूरा माहौल “हर हर महादेव” और “बोल बम” जैसे जयकारों से गुंजायमान रहा, जिससे भक्तिभाव की अनुभूति सहज ही हो रही थी।
सेवा और आयोजन में युवाओं की अहम भूमिका
प्रतिष्ठा समारोह के पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस आयोजन को सफल बनाने में कंवलियास नवयुवक मंडल, स्थानीय महिलाओं, बालिकाओं और युवा कार्यकर्ताओं की सहभागिता उल्लेखनीय रही। दुर्गा शक्ति अखाड़ा की बालिकाओं ने भी पूरे आयोजन में अनुशासन और सेवा की मिसाल पेश की।
आयोजन समिति का आभार
समस्त आयोजन समिति ने इस ऐतिहासिक धार्मिक महोत्सव को सफल बनाने में सहयोग देने वाले ग्रामवासियों, युवाओं, महिलाओं और बाहर से पधारे सभी श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने बताया कि यह आयोजन सैकड़ों गांवों के श्रद्धालुओं को एक मंच पर लाने का माध्यम बना और सामाजिक-धार्मिक समरसता का परिचायक रहा। त्रिदेव शिव मंदिर की यह प्रतिष्ठा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धा, एकता और सामाजिक समर्पण की एक मिसाल बन गई। यह दिन ग्राम कंवलियास के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।