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दस्तावेजों पर मां का नाम अनिवार्य करने के महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के महाफैसले का कैट ने किया स्वागत

नारी सशक्तिकरण और देश को आर्थिक महासत्ता बनाने पर मिलेगा बल : शंकर ठक्कर

  • मुम्बई/ललित दवे

कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने आदर्श आचार संहिता लागू होने से पूर्व हुई महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने दों दिनों में ही कई फैसले जारी किए हैं। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सोमवार को 33 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी जिनमें मंत्रिमंडल ने राज्य सरकार के सभी दस्तावेजों में माताओं के नाम शामिल करने से जुड़े महिला एवं बाल विकास के एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। विभाग ने पहले कहा था कि इस फैसले को माताओं को अधिक मान्यता देने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि सरकारी दस्तावेजों में पारंपरिक रूप से पिता का नाम होता है। मंत्रिमंडल के इस फैसले के तहत अब सरकारी दस्तावेजों पर किसी व्यक्ति के नाम के बाद उसकी मां का नाम, फिर पिता का नाम और फिर जाति का नाम होगा। 1 मई 2024 को या फिर उसके बाद जन्मे सभी बच्चों के नाम का पंजीयन सबसे पहले बच्चे का नाम, फिर मां का नाम, फिर पिता का नामऔर फिर जाति का नाम क्रम में लिखना अनिवार्य होगा। यह एक ऐतिहासिक निर्णय है और हम इसका स्वागत करते हैं।

सरकारी कागजात, जमीन-जायदाद संबंधी कागजात, वेतन प्रमाणपत्र, सेवापुस्तक, विविध परीक्षाओं के आवेदन पत्र में अब इसी तरह किसी व्यक्ति का नाम लिखा जाना अनिवार्य होगा। सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग जन्म-मृत्यु रजिस्टर में आवश्यक संशोधन कर इसे दर्ज करने के लिए केंद्र सरकार से विचार-विमर्श कर। इस बारे में केंद्र सरकार से आदेश मिलने के बाद जन्म-मृत्यु रजिस्टर में बच्चे का नाम, मा का नाम, पिता का नाम और फिर जाति का नाम दर्ज करने को मान्यता दी गई है।

विवाहित स्त्रियों के बारे में फिलहाल मौजूदा व्यवस्था को यानी विवाहिता के नाम के बाद उसके पति का नाम और फिर जाति का नाम दर्ज करने की प्रक्रिया जारी रखी गई है। वहीं विवाहिता को जमीन-जायदाद के दस्तावेज में विवाह से पहले का नाम दर्ज करने के प्रावधान को मान्यता दी गई है।

शंकर ठक्कर ने आगे कहा हमारे हिंदू संस्कृति और परंपराओं में स्त्री को उच्च स्थान दिया गया है और शक्ति का प्रतीक माना गया है ऐसे में यह फैसला नारी सशक्तिकरण की दिशा में अहम फैसला है इससे हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जा रही स्त्री पुरुष सामान की मुहिम को भी बल मिलेगा । देश के सभी प्रांतों में भी इसे लागू किया जाना चाहिए हम कैट और से केंद्र सरकार से भी इसे लागू किए जाने की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए विनती करेंगे।
हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष नारी सशक्तिकरण की दिशा में कहते हैं कि जब तक देश का 50% मानव संसाधन घर में रहेगा तब तक हमारी अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे आगे बढ़ाने में दिक्कत होगी इसलिए खासकर व्यापारियों को घर की महिलाओं को अपने व्यापार के साथ जोड़ना और अकाउंट और अन्य चीजों की जिम्मेवारी उन्हें सोपने से व्यापारी का बोझ कम होता है और घर की स्त्री को व्यापार के बारे में पूरी जानकारी भी रहती है। ऐसे ऐतिहासिक निर्णय के लिए हम महाराष्ट्र सरकार का तहे दिल से व्यक्त करते हैं।

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