निकटवर्ती केरला गांव में तीन सौ नव विवाहित सुहागिनों और बेटीयों ने किया समुद्र मंथन
- पाली
घेवरचन्द आर्य पाली
पाली निकटवर्ती केरला गांव में गांव की 36 कौम की लगभग तीन सौ विवाहित सुहागिनों और बेटीयों ने गांव के तालाब में भाई के साथ समुद्र मंथन किया।
सुहागिनों के भाईयों ने चुनड़ी ओढ़ाकर आर्शीवाद दिया। देश की आजादी के बाद यह दूसरा या तीसरा अवसर ही होगा जब 40 वर्ष पश्चात विवाहित महिलाओं और बेटीयों ने गांव के तालाब पूजन के रुप में समुद्र मंथन कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। सनातन धर्म की संस्कृति को जारी रखते हुए गांव के 36 कौम की लगभग 300 सुहागिन महिलाए ठाकुर जी के मंदिर से गांव के तालाब पर पहुंची।
जहां गांव के पंडित दिनदयाल व्यास द्वारा मंत्रोच्चारण और विधि विधान से तालाब पूजन करवाया गया । फिर गांव की विवाहिता महिलाओं और बेटीयों ने अपने भाई के साथ तालाब में कलश से समुद्र मंथन की रस्म निभाई।
गांव के वरिष्ठ नागरिक घेवरचन्द आर्य ने बताया कि चार दशक से भी अधिक समय बाद हुए समुद्र मंथन कार्यक्रम के प्रति गांव वालों और गांव की महिलाओं और बेटीयों में खासा उत्साह देखने को मिला। समुद्र मंथन में सम्मिलित हुई 36 कौम के सीरवी, सुथार, दर्जी, गोस्वामी, रावणा राजपूत, सैन्, वैष्णव, देवासी, मीणा, मेघवाल, मोची, वादी, इत्यादि जाति समाज की पारम्परिक रंग बिरंगी वेशभूषा व आभूषणों से सजी-धजी महिलाओं ने अनूठे एवं आकर्षण अन्दाज में परिवार जनों व रिश्तेदारों के साथ मांगलिक गीत गाते हुए गांव से तालाब कि और प्रस्थान किया । देखते ही देखते धीरे-धीरे तालाब पर बहुतायत संख्या ने मेले का रुप ले लिया। प्रशासन की और से पुलिस जाप्ता तैनात रहा।
कार्यक्रम में गांव के नव युवको का सहयोग रहा जिन्होंने एक माह पहले घर घर जाकर समुद्र मंथन करने वालों की लिस्ट बनाकर व्यवस्था कायम की।