पीएम श्री बालिका विद्यालय सादड़ी में मराठी भाषा समर कैंप: बालिकाएं सीख रही हैं मराठी शिशु गीत, संवाद और संभाषण

- सादड़ी
पीएम श्री धनराज बदामिया राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, सादड़ी में 10 जून से प्रारंभ हुए सात दिवसीय भारतीय भाषा समर कैंप में बालिकाएं उत्साहपूर्वक मराठी भाषा सीख रही हैं। यह शिविर एनसीईआरटी के दिशा-निर्देशों के तहत देशभर के सरकारी विद्यालयों में संचालित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य हिंदी और संस्कृत के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं से छात्रों को परिचित कराना है।
मराठी भाषा सीखने की अभिनव पहल
समर कैंप की प्रभारी वरिष्ठ शारीरिक शिक्षिका सरस्वती पालीवाल ने जानकारी दी कि शिविर में फ्लैश कार्ड्स, संवाद अभ्यास, रोल-प्ले जैसी शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से बालिकाओं को मराठी भाषा के शब्द, वाक्य तथा बोलचाल की शैली सिखाई जा रही है। इसके साथ ही बालिकाएं मराठी शिशु गीतों का गायन कर रही हैं जिससे सीखने की प्रक्रिया और अधिक आनंददायक बन रही है।
संवाद कौशल पर विशेष ध्यान
शिविर में छात्राओं के बीच मराठी में परस्पर संवाद और संभाषण का अभ्यास करवाया जा रहा है। शिक्षिकाएं चार्ट व अन्य टीएलएम (Teaching-Learning Materials) तैयार करवा रही हैं ताकि बालिकाओं को दृश्य माध्यम से भी भाषा सिखाई जा सके।
प्रधानाचार्य द्वारा मार्गदर्शन
कैंप के तीसरे दिन विद्यालय के प्रधानाचार्य विजय सिंह माली ने शिविर का अवलोकन किया। उन्होंने बालिकाओं को मराठी भाषा के इतिहास, उसकी विशेषताओं तथा भारत की भाषाई विविधता में मराठी के योगदान के बारे में बताया। उन्होंने छात्राओं के साथ मिलकर प्रसिद्ध मराठी शिशु गीत “येरे येरे पावसा” तथा “चांदोबा चांदोबा भागलास का?” का अभ्यास भी करवाया। साथ ही बालिकाओं की जिज्ञासाओं का समाधान कर उन्हें प्रोत्साहित किया।
विशेष अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर शिक्षिकाएं सुशीला सोनी, संजय कुमार, गजेन्द्र सिंह एवं पुरुषोत्तम लाल भी मौजूद रहे और उन्होंने शिविर की गतिविधियों की सराहना की।
समापन और सम्मान समारोह
शिविर का समापन 17 जून को किया जाएगा। समापन समारोह में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को पारितोषिक देकर सम्मानित किया जाएगा तथा सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे।
यह समर कैंप न केवल एक नई भाषा सीखने का अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि बालिकाओं में आत्मविश्वास, सांस्कृतिक समझ और भाषाई कौशल को भी विकसित कर रहा है। मराठी जैसी समृद्ध भारतीय भाषा को जानने और समझने की यह पहल बहुभाषी भारत के दृष्टिकोण से एक सराहनीय प्रयास है।
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