प्रकृति के साथ प्रगति हमारा मूल मंत्र बने, विश्व वानिकी दिवस पर विशेष आलेख

प्रतिवर्ष 21मार्च को विश्व वानिकी दिवस का आयोजन हरियाली के महत्व को रेखांकित करने के लिए किया जाता है ताकि जनसाधारण में पौधारोपण तथा उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता आ सके। “माता भूमि पुत्रोहं पृथिव्या अर्थात पृथ्वी मेरी मां है और मैं इसकी संतान हूं।” की मान्यता रखने वाली
भारतीय संस्कृति में वृक्षों में देवत्व की अवधारणा और उसकी पूजा की परंपरा प्राचीन काल से रही है। भारतीय साहित्य, चित्रकला और वास्तुकला में वृक्ष पूजा के अनेक प्रसंग मिलते हैं। जीवन के अस्तित्व के लिए हरियाली आवश्यक है। पृथ्वी पर जीवन को बनाएं रखने में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पौधारोपण वस्तुत: भविष्यों के लिए खुशियों का रोपण है। हमारा सतत प्रयास होना चाहिए कि जहां भी पौधे लगाए जाएं वे पेड़ बने। पौधों के पेड़ बनने की इस यात्रा में सबसे बड़ी आवश्यकता है इन वृक्षों की सुरक्षा और संरक्षण की। हमने प्रकृति संग सह अस्तित्व के साथ जीने की अवधारणा को श्रृंखला को तोड़ा है जिसके कारण पर्यावरण असंतुलन के साथ ही अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही है। 1971 में कृषि व खाद्य संगठन ने इसे मनाना शुरू किया। 2011-20 को अंतरराष्ट्रीय वन दशक घोषित किया। 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21मार्च को विश्व वानिकी दिवस मनाने का निर्णय लिया। विश्व वानिकी दिवस वन और प्रकृति के प्रति हमारे कर्तव्य का बोध कराता है।
विश्व वानिकी दिवस
स्वच्छ हवा, पानी, भोजन, संसाधन प्रदान करके हमारे दैनिक जीवन में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है। वनों को लाभ पहुंचाने वाली प्रथाओं को जैसे कागज की खपत को कम करना, स्थायी रुप से प्राप्त लकड़ी के उत्पादों को चुनना, संरक्षण प्रयासों का प्रोत्साहित करता है। यह दिन प्रकृति के साथ हमारे अंतर्संबंध की याद दिलाता है और हमें जंगलों की सुंदरता और पारिस्थितिक मूल्यों की सराहना करने के लिए प्रोत्साहित करता है। वनों का जश्न मनाने में समुदायों को एक साथ आने, वृक्षारोपण कार्यक्रम में भाग लेने , सरकारी एजेंसियों, एनजीओ, स्थानीय समुदायों को वनसंरक्षण प्रबंधन पहल पर सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है। बच्चों व वयस्कों को जंगलों के महत्व, उनके सामने आने वाले खतरों के बारे में शिक्षित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
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यह दिवस पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं पर प्रकाश डालता है जैसे जल वायु को विनियमित करना, हवा पानी को फिल्टर करना, मिट्टी के कटाव को रोकना।यह दिन वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता हानि और भूमि क्षरण से निपटने में वनों की भूमिका पर जोर देता है। यह दिन सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वनों की सुरक्षा की वकालत करता है। प्रगति के मार्ग पर प्रकृति को पीछे छोड़ने से गंभीर परिणाम विश्व भुगत रहा है। यदि अब भी हमने अपनी भूल का सुधार नहीं किया तो यह धरती आने वाली पीढ़ी के लायक नहीं बचेगी। यह हमारा सामूहिक दायित्व है कि हम धरती के श्रृंगार वनों का संरक्षण करें, पौधारोपण करें तथा अपनी वसुधा को रहने के लायक बनाएं।इसी में विश्व वानिकी दिवस के आयोजन की सार्थकता है।
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