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प्रकृति प्रेमी अनोप भाम्बु -हरियाली के सजग प्रहरी, सैकड़ों पेड़ लगा चुके हैं

मूलचंद पेसवानी
जिला संवाददाता

मूलचंद पेसवानी वरिष्ठ पत्रकार, जिला संवाददाता - शाहपुरा / भीलवाड़ा 

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आज जब देशभर में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है और प्राकृतिक संसाधन लगातार समाप्त होते जा रहे हैं, ऐसे समय में राजस्थान के जोधपुर जिले के रहने वाले अनोप भाम्बु एक मिसाल बनकर सामने आए हैं।

  • अनोप भाम्बु का प्रकृति प्रेम इतना गहरा है कि जहां भी उन्हें थोड़ी सी जगह दिखती है, वहां पौधारोपण कर देते हैं। स्कूल, कॉलेज, पार्क, गांव, मंदिर या किसी सार्वजनिक स्थल पर उन्होंने अब तक सैकड़ों पौधे लगाए हैं और उनका संरक्षण भी सुनिश्चित कर रहे हैं।

अनोप भाम्बु का मानना है कि पेड़-पौधे हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। यदि इनकी सुरक्षा नहीं की गई तो आने वाली पीढ़ियों को सांस लेने के लिए भी शुद्ध हवा मयस्सर नहीं होगी। वे कहते हैं, ष्आज पर्यावरण संकट एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। ऐसे में हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम पेड़-पौधों को अपना मित्र समझें और उन्हें बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करें।

प्रकृति से लगाव की कहानी

अनोप भाम्बु मूल रूप से जोधपुर जिले के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। किसान परिवार में पले-बढ़े अनोप भाम्बु का बचपन से ही प्रकृति से गहरा लगाव रहा। खेतों की हरियाली और पेड़ों के बीच बचपन बिताने के कारण उनके मन में पौधों के प्रति विशेष प्रेम विकसित हुआ। मेट्रिक तक पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपना समय पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में समर्पित कर दिया।
भाम्बु बताते हैं कि वे जहां भी जाते हैं, पौधों को साथ ले जाते हैं। चाहे वे मेहमान बनकर किसी के घर गए हों या किसी समारोह में शामिल हुए हों, वे हमेशा पौधों को उपहार स्वरूप देते हैं और उन्हें लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने बताया, ष्पौधे लगाने के साथ-साथ मैं उनकी देखभाल के लिए भी जिम्मेदारी तय करता हूं। इसके लिए श्पेड़ मित्रश् बनाकर पौधों के संरक्षण की व्यवस्था की जाती है।ष्

पद्मश्री हिमताराम भाम्बु और श्याम सुंदर ज्याणी से मिली प्रेरणा

अनोप भाम्बु अपने कार्यों के लिए पद्मश्री हिमताराम भाम्बु और पर्यावरणविद् श्याम सुंदर ज्याणी को अपनी प्रेरणा मानते हैं। उनका कहना है कि इन दोनों महान पर्यावरण प्रेमियों की प्रेरणा से ही उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करना शुरू किया। भाम्बु कहते हैं, ष्जब मैं इन दोनों व्यक्तित्वों के कार्यों को देखता हूं, तो मुझे नई ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है। यह मेरे लिए एक मार्गदर्शन है, जिसे मैं आगे बढ़ा रहा हूं।ष्

शहरों और गांवों में सैकड़ों पौधों का रोपण—

अनोप भाम्बु ने अपने प्रयासों से जोधपुर जिले के कई गांवों, स्कूलों, कॉलेजों और मंदिरों में सैकड़ों पेड़ लगाए हैं। उन्होंने बताया कि आज वे पौधे बड़े होकर छायादार वृक्ष बन गए हैं। उन्हें इन पौधों को बड़ा होते देख बेहद खुशी होती है। भाम्बु ने बताया, पौधारोपण एक छोटी सी शुरुआत है, लेकिन यह बड़े बदलाव की नींव रखता है। हमें सिर्फ पौधे लगाने पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि उनकी देखभाल भी करनी चाहिए, ताकि वे जीवित रह सकें।

श्ग्रो ग्रीनश् के प्रति समाज को किया जागरूक

अनोप भाम्बु का मानना है कि केवल गमले में पौधा लगाना पर्यावरण संरक्षण का हल नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें स्थानीय जलवायु और वनस्पतियों को ध्यान में रखते हुए पौधारोपण करना चाहिए। उनका मानना है कि यदि सही स्थान पर सही पौधों का रोपण किया जाए, तो इसका फायदा स्थानीय पशु-पक्षियों और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को होगा। उन्होंने कहा, आजकल लोग पौधारोपण को फैशन की तरह लेते हैं। विश्व पर्यावरण दिवस जैसे आयोजनों पर फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर डालने से पर्यावरण नहीं बचेगा। हमें यह समझना होगा कि पौधों की देखभाल भी हमारी जिम्मेदारी है।

सरकार से की अपील

अनोप भाम्बु ने सरकार से अपील की है कि पौधारोपण अभियानों को केवल रिकॉर्ड बनाने के लिए नहीं, बल्कि धरातल पर हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पौधारोपण के बाद उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी स्पष्ट रूप से तय होनी चाहिए। उन्होंने कहा, सरकार और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लगाए गए पौधों की सुरक्षा की जाए। इसके लिए स्थानीय लोगों और संस्थानों को जिम्मेदारी दी जाए, ताकि पौधे जीवित रह सकें।ष्

औद्योगिकीकरण के चलते हो रही जंगलों की कटाई पर चिंता

अनोप भाम्बु ने औद्योगिकीकरण के नाम पर जंगलों की हो रही कटाई पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सोलर पावर प्लांट और अन्य परियोजनाओं के लिए सघन वन क्षेत्रों की बलि चढ़ाई जा रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि इन परियोजनाओं को खाली और बंजर भूमि पर स्थापित किया जाए, ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। भाम्बु ने कहा, वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई से करोड़ों पक्षियों और वन्यजीवों का बसेरा समाप्त हो जाएगा। इससे पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर असर पड़ेगा। हमें विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखना होगा।

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समाज को दिया संदेशरू छोटे-छोटे बदलाव लाएं

अनोप भाम्बु ने लोगों से अपील की है कि वे अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दें। उन्होंने कहा कि पानी और ऊर्जा की बचत, प्लास्टिक का कम उपयोग और अधिक से अधिक पेड़ लगाना ऐसे कदम हैं, जो पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ रख सकते हैं। उनका संदेश है, पेड़-पौधे हमारे परिवार के सदस्य हैं। यदि हम उन्हें इस रूप में अपनाएंगे, तो हमारी आने वाली पीढ़ियों को एक हरा-भरा भविष्य मिलेगा।

अनोप भाम्बु की अनूठी पहल

अनोप भाम्बु की यह अनूठी पहल पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक है। उनके द्वारा लगाए गए सैकड़ों पौधे न केवल पर्यावरण को स्वच्छ बना रहे हैं, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी फैला रहे हैं। उनकी सोच और कार्यशैली बताती है कि यदि हर व्यक्ति अपने स्तर पर छोटे-छोटे प्रयास करे, तो बड़े बदलाव की शुरुआत की जा सकती है।

हरियाली से प्रेम करो, पर्यावरण बचाओ- अनोप भाम्बु का यह संदेश आने वाले समय में एक नई जागरूकता और हरियाली की अलख जगाने वाला है।

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