बनगवाँ में सरकारी ज़मीन पर अवैध मंडी, विभाग मौन

लखीमपुर खीरी | संवाददाता : विश्वजीत (गगन मिश्रा)
इंडो-नेपाल बॉर्डर से सटे ग्राम बनगवाँ में सरकारी कृषि भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध मंडी खड़ी कर दी गई है। गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट को दरकिनार करते हुए बिना किसी वैध स्वीकृति, बैनामा या दाखिल-खारिज प्रक्रिया के, केवल स्टांप पेपर पर हुए एग्रीमेंट के आधार पर करीब 200 से अधिक दुकानों की बस्ती बस चुकी है।
राजस्व को भारी चूना
यह तथाकथित मंडी अब धनकुबेरों का अड्डा बन चुकी है। सूत्रों के अनुसार, यहां कारोबार करने वाले अधिकांश व्यापारियों के पास न तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन है और न ही कोई वैध लाइसेंस। इसके बावजूद रोज़ाना लाखों रुपये का व्यापार खुलेआम हो रहा है। नतीजतन, सरकार को भारी राजस्व हानि उठानी पड़ रही है, जबकि संबंधित विभाग और अधिकारी मौन साधे बैठे हैं।
- उठते सवाल
- सरकारी कृषि भूमि पर अवैध निर्माण की अनुमति किसने दी?
- बिना जीएसटी और लाइसेंस के कारोबार कैसे संचालित हो रहा है?
क्या विभागीय मिलीभगत के बिना यह संभव है?
कानून क्या कहता है?
कानून के अनुसार, सरकारी कृषि भूमि पर न तो निर्माण किया जा सकता है और न ही व्यापारिक गतिविधि संचालित की जा सकती है। लेकिन नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर बनगवाँ की यह मंडी चल रही है।
जनता की आवाज़
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अवैध मंडी से न केवल सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि क्षेत्रीय बाजार व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। छोटे व्यापारी और कर अदा करने वाले कारोबारी सीधी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं।
बड़ा सवाल
भारत पूछता है –
“आखिर कब टूटेगा यह अवैध कब्ज़े और राजस्व चोरी का खेल? क्या प्रशासन इस पर सख़्त कार्रवाई करेगा या फिर यह खेल यूं ही चलता रहेगा?”











