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बुलेट ट्रेन की खुशखबरी! 7 जिलों को फायदा, जोधपुर को तगड़ा झटका, 657KM में 9 धमाकेदार स्टेशन

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Khushal Luniya
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राजस्थान में प्रस्तावित 657 किमी का बुलेट ट्रेन कॉरिडोर


भारत में बुलेट ट्रेन परियोजनाएँ तेजी से आकार ले रही हैं। देश का पहला हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर मुंबई–अहमदाबाद (508 किमी) पहले ही निर्माणाधीन है और इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक विस्तार की योजना है। प्रस्तावित दिल्ली–अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की कुल लंबाई लगभग 878 किलोमीटर है और इसके 75% हिस्से (यानी करीब 657 किमी) पर मार्ग राजस्थान से होकर गुजरेगा। यह प्रस्तावित रूट दिल्ली (द्वारका सेक्टर-21) से शुरू होकर गुड़गांव और अलवर होते हुए जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर व डूंगरपुर तक जाएगा। इस मार्ग पर ट्रेन की रफ़्तार लगभग 350 किमी/घंटा होगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया है कि इस हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर का विस्तृत परियोजना विवरण (डीपीआर) तैयार हो चुका है।

इस हाई-स्पीड कॉरिडोर के माध्यम से राजस्थान का सपना हकीकत बनने जा रहा है। रेल अधिकारियों के अनुसार ट्रैक अधिकांशतः वायुमंडल में उच्च स्तंभों पर तैयार होगा और मार्ग पर कई नदी-बाँधों को पार किया जाएगा। प्रस्तावित ट्रैक दिल्ली से द्वारका एक्सप्रेसवे के माध्यम से गुड़गांव (चौमा) से गुजरकर दिल्ली–जयपुर रेल मार्ग के समीप पहुंचेगा, फिर केएमपी एक्सप्रेसवे पार करके राष्ट्रीय राजमार्ग 48 के समांतर अलवर के शाहजहांपुर सीमा से राजस्थान में प्रवेश करेगा। इसके बाद यह जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर और डूंगरपुर होते हुए गुजरात के अहमदाबाद से जुड़ जाएगा। मार्ग में उदयपुर ज़िले में 127 किमी का हिस्सा शामिल है, जिसमें पांच नदियों के ऊपर पुल और आठ सुरंगें बनाई जाएंगी। कुल मिलाकर मुंबई–अहमदाबाद प्रथम कॉरिडोर और दिल्ली-अहमदाबाद द्वितीय कॉरिडोर के संयोजन से देश के दो प्रमुख शहर आपस में हाई-स्पीड रेल से जुड़ेंगे।

विस्तृत मार्ग और संरेखण

दिल्ली (द्वारका सेक्टर-21)–गुड़गांव (चौमा)–अलवर शाहजहांपुर: बुलेट ट्रेन मार्ग की शुरुआत दिल्ली के द्वारका सेक्टर-21 से होगी। इसके बाद यह गुड़गांव के चौमा इलाके से गुज़र कर द्वारका एक्सप्रेसवे के किनारे रैमप्रस्था सिटी तक जाएगी, फिर राष्ट्रीय राजमार्ग-48 के साथ चलती हुई अलवर (बहरोड़) के शाहजहांपुर सीमा-क्षेत्र तक पहुंचेगी।

अलवर (बहरोड़)–जयपुर: अलवर के शाहजहांपुर से राजस्थान में प्रवेश करके ट्रेन जयपुर की ओर बढ़ेगी। अलवर जिले के बहरोड़ इलाके में एक स्टेशन प्रस्तावित है, जो दिल्ली-मुंबई राजमार्ग और पनवेल-नाशिक मार्गों के बीच औद्योगिक हब के रूप में उभर रहा है।

जयपुर–अजमेर: जयपुर (राजस्थान की राजधानी) से बुलेट ट्रेन अजमेर की ओर बढ़ेगी। जयपुर शहर में एक मुख्य स्टेशन बनेगा, जिससे राज्य के सबसे बड़े शहर को नई तेज़ कनेक्टिविटी मिलेगी। जयपुर से आगे ट्रेन अजमेर जिले के किशनगढ़ और अजमेर शहर से गुज़रती हुई आगे बढ़ेगी (अजमेर में स्टेशन का प्रस्ताव है)।

अजमेर–भीलवाड़ा: अजमेर से आगे भीलवाड़ा जिले के आसपास ट्रैक जाएगा। अजमेर के बाद ट्रेन की रूट किशनगढ़ होते हुए भीलवाड़ा पहुँचेगी। भीलवाड़ा में भीलवाड़ा स्टेशन प्रस्तावित है। भीलवाड़ा को प्राचीन काल में कपड़ा उद्योग का केंद्र माना जाता है और यहाँ औद्योगिक क्षेत्र विकसित है।

भीलवाड़ा–चित्तौड़गढ़: भीलवाड़ा के बाद ट्रैक चित्तौड़गढ़ की ओर बढ़ेगा, जहाँ चित्तौड़गढ़ शहर में एक स्टेशन रहेगा। चित्तौड़गढ़ अपना ऐतिहासिक दुर्ग (चित्तौड़गढ़ किला) और पर्यटन के लिए जाना जाता है।

चित्तौड़गढ़–विजयनगर: चित्तौड़गढ़ से आगे ट्रेन विजयनगर के निकट से गुजरेगी, जहाँ नज़दीक चित्तौड़गढ़ जिले का विजयनगर इलाका है (विजयनगर में स्टेशन प्रस्तावित है)। विजयनगर के पास बड़ा एनटीपीसी तापविद्युत संयंत्र है, इसलिए यह रूट लॉजिस्टिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता है।

विजयनगर–उदयपुर: विजयनगर के बाद बुलेट ट्रेन उदयपुर की ओर जाती है और उदयपुर में स्टेशन बनेगा। उदयपुर “झीलों का शहर” है और पर्यटन का प्रमुख केंद्र है। प्रस्तावित मार्ग उदयपुर से गुजरने के बाद गुजरात की सीमा पार करेगा।

उदयपुर (नावा): उदयपुर स्टेशन के बाद मार्ग नवा (नागौर) के समीप सांभर झील की ओर भी जाएगा, जहां पूर्व में बुलेट ट्रेन के टेस्ट ट्रैक का निर्माण किया जा रहा है। नवा स्टेशन के बाद ट्रैक पश्चिम दिशा में डूंगरपुर की ओर बढ़ेगा।

डूंगरपुर: डूंगरपुर (खेरवाड़ा) में भी एक स्टेशन प्रस्तावित है। डूंगरपुर पहाड़ी और वन क्षेत्र है, जिस पर बुलेट ट्रेन के बनने से स्थानीय विकास को गति मिलेगी।

गुजरात में प्रवेश: राजस्थान से होकर गुजरने के बाद यह मार्ग हिमतनगर (गुजरात) होते हुए अहमदाबाद से जुड़ जाएगा। (यहाँ अहमदाबाद और गांधीनगर में भी स्टेशन होंगे।

इन स्टेशनों पर निर्माण के साथ ही इन शहरों और आसपास के क्षेत्र का कनेक्टिविटी नेटवर्क पूरी तरह बदल जाएगा, क्योंकि जहां अब 10-15 घंटे की दूरी तय होती है, वहीं बुलेट ट्रेन से तीन-चार घंटे में सफर संभव हो सकेगा।

657 किलोमीटर मार्ग पर नौ स्टेशन

पूरा 878 किमी रूट 15 स्टेशनों का है, जिसमें से 11 स्टेशनों का प्रस्तावित होना है (7 राजस्थान में)। राजस्थान के 657 किमी हिस्से में निम्नलिखित 9 स्टेशनों की योजना है:

बहरोड़ (अलवर ज़िला): अलवर जिले के बहरोड़ इलाके में प्रस्तावित स्टेशन। यह दिल्ली–जयपुर राजमार्ग (NH-48) के किनारे है और दिल्ली-गुड़गांव क्षेत्र से जुड़ता है।

शाहजहांपुर: राजस्थान-हरियाणा सीमा पर स्थित शाहजहांपुर टोल प्लाज़ा के निकट नया स्टेशन प्रस्तावित है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्गों का जंक्शन है, इसलिए यहां से पटरी पर आने से जमीन के भूखंड की क़ीमत बढ़ने की उम्मीद है।

जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर में मुख्य स्टेशन। जयपुर ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है; बुलेट ट्रेन से यहाँ का औद्योगिक और व्यवसायिक विकास और तेज़ होगा।

अजमेर: अजमेर में स्टेशन प्रस्तावित है। अजमेर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का मशहूर दरगाह स्थल है और यहां धार्मिक पर्यटन जोरों पर है। बुलेट ट्रेन आने से अजमेर-संचलित तमाम व्यावसायिक गतिविधियाँ और शिक्षा संस्थान लाभान्वित होंगे।

विजयनगर (चित्तौड़गढ़ ज़िला): चित्तौड़गढ़ जिले के विजयनगर क्षेत्र में प्रस्तावित स्टेशन। विजयनगर एनटीपीसी विद्युत संयंत्र के लिए जाना जाता है; यहां स्टेशन बनने से औद्योगिक क्षेत्र तथा आसपास के ग्रामीण इलाकों को फायदा मिलेगा।

भिलवाड़ा: भीलवाड़ा जिले में स्थित स्टेशन। भीलवाड़ा को कभी-कभी “मैल सेक्टर” भी कहा जाता है; यहां कपड़ा उद्योग बहुत विकसित है। बुलेट ट्रेन से कुशल श्रमिकों और माल परिवहन में तेजी आएगी, जिससे कपड़ा और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

चित्तौड़गढ़: चित्तौड़गढ़ के ऐतिहासिक दुर्ग के पास स्टेशन। चित्तौड़गढ़ महल और किला पर्यटन की दृष्टि से विश्वप्रसिद्ध हैं। हाई-स्पीड ट्रेन से यहां और पर्यटक आएंगे, साथ ही स्थानीय व्यापार भी चमकेगा।

उदयपुर: उदयपुर जिले में प्रस्तावित स्टेशन। उदयपुर झीलों का शहर है (पिछौड़ा, फतेहसागर आदि) और पर्यटन राजधानी है। बुलेट ट्रेन उदयपुर को देश के बड़े आर्थिक केन्द्रों (दिल्ली, मुंबई आदि) से जोड़कर पर्यटन व होटल उद्योग को प्रोत्साहन देगी। उदयपुर ज़िले में 127 किमी की ट्रैक लाइन होगी, जिसमें पांच नदी पुल और आठ सुरंगें बनेंगी।

डूंगरपुर (खेरवाड़ा): डूंगरपुर में स्टेशन। यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण-वनाच्छादित है, जिसमें जनजातीय संस्कृति रहती है। हाई-स्पीड रेल से यहां की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ और रोजगार के अवसर सुधरेंगे।


इन नौ स्टेशनों के निर्माण से संबंधित इलाकों में नए बिन्दु बनेंगे – जैसे आवासीय इलाकों, होटलों, शॉपिंग जोन्स आदि का विकास। उदाहरण के लिए, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के पीआईबी रिलीज़ के अनुसार इस तरह के कॉरिडोर के बनने से रियल एस्टेट, लॉजिस्टिक्स और पर्यटन में भारी निवेश और रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। यही प्रभाव राजस्थान के इन ज़िलों में भी देखने को मिल सकता है।


Rajasthan's Bullet Train


7 जिलों को होने वाले लाभ

बुलेट ट्रेन कॉरिडोर से मार्ग में शामिल जिलों को अनेक लाभ होंगे:

बेहतर कनेक्टिविटी: प्रमुख शहरों के साथ तेज़ ट्रेन सुविधा से व्यापार, उद्योग और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। उदयपुर, अजमेर, जयपुर आदि की दूर-दराज़ से आने-जाने की दूरी मौजूदा 12-15 घंटे की तुलना में सिर्फ 3-4 घंटे रह जाएगी। इससे कंपनियों के लिए माल व कच्चे माल की आवाजाही तेज़ होगी। उदाहरणतः उदयपुर के कुम्भलगढ़ किले और वेरासेणि घाट जैसे पर्यटन स्थलों पर इससे ज्यादा लोग पहुंच सकेंगे।

आर्थिक विकास और रोजगार: बुलेट ट्रेन परियोजना निर्माण और संचालन चरण में करोड़ों रुपए के निवेश से हजारों कामगारों को सीधे-सीधे रोजगार मिलेगा। इसके आसपास सप्लाय-चेन, होटलिंग, रोड-ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स जैसे सेक्टर्स में भी नई नौकरियाँ उत्पन्न होंगी। पीआईबी के अनुसार, हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर से रियल एस्टेट, लॉजिस्टिक्स व पर्यटन जैसे क्षेत्रों में निवेश और रोजगार को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा स्टेशन क्षेत्रों के पास नए हॉस्पिटल, स्कूल और शॉपिंग सेंटर भी बनेंगे।

रियल एस्टेट में बूम: जहां हाई-स्पीड स्टेशन बनते हैं, वहां आस-पास की जमीन की कीमतें आसमान छूने लगती हैं। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन मार्ग में जितने भी स्टेशन बनाए गए हैं, आसपास जमीन-मुल्य काफी बढ़ा है। इसी तरह राजस्थान में प्रस्तावित स्टेशनों के आसपास का रियल एस्टेट, आवासीय-आर्थिक विकास के लिए आकर्षक होगा।

टूरिज्म बढ़ावा: जयपुर, अजमेर, उदयपुर और चित्तौड़गढ़ पहले से ही बड़ी पर्यटन नगरीय हैं। इन शहरों में हाई-स्पीड ट्रेन के आने से देश भर से पर्यटक आने की संख्या बढ़ेगी। उदाहरण के तौर पर उदयपुर को राजस्थान की वीनिस कहा जाता है; दिल्ली और मुंबई से सिर्फ तीन घंटे में पहुंचने के बाद यहां का हेरिटेज होटल और पर्यटन उद्योग फूल-फला उठेंगे। इसके विपरीत, मौजूदा परिवहन से ये शहर जुड़े हुए कम थे।

औद्योगिक विकास: राजस्थान के भीलवाड़ा (वस्त्र उद्योग) और अलवर (मौजूदा औद्योगिक क्षेत्र) जैसे कारोबारी शहरों तक आसानी से कच्चा माल और फिनिश्ड गुड्स पहुंच सकेंगे। इससे इन ज़िलों में और फैक्ट्री और यूनिट स्थापित होंगे। अलवर और जयपुर के मेगानगर ये भी यहूदी से जुड़े हुए हैं।

कुल मिलाकर आर्थिक फल: विशेषज्ञों के मत में बुलेट ट्रेन सिर्फ यात्रा का जरिया नहीं, बल्कि एक आर्थिक कॉरिडोर है जिससे ज़िला-स्तरीय इकनॉमी को लाभ मिलेगा। उदाहरणार्थ अहमदाबाद में दो स्टेशनों के साथ बुलेट ट्रेन ने व्यापारिक गतिशीलता को बढ़ाया है। राजस्थान के तीन प्रमुख पर्यटन और औद्योगिक केंद्र (जयपुर, अजमेर, उदयपुर) इस विकास चक्र से जुड़ने के लिए तैयार हैं।

जोधपुर की अनुपस्थिति और प्रभाव

जोधपुर, जो पश्चिमी राजस्थान का बड़ा शहर है, दुर्भाग्यवश इस बुलेट ट्रेन कॉरिडोर से जुड़ा नहीं गया है। प्रारंभिक सर्वेक्षणों और डीपीआर में जोधपुर को इस रूट से बाहर रखा गया है। स्थानीय नेताओं और नागरिकों में निराशा है कि जोधपुर को बार-बार उच्च गति रेल योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है। राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत ने आश्वासन दिया है कि जोधपुर को भविष्य में बुलेट ट्रेन कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा, लेकिन फिलहाल कोई आधिकारिक घोषणा नहीं है। पाली सांसद पी.पी. चौधरी ने भी कहा कि उन्हें इस प्रोजेक्ट की जानकारी नहीं है, क्योंकि ऐसे महँगे प्रोजेक्ट के फैसले बहुत सोच-समझकर लिए जाते हैं।

अभाव और नुकसान: जोधपुर का इस मार्ग से बहिष्कार होने का सीधा नुकसान यात्रियों को हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर जोधपुर भी इस कॉरिडोर से जुड़ता तो अब यहां का दिल्ली-मुंबई यात्रा समय सिर्फ 3–5 घंटे बचता, जबकि वर्तमान में रेलवे से 11–16 घंटे लगते हैं। इसका मतलब था कि जोधपुर से आने-जाने वाले व्यवसायी, पर्यटक और छात्र काफी समय बचा पाते। बुलेट ट्रेन से जोधपुर राजधानी जयपुर के साथ ही देश के बड़े शहरों से सीधे जुड़ जाता, जो शिक्षा (आईआईटी जौहरी, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय) और चिकित्सा (एम्स जोधपुर) के लिए भी अच्छा होता। जोधपुर में बेहतर सुविधाएँ मिलने और विकास के अवसरों को देखते हुए स्थानीय लोग इसे बड़ी कमी मानते हैं।

सरकारी एवं स्थानीय प्रतिक्रियाएँ

जोधपुर के बहिष्कार पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने बयान दिए हैं। राजस्थान के कुछ बड़े नेता इस मुद्दे पर गंभीर हुए हैं। उदाहरणतः राजेंद्र गहलोत (RS सांसद, भाजपा) ने मीडिया से कहा है कि प्रधानमंत्री और रेलमंत्री से बात की गई है, और जोधपुर को जल्द ही इस कॉरिडोर से जोड़े जाने की संभावना पर काम हो रहा है। जबकि पी.पी. चौधरी (पाली से सांसद) ने कहा कि उन्हें फिलहाल इस परियोजना की जानकारी नहीं है। स्थानीय नागरिक भी निराश हैं कि जोधपुर को उच्च गति रेल सेवा से बाहर रखा गया। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार जोधपुर के लोग और अधिकारी “निराश” हैं क्योंकि शहर आधुनिक रेल कनेक्टिविटी के लिए लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहा था।

राज्य के अन्य जिलों में इस घोषणा का स्वागत हुआ है। अलवर, जयपुर, अजमेर, उदयपुर आदि में स्थानीय व्यापारिक संगठन एवं आम जनता ने इसे विकास का संकेत माना है। उदाहरण स्वरूप, उदयपुर के व्यापारियों को इस बात से उत्साह है कि दिल्ली-जोड़ने पर निवेश बढ़ेगा। हालांकि परियोजना अनुमोदन की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन सरकार ने इन जिलों के विकास की बात कही है। प्रदेश सरकार ने इसके सामाजिक-आर्थिक लाभों को रेखांकित करते हुए कहा है कि यह कॉरिडोर उद्योग, कृषि और पर्यटन को एक साथ जोड़ते हुए रोजगार के नए द्वार खोलेगा।


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कार्य की प्रगति और समय-सीमा

दिल्ली–अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना अभी योजना और प्रारंभिक चरण में है। दिसंबर 2024 तक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) रेलवे मंत्रालय द्वारा अनुमोदित हो चुकी है और संसद में भी इसकी तैयारी की पुष्टि हो चुकी है। योजना है कि अगले 3–4 साल में जमीन अधिग्रहण, साफ-सफ़ाई और अनुमतियाँ पूरी की जाएँगी। उसके बाद लगभग 3 वर्षों में निर्माण कार्य पूरा होगा। अनुमानतः यह परियोजना 2030 तक चालू हो सकती है।

जनवरी 2020 में भारत और जापान ने दिल्ली–अहमदाबाद मार्ग के लिए LiDAR सर्वेक्षण शुरू किया था। जुलाई 2021 में हुई चर्चाओं के अनुसार “यह मार्ग दशक के दूसरे छोर तक आकार लेता दिखाई देगा”। जुलाई 2021 की एक रिपोर्ट में बताया गया कि DPR बन चुका है और परियोजना को अगले दशक के मध्य तक पूरा करने की योजना है। 16 अप्रैल 2024 को रेल मंत्रालय ने इस कॉरिडोर की डीपीआर को स्वीकृति दी, जिससे एक औसत गति 250 किमी/घंटा से अहमदाबाद-दिल्ली सफ़र 12 घंटे से घटाकर 3.5 घंटे किया जा सकेगा।

अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है, लेकिन जल्दी ही रियल एस्टेट अक्विजीशन और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रियाएं तेज़ होंगी। इस अवधि में रेलवे भूमि सर्वेक्षण करेगा, बिजली लाइनें हटाएगा, पर्यावरण मंज़ूरी लेगा आदि। बुलेट ट्रेन का परिचालन संभवतः 2030 के दशक की शुरुआत में शुरू हो जाएगा।

भविष्य में विस्तार की संभावनाएँ

भविष्य में इस हाई-स्पीड नेटवर्क का विस्तार भी प्लानिंग स्टेज में है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जल्द ही दिल्ली–अमृतसर–चंडीगढ़ और दिल्ली–वाराणसी–कोलकाता जैसे अन्य उच्च-गति रेल कॉरिडोर भी बनने हैं, जिनसे देश के प्रमुख शहर जुड़े रहेंगे। दिल्ली–अहमदाबाद कॉरिडोर को भी आगे चलकर पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में जोड़ा जा सकता है। उदाहरणतः अगर जोधपुर को शामिल किया जाए, तो आगे चलकर यह जोधपुर से अमृतसर या जोधपुर से भुज तक के मार्ग में स्थान पा सकता है। यूँ भी रेल मंत्रालय के पांच नए हाई-स्पीड प्रोजेक्ट्स मंज़ूर हैं, जिनमें मुंबई–नागपुर, दिल्ली–कालका (चंडीगढ़) और आकाशीय योजनाएँ शामिल हैं। बुलेट ट्रेन का यह नेटवर्क भविष्य में देश के कई हिस्सों को जोड़ने वाला ‘डायमंड क्वाड्रिलेटरल’ या द्विध्रुवीय योजना का हिस्सा बन सकता है।


इस प्रकार प्रस्तावित 657 किमी वाले दिल्ली–अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर में राजस्थान के सात जिलों (अलवर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, डूंगरपुर) को जोड़ा गया है। इन जिलों को तेज़ कनेक्टिविटी, आर्थिक अवसर और नई नौकरियों से लाभ मिलेगा। दूसरी ओर जोधपुर को रूट से बाहर रखने का विरोध हो रहा है; स्थानीय नेता इसे बाद में जोड़ने की बात कर रहे हैं। सरकारी स्तर पर परियोजना को मंज़ूरी मिल चुकी है, भूमि अधिग्रहण व निर्माण की तैयारी चल रही है, और इसका संचालन अगले दशक की शुरुआत में शुरू हो सकता है। भविष्य में इस नेटवर्क का विस्तार अन्य उच्च गति मार्गों (जैसे दिल्ली–अमृतसर, दिल्ली–वाराणसी) से जोड़ने की भी योजना है। संक्षेप में, यह हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर राजस्थान के लिए विकास का एक बड़ा मार्गदर्शन बनकर उभरेगा।


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