बैंगलोर में साइबर ठगी का बड़ा मामला, 500 लोगों को ठगी का शिकार बनाने वाला गैंग धरा
बैंगलोर में पुलिस ने एक साइबर ठगी के गिरोह को पकड़ा है जिसने लगभग 500 लोगों को ऑनलाइन धोखाधड़ी के जाल में फंसाया। रातोंरात अमीर बनने के झांसे, नौकरी-स्कीम और निवेश के झूठे वादों से लोगों को फर्जी वेबसाइटों और व्हाट्सऐप/टेलीग्राम चैनलों के जरिये ट्रैप किया गया। मामले की जांच जारी, आरोपियों ने अनेक फर्जी बैंक खाते और म्यूल अकाउंट्स का इस्तेमाल किया।

बैंगलोर पुलिस ने व्यापक ऑनलाइन फ्रॉड गिरोह का पर्दाफाश किया, झांसे में लिये गए सैकड़ों लोग — मनी लॉन्ड्रिंग और म्यूल अकाउंट्स का भी आरोप।
बैंगलोर की साइबर क्राइम यूनिट ने हाल ही में एक बड़े ऑनलाइन धोखाधड़ी गिरोह का खुलासा किया है जिसने लगभग 500 लोगों को ठगा है। पुलिस के अनुसार, गिरोह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों, मैसेजिंग ऐप्स और फर्जी कॉल सेंटर्स के माध्यम से लोगों को गुमराह किया।
गिरोह की रणनीति इस तरह थी कि प्रारंभ में छोटे-छोटे निवेश या “वर्क-फ्रॉम-होम” स्कीम का लालच दिया जाता था। शुरुआत में कुछ लोगों को मामूली मुनाफा दिखाया जाता था ताकि विश्वास बने। एक बार भरोसा स्थापित हो जाने के बाद, ज्यादा धन भेजने के लिए दबाव बनाया जाता था, लेकिन जब वापसी की कोशिश होती, तो कॉल्स बंद हो जाती और आरोपी गायब हो जाते।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने फर्जी कंपनियों, शेल कंपनियों और म्यूल अकाउंट्स (सप्लीमेंटरी बैंक खाते जिनका इस्तेमाल पैसों को ट्रांसफर करने या धोखाधड़ी के जोड़-तोड़ में किया जाता है) का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया। कई खाते बरामद किये गए हैं, साथ ही डिजिटल उपकरण जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप, कई सिम कार्ड, बैंक पासबुक आदि जब्त किये गए हैं।
अब तक प्रमुख सदस्यों सहित लगभग पाँच-छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि ये लोग गिरोह के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे — कॉल सेंटर प्रबंधन, ग्राहक-लोगों से संपर्क, ट्रांजैक्शंस को म्यूल खातों में ट्रांसफर करना आदि।
पुलिस जांच कर रही है कि गिरोह का मुख्य सरगना कहाँ स्थित है — कुछ संकेत हैं कि भाग-अংশ ग्रेटर बैंगलोर के बाहर या अन्य राज्यों में भी मौजूद हो सकते हैं। विरोध-प्रदर्शनों और शिकायतों की संख्या बढ़ने पर, ऑनलाइन शिकायत पोर्टल्स और साइबर प्रहरी विभाग ने तेजी से कार्रवाई आरंभ की है।
घायलों/ठगे गए लोगों से पुलिस ने गिरफ्तारी एवं साक्ष्य जुटाने के लिए संपर्क किया है। साथ ही, प्रभावित लोगों को सुुशल कानूनी और मानसिक मदद की व्यवस्था की जा रही है।
प्रासंगिक आंकड़े और परिस्थिति
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इस तरह के निवेश फ्रॉड्स और वर्क-फ्रॉम-होम स्कीम्स बैंगलोर सहित कई महानगरों में बढ़ते अपराधों में शामिल हैं।
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साइबर क्राइम पुलिस यह कहना है कि ऐसे मामले अक्सर तब होते हैं जब लोग ‘त्वरित धन की लालसा’ में सावधानी नहीं बरतते।
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सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर झूठे प्रमोशन और विज्ञापनों के जरिये झांसा देना आम रणनीति हो गई है।










