भायंदर मे पर्युषण महापर्व का दुसरा दिन गुरू पुजा के साथ हर्षोल्लास के साथ मनाया
भायंदर विजय शांतीसुरीश्रवर माराज साहेब मंदीर मे पर्युषण महापर्व का दुसरा दिन हर्षोल्लास के साथ
भायंदर पशिचम शांती योगी जैन ट्रस्ट, 01/09/2024 रविवार ईदरा कोंपलेक्स विश्व की महानतम विभूति युग प्रधान आचार्य सम्राट 1008 विजय शांती सुरीश्रवर माराज साहेब का गुरू पर्युषण महापर्व हर्षोल्लास मनाया.
हर वर्ष की भाती ईस वर्ष भी लाभाथी परीवारो ने पर्युषण महापर्व के आठो दिन बच्चो को बोहत ही सुंदर पारितोषिॅक दिया गया आज के लाभार्थी रूकमादेवी मंगलचंद सेठ राजुभाई ललीतभाई की ओर दिया गया ,सुबह 7:15 बजे गुरूदेव का पक्षाल पुजा , ,वाक्षेप पुजा फुल पुजा हुई ,सुबह 9 :00 बजे शशीकला पारसमल जैन दुवारा आरती मंगल दिपक उतारा गया , सुबह 10:15 बजे अष्ट प्रकारी पुजा भणाई गई शाम को 8:00 बजे विराट गुरूभक्ति हुई आरती ओर मंगल दिपक उतारा गया गुरूदेव अजैन होते हुऐ भी विश्व मे जैन का ङंका बजाया था गुरूदेव का संक्षिप्त जिवन परिचय गुरूदेव का जन्म 25जनवरी 1890मे वंसत पंचमी के शुभ दिन हुआ था.
जन्म स्थान मणादर (सिरोही) पिता का नाम -भीम तोला ,माता का नाम वसुदेवी,जाती – अहिर बचपन का नाम- सगतोजी, दिक्षा- रामसीन जालोर मे 9/02/1905मे दिक्षा -तीर्थ विजय मा साहेब से ली थी दादा गुरूदेव- धर्म विजय महाराज साहेब आचार्य पदवी 20/11/1933 को निर्वाण 23/9/1943 को अचलगढ माऊटआबु मे अग्नि संस्कार 27/9/1943 समाधी मंदीर प्रतिष्ठा माणङोली नगर मे वंसत पंचमी को हुई थी यह बोहत ही चमत्कारिक गुरूदेव की प्रतिमा है मागी गई हर मनोकामना पुरी होती है केन्सर जेसे मरीज भी ठीक हो गये है पारसमल, राजु भाई (मंगल ) ,राकेश भाई, ललीत भाई (मंगल)नितीन जैन , विक्रम राठोङ, कुनाल जैन ,ममता राठोङ, संतोष जैन,मुस्कान जैन ,देवानसी जैन