National Newsभीलवाड़ा न्यूज

भीलवाड़ा में परंपरागत उत्साह के साथ मनाया गया दशा माता का पर्व

परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि के लिए महिलाओं ने किया व्रत और पूजन

भीलवाड़ा/ यश सेन – भीलवाड़ा शहर के आजाद नगर सी सेक्टर में चैत्र कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को परंपरागत रूप से दशा माता का पर्व बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओं ने दिनभर व्रत रखकर, विधिविधान से पूजा-अर्चना कर परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना की।

सुबह से ही मोहल्ले की महिलाओं ने एकत्र होकर दशा माता का पूजन शुरू किया। उन्होंने पीपल वृक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप मानते हुए उसकी पूजा की और दस बार परिक्रमा की। पीपल वृक्ष के चारों ओर महिलाओं ने कच्चे सूत का धागा लपेटा और उसमें दस गांठें बांधीं। यह धागा दस तार का डोरा बनाकर विशेष रूप से तैयार किया गया था। परिक्रमा करते समय महिलाओं ने भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हुए पूजा संपन्न की। पूजा में अबीर, गुलाल, कुमकुम, चावल, फूल आदि सामग्रियों का प्रयोग किया गया और पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाया गया।

महिलाओं ने पारंपरिक विधि से कुमकुम और मेंहदी लगाई, पीपल को चुनरी ओढ़ाई और आटे-हल्दी से बनी सोलह श्रृंगार की सामग्री भेंट की। इसके बाद चावल और लापसी का भोग लगाकर नारियल चढ़ाया गया। पूजा के पश्चात सभी महिलाओं ने ‘नल-दमयंती’ की पौराणिक कथा सुनी, जिसमें जीवन में सुख-दुख की दशा और उसके परिवर्तन का संदेश छिपा होता है।

महिलाओं ने बताया कि दशा माता का यह पर्व खासतौर पर घर की दशा सुधारने और परिवार में समृद्धि लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। सुहागिन महिलाओं ने इस दिन स्नान कर व्रत-पूजा का संकल्प लिया और पूरे विधि-विधान के साथ पूजन कर दुआएं मांगीं।

पीपल वृक्ष से सूखी छाल निकालने की विशेष परंपरा भी निभाई गई। महिलाओं ने परिक्रमा के बाद छोटी उंगली से पीपल के तने से सूखी छाल का टुकड़ा निकाला और उसे घर ले जाकर आभूषण की तरह संभाल कर रखा। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की दशा हमेशा अच्छी बनी रहती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

इस अवसर पर लक्ष्मी सेन, पुनम सुथार, मधु सुथार सहित कई महिलाएं उपस्थित रहीं। लक्ष्मी सेन ने बताया कि दशा माता की पूजा और व्रत की शुरुआत होली के दूसरे दिन से होती है, जो लगातार दस दिन तक चलती है। प्रतिदिन महिलाएं सुबह उठकर विधिपूर्वक पूजा करती हैं और परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करती हैं। दशमी तिथि को विशेष पूजा के साथ व्रत का समापन होता है।

आजाद नगर सी सेक्टर पार्क में आयोजित सामूहिक पूजा में भी महिलाओं ने थानक पर पूजा कर पीपल की परिक्रमा की और नल-दमयंती की कथा सुनी। इस कथा श्रवण का पुण्य दस दिनों की कथा सुनने के बराबर माना जाता है। शहर के अन्य स्थानों पर भी दशा माता का पूजन बड़े श्रद्धा भाव से किया गया और सभी ने अपने परिवार में सुख-शांति व समृद्धि की मंगलकामना की।

महिलाओं ने बताया कि यह पर्व मां पार्वती के स्वरूप दशा माता को समर्पित होता है। इसी दिन वृक्षों की त्रिवेणी – पीपल, नीम और बरगद की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। पूजा के बाद महिलाएं दशा माता का धागा (डोरा) सालभर गले में धारण करती हैं, जिसे अगले साल दशा माता के दिन ही बदला जाता है।

इस तरह भीलवाड़ा में दशा माता का पर्व लोक परंपरा, धार्मिक आस्था और पारिवारिक सुख-समृद्धि की कामना के साथ पूरे श्रद्धाभाव से मनाया गया, जिसमें महिलाओं ने पूर्ण विधि-विधान से भाग लेकर परंपरा का निर्वहन किया।

न्यूज़ डेस्क

"दिनेश लूनिया, एक अनुभवी पत्रकार और 'Luniya Times Media' के संस्थापक है। लूनिया 2013 से पत्रकारिता के उस रास्ते पर चल रहे हैं जहाँ सत्य, जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं।

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button