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भीलवाड़ा में बलिदान दिवस और आपातकाल स्मृति संगोष्ठी का आयोजन, लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान

शुरुआत में उपस्थित अतिथियों और कार्यकर्ताओं ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

भीलवाड़ा में भाजपा द्वारा आयोजित संगोष्ठी में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस और आपातकाल स्मृति दिवस पर लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया। पढ़ें आयोजन की पूरी रिपोर्ट।


मूलचंद पेसवानी
जिला संवाददाता

मूलचंद पेसवानी वरिष्ठ पत्रकार, जिला संवाददाता - शाहपुरा / भीलवाड़ा 

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भीलवाड़ा (राजस्थान) – भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस और आपातकाल स्मृति दिवस के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी जिला संगठन भीलवाड़ा द्वारा एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया और लोकतंत्र की रक्षा के लिए उनके योगदान को सराहा गया।

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संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में चित्तौड़गढ़ सांसद और पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सी.पी. जोशी उपस्थित रहे, वहीं भाजपा प्रदेश मंत्री विजेंद्र पुनिया विशिष्ट अतिथि और जिला अध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा अध्यक्षता कर रहे थे। कार्यक्रम का संचालन भाजपा जिला मीडिया प्रभारी महावीर समदानी ने किया।

शुरुआत में उपस्थित अतिथियों और कार्यकर्ताओं ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

🔹 मुख्य वक्तव्य: “एक देश, एक विधान” के लिए बलिदान

  • सी.पी. जोशी ने अपने संबोधन में कहा,

“डॉ. मुखर्जी ने ‘एक देश, एक विधान, एक प्रधान’ के सिद्धांत के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनके सपनों को मोदी सरकार ने धारा 370 हटाकर साकार किया है। यह उनका सच्चा सम्मान है।”

उन्होंने 25 जून 1975 को लगे आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया और कहा कि उस समय संविधान को कुचला गया, मीडिया पर सेंसरशिप लागू की गई और न्यायपालिका पर दबाव डाला गया।

लोकतंत्र सेनानियों का हुआ भव्य सम्मान

जिला अध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा ने कहा कि आपातकाल के समय जेल में बंद रहे सेनानियों ने देश की लोकतांत्रिक आत्मा की रक्षा की। उन्होंने राजस्थान सरकार की लोकतंत्र सेनानी पेंशन योजना की सराहना करते हुए कहा कि यह उन बलिदानों का सम्मान है।

प्रदेश मंत्री विजेंद्र पुनिया ने कहा कि यदि उन दिनों सेनानियों ने आवाज न उठाई होती, तो आज भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र न होता। उन्होंने डॉ. मुखर्जी के बलिदान को राष्ट्र की एकता के लिए प्रेरक बताया।

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सम्मानित लोकतंत्र सेनानी और मंचासीन अतिथि

कार्यक्रम में आपातकाल के समय जेल में बंद रहे 23 लोकतंत्र सेनानियों और उनके परिजनों को श्रीफल, दुपट्टा और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।

  • सम्मानित लोकतंत्र सेनानियों में प्रमुख नाम रहे:

रजनीकांत आचार्य, प्रह्लाद सोडाणी, दयाराम मैठानी, नानकराम सिंधी, मिट्ठूलाल स्वर्णकार, गोविंद नारायण राठी, कैलाशचंद्र सोमानी,  जगदीशचंद्र डाड, कन्हैयालाल धाकड़, बद्री प्रसाद गुरुजी, अन्य मंचासीन जनप्रतिनिधियों में विधायक झबर सिंह सांखला, उदयलाल भड़ाना, जिला प्रमुख बरजी देवी भील, महापौर राकेश पाठक, पूर्व विधायक डॉ. बालूराम चौधरी, रामचंद्र सेन, युवराज सिंह राजावत, मंजू चेचानी, सूरज पेंटर आदि उपस्थित रहे।

आपातकालीन अनुभवों से मिली नई पीढ़ी को सीख

समारोह के अंत में लोकतंत्र सेनानियों ने अपने संघर्षपूर्ण अनुभव साझा किए और युवा पीढ़ी को लोकतंत्र की रक्षा में सतर्क रहने का आह्वान किया।

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न्यूज़ डेस्क

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