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महाकाली गौशाला में 75 फुट लंबा पक्षी आश्रय-स्थल बनेगा

माता महाकाली गौशाला में स्वर्गीय देवारामजी मालवीय की स्मृति में "कलरिंग महल" पक्षी आश्रय-स्थल का निर्माण

सादड़ी (बारली सादड़ी)। सिन्दरली रोड स्थित माता महाकाली गौशाला परिसर में पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल के तहत 75 फुट लंबे पक्षी आश्रय-स्थल “कलरिंग महल” के निर्माण का निर्णय लिया गया है। यह परियोजना स्वर्गीय देवारामजी मालवीय लोहार की स्मृति में उनके पुत्र सांकल चंदजी मालवीय एवं धर्मपत्नी श्रीमती लीला देवी के प्रेरणास्त्रोत से संचालित हो रही है। निर्माण का दायित्व सांकल चंदजी के सुपुत्र श्रवण कुमार मालवीय ने संभाला है, जो वर्तमान में गोवा में निवासरत हैं।

श्रवण कुमार मालवीय ने अपने पिता और दादा के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप इस परियोजना को पैतृक गाँव कुआ बावड़ी, बारली सादड़ी और गौशाला के विकास के लिए समर्पित किया है। इस पहल को गति देने में प्रेरक दिलीप प्रतापमल मालवीय के साथ-साथ गौशाला प्रबंधन और भामाशाह परिवार का विशेष योगदान रहा। माता महाकाली सेवा समिति ने एक समारोह में भामाशाह परिवार का माल्यार्पण और साफा बाँधकर सम्मानित किया। समिति अध्यक्ष मांगीलाल ओटाजी घाँची ने कहा कि यह पक्षी घर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मिसाल बनेगा।

इस अवसर पर समिति के सचिव भीमाराम चौधरी, मूलचन्द भाटी, देवाराम परिहार, मोहन थाना, रूपाराम उदाजी, रावाराम देवासी, विनायक बोहरा, जगदीश प्रजापत और सोहन सेन सहित कई प्रमुख हस्तियाँ मौजूद रहीं। समिति ने भामाशाह परिवार के सहयोग के प्रति आभार जताते हुए ऐसे सामाजिक प्रयासों को बढ़ावा देने की अपील की।

यह पक्षी घर गौशाला परिसर में जैव-विविधता को बढ़ाने और पक्षियों को सुरक्षित आवास प्रदान करने में अहम भूमिका निभाएगा। इसके माध्यम से न केवल पक्षियों को संरक्षण मिलेगा, बल्कि समुदाय में प्रकृति प्रेम और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना भी मजबूत होगी।

स्वर्गीय देवारामजी के परिवार की तीन पीढ़ियों (दादा-पिता-पुत्र) के समर्पण से यह परियोजना साकार हो रही है, जो पारिवारिक विरासत और सामाजिक सेवा के समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण है।

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