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रक्षाबंधन 2025 और भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर ₹17,000 करोड़ के व्यापार की उम्मीद

रक्षाबंधन 2025 और 'भारत छोड़ो आंदोलन' की वर्षगांठ का अनोखा संगम: व्यापारियों को ₹17,000 करोड़ से अधिक के व्यापार की उम्मीद

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Lalit Dave
National Correspondent

Lalit Dave, Reporter And International Correspondent - Mumbai Maharashtra

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मुंबई | संवाददाता – ललित दवे। 9 अगस्त 2025 भारत के इतिहास में एक विशिष्ट दिन बनकर उभरने वाला है। इस दिन दो बड़े आयोजन एक साथ होने जा रहे हैं – भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन और देशभक्ति की मशाल ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की वर्षगांठ। इस ऐतिहासिक संयोग के चलते इस बार रक्षाबंधन केवल पारिवारिक नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति के रंग में रंगा पर्व बन गया है। व्यापारी संगठनों को इस दिन ₹17,000 करोड़ से अधिक के व्यापार की उम्मीद है।


🔷 रक्षाबंधन 2025: एक नया भाव, एक नया व्यापारिक आयाम

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय मंत्री और अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर के अनुसार, इस वर्ष रक्षाबंधन केवल भावनाओं का नहीं बल्कि “राष्ट्रभक्ति राखी उत्सव” के रूप में मनाया जाएगा। इसका मकसद देश की संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रप्रेम को एक सूत्र में पिरोना है।


🔷 ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 83वीं वर्षगांठ का प्रतीकात्मक संदेश

प्रवीन खंडेलवाल (CAIT राष्ट्रीय महामंत्री एवं चांदनी चौक से भाजपा सांसद) ने जानकारी दी कि रक्षाबंधन की इस खास तिथि पर कैट द्वारा देश की तीनों सेनाओं के लिए राखियों का विशेष आयोजन किया गया है। देशभर की महिला उद्यमी सेनाओं के जवानों को राखियां भेजेंगी, जिससे यह संदेश दिया जाएगा कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है।


🔷 9 अगस्त को रक्षाबंधन का श्रेष्ठ मुहूर्त – भद्रा रहित काल

कैट की वेद एवं धार्मिक समिति के चेयरमैन और प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया कि—

“भद्रायां द्वै न कर्त्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा…”

2025 में श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व भद्रा से मुक्त रहेगा और दोपहर 1:38 बजे तक का समय राखी बांधने के लिए श्रेष्ठ रहेगा। इस दौरान श्रवण नक्षत्र भी विद्यमान रहेगा जो पर्व को और भी पावन बनाता है।


🔷 इको-फ्रेंडली और थीम आधारित राखियों की धूम

प्रवीन खंडेलवाल ने यह भी बताया कि इस बार बाजारों में पर्यावरण-संवेदनशील और नवाचार से भरपूर राखियां छाई हुई हैं:

लोकप्रिय राखियों की सूची:

  • इको-फ्रेंडली राखियां: मिट्टी, बीज, बांस, कपास से बनीं।
  • भारत थीम आधारित राखियां: ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘जय हिंद’, ‘हर घर तिरंगा’।
  • कस्टमाइज्ड राखियां: फोटो और नाम वाली राखियां।
  • डिजिटल राखियां: QR कोड युक्त वीडियो संदेश वाली राखियां।

🔷 भारत की विविधता में एकता: क्षेत्रीय राखियों की बहार

देश के अलग-अलग राज्यों की पहचान बन चुकी राखियों को इस बार प्रमुखता दी जा रही है:

राज्य विशेष राखी
छत्तीसगढ़ कोसा राखी
कोलकाता जूट राखी
मुंबई रेशम राखी
नागपुर खादी राखी
जयपुर सांगानेरी कला राखी
सतना ऊनी राखी
झारखंड बांस की राखी
असम चाय पत्ती राखी
केरल खजूर राखी
कानपुर मोती राखी
वाराणसी बनारसी राखी
बिहार मधुबनी और मैथिली कला राखी

🔷 रक्षाबंधन से जुड़ी अन्य वस्तुओं में भी जबरदस्त मांग

राखियों के साथ-साथ अन्य वस्तुओं का भी भारी व्यापार अनुमानित है:

  • मिठाइयाँ व ड्राई फ्रूट्स
  • गिफ्ट पैक, पूजा सामग्री
  • सजावट सामग्री, परिधान, सौंदर्य प्रसाधन
  • हैम्पर और पैकेजिंग उत्पाद

➡️ अनुमान: इन क्षेत्रों में ₹4,000 करोड़ से अधिक का व्यापार।


🔷 ‘राष्ट्रभक्ति राखी महोत्सव’ और स्वदेशी मेलों का आयोजन

CAIT ने देशभर के व्यापार मंडल, स्थानीय बाज़ार संघ और ट्रेड एसोसिएशनों से आग्रह किया है कि वे इस वर्ष रक्षाबंधन को ‘राष्ट्रभक्ति राखी महोत्सव’ के रूप में मनाएं। इसके अंतर्गत:

  • स्वदेशी राखी मेले का आयोजन।
  • स्थानीय महिलाओं व कारीगरों द्वारा निर्मित राखियों को प्रोत्साहन।
  • भारतीय उत्पादों को बढ़ावा, चीनी राखियों का पूर्ण बहिष्कार।

🔷 डिजिटल प्लेटफार्म, कोरियर और लॉजिस्टिक्स को भी व्यापार की उम्मीद

इस बार रक्षाबंधन पर डिजिटल व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को भी उम्मीदें हैं:

  • राखियों की ऑनलाइन बुकिंग व डिलीवरी सेवाओं में उछाल
  • कोरियर कंपनियों को राखी पार्सल डिलीवरी से बड़ा व्यापार
  • डिजिटल गिफ्टिंग ट्रेंड में वृद्धि

➡️ हालांकि, कुल अनुमानित कारोबार का केवल 7% व्यापार ऑनलाइन माध्यम से होने की उम्मीद है।


🔷 व्यापार में 7 वर्षों में जबरदस्त उछाल: 3,000 करोड़ से 17,000 करोड़ तक

CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया के अनुसार:

  • 2018 में व्यापार: ₹3,000 करोड़
  • 2025 में अनुमान: ₹17,000 करोड़
  • ऑफलाइन खरीदारी में भारी बढ़ोतरी, उपभोक्ताओं का सीधा जुड़ाव

➡️ यह वृद्धि दर्शाती है कि भारतीय उपभोक्ता अब ‘भावनात्मक खरीदारी’ को अधिक प्राथमिकता देते हैं और भारतीय सामान को समर्थन कर रहे हैं।


🔷 महाराष्ट्र में ₹850 करोड़ से अधिक के व्यापार की संभावना

शंकर ठक्कर ने बताया कि अकेले महाराष्ट्र राज्य में रक्षाबंधन के अवसर पर ₹850 करोड़ से अधिक का व्यापार होने का अनुमान है। व्यापारी समुदाय इस अवसर को आत्मनिर्भर भारत, देशभक्ति और व्यापारिक समृद्धि का प्रतीक मानते हुए उत्साह से तैयारियों में जुटा है।


रक्षाबंधन 2025 – रिश्तों, राष्ट्र और रोजगार का उत्सव

इस वर्ष का रक्षाबंधन केवल एक पारंपरिक पर्व नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन है जिसमें भावनाएं, राष्ट्रभक्ति और व्यापार एक साथ जुड़ गए हैं। भारतवासी केवल राखी नहीं, एक संदेश बांध रहे हैं – “स्वदेशी अपनाओ, भारत बनाओ।”

न्यूज़ डेस्क

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