राजस्थान के 17 स्थानों पर 15 लाख पेड़ कटेगें, इंटेक ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे 5100 पोस्टकार्ड
- भीलवाड़ा
देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंटेक) भीलवाड़ा चैप्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 5100 पोस्टकार्ड भेजकर राजस्थान में 17 स्थानों पर पंप स्टोरेज पावर प्लांट स्थापित करने के लिए वन भूमि में लाखों पेड़ों की कटाई को रोकने की मांग की है।
इस मुद्दे पर वैभव नगर स्थित सीए दिलीप गोयल के आवास पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें इस समस्या पर गहन चर्चा की गई।
इंटेक के कन्वीनर बाबूलाल जाजू ने बताया कि राजस्थान के सिरोही, चित्तौड़, धौलपुर, करौली, बूंदी, टोंक और शाहबाद सहित 17 स्थानों पर वन भूमि में पावर प्लांट लगाने की केंद्र सरकार की अनुमति से लगभग 15 लाख पेड़ों की कटाई होगी। यह निर्णय न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से हानिकारक है, बल्कि जैव विविधता, वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव डालेगा।
इंटेक भीलवाड़ा चैप्टर के सदस्य गुमानसिंह पीपाड़ा और सीए दिलीप गोयल ने जानकारी दी कि युवाओं, जागरूक नागरिकों और इंटेक के सदस्यों ने 5100 पोस्टकार्ड लिखकर प्रधानमंत्री से अपील की है कि पावर प्लांट को वन भूमि के बजाय रिक्त या अनुपयोगी भूमि पर स्थापित किया जाए। इंटेक की योजना है कि राज्य भर से कुल 51 हजार पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री को भेजे जाएं।
गोष्ठी में उपस्थित इंटेक पदाधिकारियों और सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लाखों की संख्या में विशालकाय पेड़ों की कटाई पर्यावरणीय असंतुलन का कारण बनेगी। इसके परिणामस्वरूप वन्यजीवों और पक्षियों का निवास स्थान नष्ट हो जाएगा, जिससे जैव विविधता को भारी नुकसान होगा।
इस दौरान इंटेक विचार गोष्ठी में पदाधिकारी संदीप पोरवाल, मुकेश अजमेरा, विद्यासागर सुराणा, सुरेश सुराना, राजकुमार बूलिया, हरक लाल बिश्नोई, राकेश बंब, बिलेश्वर डाड, गौरव जाजू, शशांक गोयल, अनुग्रह लोहिया ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लाखों की संख्या में विशालकाय पेड़ों को काटना पर्यावरण की दृष्टि से घातक है इससे वन्य जीवों एवं पशु पक्षियों का बसेरा समाप्त होगा और पारिस्थितिकी तंत्र पर विपरीत असर पड़ेगा।
विशेषज्ञों ने चिंता जताई कि शाहबाद सहित अन्य स्थानों पर लाखों पेड़ों की कटाई से जैव विविधता नष्ट हो जाएगी। यह कदम न केवल पर्यावरणीय संकट को बढ़ाएगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन को भी तेज करेगा। वन्यजीवों और पक्षियों का बसेरा समाप्त होने से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इंटेक ने सरकार से अनुरोध किया है कि पावर प्लांट के लिए वन भूमि का उपयोग न करते हुए खाली पड़ी बंजर और अनुपयोगी भूमि का इस्तेमाल किया जाए। इससे पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रोका जा सकेगा।
इस अभियान को स्थानीय युवाओं और पर्यावरण प्रेमियों का समर्थन मिल रहा है। विचार गोष्ठी में सुरेश सुराना, विद्यासागर सुराणा, राजकुमार बूलिया, राकेश बंब, गौरव जाजू, शशांक गोयल और अनुग्रह लोहिया सहित कई पदाधिकारियों ने भाग लिया। इंटेक द्वारा शुरू किया गया यह अभियान पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है। लाखों पेड़ों की कटाई से होने वाले गंभीर परिणामों को देखते हुए यह आवश्यक है कि सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करे। इंटेक के इस कदम से पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलेगी और एक स्थायी समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया जाएगा।