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लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन

  • पाली

Khushal Luniya
Desk Editor

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लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक विशेष विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।


इस कार्यक्रम में जिले के कई प्रतिष्ठित विद्वानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें मुख्य वक्ता नारायण लाल जी, जिला प्रचारक; मुख्य अतिथि कवरानी काशीका राणा; विशिष्ट अतिथि शक्ति सिंह जी घाणेराव, जिला समिति सदस्य; एवं दिनेश जी त्रिवेदी ने दीप प्रज्वलित कर लोकमाता को श्रद्धांजलि अर्पित की।

अहिल्याबाई होलकर: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व

मुख्य वक्ता नारायण लाल जी ने अपने संबोधन में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौड़ी नामक गांव में हुआ था। बचपन से ही वे धार्मिक प्रवृत्ति की थीं और उनमें न्यायप्रियता एवं नेतृत्व क्षमता के गुण स्पष्ट रूप से दिखते थे। विवाह के उपरांत जब उनके पति खांडेराव होलकर वीरगति को प्राप्त हुए, तब वे अपने ससुर मल्हारराव होलकर के सानिध्य में रहीं और राज्य प्रशासन की बारीकियों को समझने लगीं। ससुर की मृत्यु के बाद, जब उन्हें शासन संभालने का अवसर मिला, तो उन्होंने एक कुशल शासक के रूप में अपनी छवि स्थापित की।

धर्म और न्याय का महत्व

गोष्ठी के दौरान वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में धर्म और न्याय को सर्वोपरि रखा। उन्होंने न केवल राज्य का कुशलतापूर्वक संचालन किया, बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए भी प्रभावी कदम उठाए। उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कार्य किए और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं चलाईं।

तीर्थ स्थलों एवं मंदिरों का जीर्णोद्धार

विशिष्ट अतिथि शक्ति सिंह जी घाणेराव ने अपने उद्बोधन में बताया कि अहिल्याबाई ने भारतभर में विभिन्न तीर्थ स्थलों का जीर्णोद्धार करवाया। उनके शासनकाल में काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, रामेश्वरम, गया, प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और द्वारका जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों पर मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया गया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इन धार्मिक स्थलों तक यात्रियों की पहुंच सुगम हो और वहां सुविधाओं का अभाव न हो। इसके अलावा, उन्होंने धर्मशालाओं, कुओं, बावड़ियों और पुलों का भी निर्माण करवाया, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिली।

महिला सशक्तिकरण और न्यायप्रिय शासन

दिनेश जी त्रिवेदी ने इस अवसर पर कहा कि अहिल्याबाई होलकर केवल एक शासक ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक भी थीं। उन्होंने महिलाओं को संगठित करने के लिए महिला सेना का गठन किया और समाज में महिलाओं की स्थिति को मजबूत किया। उनके द्वारा चलाई गई नीतियां आज भी प्रेरणादायक हैं। उनके शासनकाल में 30 वर्षों तक कुशलता से प्रशासन संचालित हुआ और न्यायप्रियता की मिसाल पेश की गई। उनके न्यायप्रिय निर्णयों के कारण प्रजा उन्हें माता के समान पूजती थी।

नारी शक्ति को प्रेरणा

मुख्य अतिथि कवरानी काशीका राणा ने कहा कि वर्तमान समय में महिलाओं को अहिल्याबाई होलकर के जीवन से प्रेरणा लेकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अहिल्याबाई का नेतृत्व कौशल और प्रशासनिक नीतियां न केवल इतिहास का स्वर्णिम अध्याय हैं, बल्कि आज भी प्रासंगिक हैं।

समारोह का समापन

कार्यक्रम के अंत में सभी वक्ताओं ने उपस्थित जनसमूह से आह्वान किया कि वे लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन से प्रेरणा लें और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए उनके विचारों को आत्मसात करें। इस अवसर पर जिले के कई गणमान्य नागरिक, इतिहासकार एवं महिलाएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं। गोष्ठी का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

इस आयोजन ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के आदर्शों को पुनः जागृत किया और उपस्थित जनसमूह को समाज सेवा, न्यायप्रियता एवं धर्मपरायणता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

Khushal Luniya

Meet Khushal Luniya – Young Tech Enthusiast, Graphic Designer & Desk Editor at Luniya Times Khushal Luniya is a Brilliant young mind who has already Mastered HTML and CSS, and is Currently diving deep into JavaScript and Python. His passion for Computer Programming and Creative Design sets him apart. Alongside being a budding Graphic Designer, Khushal is making his mark

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