शाहपुरा की लाड़ सुखवाल राज्य स्तरीय व इन्दिरा जैन जिला स्तरीय सम्मान समारोह में हुई सम्मानित
शाहपुराः गायत्री शक्तिपीठ पर भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का पुरुष्कार वितरण व सम्मान समारोह संपन्न बच्चों को मातृभूमि, वसुधैव कुटुंबकम, संस्कारों की परंपरा से अवगत कराना चाहिए- डा. कुमावत
- शाहपुरा पेसवानी
गायत्री शक्ति पीठ शाहपुरा मे अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के पुरस्कार वितरण एवं शिक्षक समारोह का आयोजन कर जिला व तहसील स्तर पर मेरिट सूची में आने बाले विद्यार्थियों को नगद राशि, प्रमाणपत्र व साहित्य भेंट किया गया। समारोह में 24 विद्यार्थियों व 24 शिक्षकों का सम्मान अतिथियों ने किया। परीक्षा में राज्य स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली शिक्षिका लाड़ सुखववाल व जिला स्तर पर इन्दिरा जैन को सम्मानित भी किया गया।
ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी द्वारका प्रसाद जोशी के मुख्य आतिथ्य एवं आरएसएस के प्रांतीय बौद्विक प्रमुख डा. सत्यनारायण कुमावत की अध्यक्षता में आयोजित समारोह मेें विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ नागरिक संस्थान के अध्यक्ष रामस्वरूप काबरा, डीएमएफटी कमेटी के पूर्व सदस्य राजकुमार बैरवा, पार्षद राजेश सौंलकी मोजूद रहे। अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया। स्वागत गीत उपरांत व्यवस्थापक दुर्गालाल जोशी एवं जिला संयोजक ओमप्रकाश सुखवाल ने सभी का स्वागत करते हुए परीक्षा का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीबीईओ द्वारका प्रसाद जोशी ने कहा कि भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा छात्रों को भारतीय संस्कृति के गौरव का बोध कराने एवं छात्रों में नैतिक मूल्यों की स्थापना करने हेतु अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सभी शिक्षकों से आव्हान किया की आगामी परीक्षा में अधिक से अधिक छात्रों को सम्मिलित होने हेतु प्रोत्साहित करें एवं गायत्री परिवार को शिक्षा विभाग से हर संभव सहयोग का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार अथक प्रयास कर जिले के दूर दराज के विद्यालयों में उक्त परीक्षा आयोजित करवा रहा है जिससे निश्चित रूप से बालक-बालिकाओं में श्रेष्ठ संस्कार व चरित्र निर्माण का बीजारोपण हो रहा है।
प्रांतीय प्रमुख डा. कुमावत ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि छात्रों को अनुशासित एवं संस्कारवान बनाने में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने भारतीय संस्कृति को विश्व की सबसे प्राचीन एवं महान संस्कृति बताया। कुमावत ने कहा कि आज की व्यवसायिक शिक्षा प्रणाली मे संस्कारों एवं माननीय संवेदनाओं का पूर्णतरू अभाव है जिसकी पूर्ति हेतु गायत्री परिवार द्वारा इस परीक्षा का आयोजन किया जाता है। डा कुमावत ने जोर देकर कहा कि परीक्षाओं का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को अपनी गौरवपूर्ण संस्कृति से अवगत कराना है। साथ ही उनको अपनी संस्कृति जोड़कर रखना है। भारतीय संस्कृति प्राचीन संस्कृतियों में से एक है। हमें बच्चों को मातृभूमि, वसुधैव कुटुंबकम, संस्कारों की महान परंपरा, राष्ट्र के गौरवशाली इतिहास, भारतीय विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा, सामान्य ज्ञान और राष्ट्रनायकों से अवगत कराना चाहिए।
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जिला संयोजक ओमप्रकाश सुखवाल ने बच्चों को कहा कि वे अपने जीवन में शिक्षा के साथ साथ विद्या एवं संस्कार को स्थापित करें एवं अपने जीवन का नैतिक, चारित्रिक एवं आध्यात्मिक विकास करें। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति महान है जो जो हमे वसुधैव कुटुंबकम की प्रेरणा देती है। उन्होंने परीक्षा के आयोजकों की प्रशंसा की एवं आगामी भविष्य में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को भाग लेने के लिये कहा। उल्लेखनीय है कि परीक्षा ओएमआर प्रणाली में प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है।
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राजकुमार बैरवा ने कहा कि वर्तमान समय में व्यक्ति भौतिक क्षेत्र में अत्यधिक उन्नति कर रहा है, लेकिन अध्यात्मिक क्षेत्र में पिछड़ रहा है। जिससे संस्कारों के अभाव में युवा शक्ति दिशाहीन है, परिवार टूटते जा रहे है। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखित सद् साहित्य को घर-घर व पुस्तकालयों तक पहुंचाने की सीख दी।
व्यवस्थापक दुर्गालाल जोशी ने कहा कि बच्चों का इस परीक्षा से उनका नैतिक, बौद्धिक एवं चारित्रिक विकास होता है। उन्होंने कहा कि यह परीक्षा पुरे भारतवर्ष में 22 राज्यो में 421 जिले के 2 लाख से अधिक विद्यालय इस परीक्षा से जुड़े है एवं प्रतिवर्ष 5 करोड़ से ज्यादा बच्चे इससे लाभान्वित हो रहे है।
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पार्षद राजेश सोलंकी ने कहा कि भारत देश ज्ञान का अथक भण्डार था, वर्तमान समय में मनुष्य में अत्यधिक विकृतियां पैदा हो गई है। शिक्षाविद ओमप्रकाश सनाठ्य ने विद्यार्थियोें को अपने जीवन में सफल होने के सूत्र बताए। उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थितियों में रहकर भी कर्तव्य पथ के प्रति एक निष्ठ बने रहे। कठोर परिश्रम करें तो अवश्य सफलता के हकदार बनेंगे। उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं में चयन के तरीके बताए।
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गायत्री परिवार के मुख्य ट्रस्टी गोपीलाल रेगऱ ने कहा कि विद्यार्थियों को परीक्षा में सम्मिलित होने के साथ ही सभी गुणों को सदैव के लिए अपने जीवन में उतारने चाहिए। विशिष्ट अतिथि बाड़मेर ग्रामीण पंचायत समिति के प्रधान प्रतिनिधि खरथाराम गोदारा ने कहा कि अभी से प्रण ले कि जीवन में नशा प्रवृत्ति से दूर रहेंगे।
गायत्री परिवार के हरिनारायण शर्मा, सुवालाल सुथार, अरविंद सुखववाल, श्याम लाल खिंची, कैलाश कहार, प्रहलाद सनाठ्य, सुरेंद्र वैष्णव, ज्योति बघेरवाल, मनुदेवी मौजूद रहे।
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