शिक्षा विभाग पाली की पहल: दीपावली गृहकार्य के साथ “वेस्ट टू बेस्ट” गतिविधि में विद्यार्थी बनाएंगे ईको ब्रिक्स
“वेस्ट टू बेस्ट” एक ऐसी पर्यावरणीय पहल है जिसका उद्देश्य घरों और विद्यालयों में निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को उपयोगी वस्तुओं में बदलना है। इसके अंतर्गत विद्यार्थियों को यह सिखाया जाता है कि फेंकने योग्य सामग्री को सही तरीके से पुन: उपयोग में कैसे लाया जा सकता है। इसी सोच से जुड़ी एक रचनात्मक अवधारणा है “ईको ब्रिक्स”। ईको ब्रिक्स दरअसल खाली प्लास्टिक बोतलों में खराब पॉलिथिन, रैपर, पैकेजिंग सामग्री और अन्य गैर-जैविक कचरे को ठूंसकर भरने से तैयार होती हैं। ये मजबूत और हल्के ब्लॉक जैसे बन जाते हैं, जिनका उपयोग विद्यालयों, बगीचों या सामुदायिक स्थानों के सौंदर्यकरण में किया जा सकता है — जैसे बेंच, दीवारें या सजावटी ढांचे बनाने में। इस प्रक्रिया से एक ओर प्लास्टिक कचरे का पुन: उपयोग होता है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है। “वेस्ट टू बेस्ट” और “ईको ब्रिक्स” जैसी गतिविधियां बच्चों में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित करती हैं और स्वच्छ भारत की दिशा में एक ठोस कदम साबित होती हैं।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में शिक्षा विभाग का अनूठा कदम
पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और विद्यार्थियों में स्वच्छता की भावना विकसित करने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग पाली ने इस दीपावली अवकाश पर एक सराहनीय पहल की है। इस पहल के तहत जिले के सभी सरकारी व गैर-सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को दीपावली गृहकार्य के साथ “वेस्ट टू बेस्ट” गतिविधि के रूप में ईको ब्रिक्स बनाने का कार्य सौंपा गया है।
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देशानुसार योजना का क्रियान्वयन
अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी विजय सिंह माली ने बताया कि मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी पाली राहुल कुमार राजपुरोहित के निर्देशानुसार इस बार दीपावली गृहकार्य में विद्यार्थियों को अपने घरों से खराब पॉलिथिन, रैपर और प्लास्टिक की बोतलें एकत्रित कर ईको ब्रिक्स तैयार करनी होंगी।

विद्यार्थियों द्वारा अवकाश के दौरान बनाए गए ईको ब्रिक्स विद्यालय खुलने के बाद स्कूल में जमा करवाए जाएंगे। विद्यालय स्तर पर एकीकृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के माध्यम से जिला शिक्षा कार्यालय को भेजी जाएगी।
ईको ब्रिक्स बनाने की प्रक्रिया
शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों को ईको ब्रिक्स बनाने की आसान विधि भी बताई है, ताकि हर बच्चा इसमें भाग ले सके।
निर्माण की विधि इस प्रकार है:
- खाली प्लास्टिक बोतल लें।
- उसमें खराब पॉलिथिन थैली, रैपर, पैकेजिंग सामग्री या अन्य प्लास्टिक कचरा डालें।
- बोतल को ठूंस-ठूंस कर भरें ताकि उसमें खाली जगह न रहे।
- बोतल का ढक्कन कसकर बंद करें।
- तैयार है आपका ईको ब्रिक।

इन ईको ब्रिक्स का उपयोग विद्यालय सौंदर्यकरण, बेंच निर्माण, गार्डन डिवाइडर या अन्य रचनात्मक गतिविधियों में किया जा सकता है।
विद्यालयों में हो रहा प्रचार-प्रसार
देसूरी ब्लॉक सहित जिले के अन्य सभी सरकारी और गैर-सरकारी विद्यालयों में संस्था प्रधान प्रार्थना सभा के माध्यम से विद्यार्थियों को इस गतिविधि के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विद्यार्थी उत्साहपूर्वक इस कार्य में भाग ले रहे हैं और घरों में ईको ब्रिक्स तैयार कर रहे हैं।
जनभागीदारी से मिलेगा बड़ा परिणाम
शिक्षा विभाग की इस नवाचारी पहल का स्वागत संस्था प्रधानों, शिक्षकों, एसएमसी एवं एसडीएमसी सदस्यों, अभिभावकों और विद्यार्थियों ने किया है। सभी का मानना है कि यह छोटा कदम बच्चों में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित करेगा और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा।
पाली शिक्षा विभाग की यह पहल सिर्फ एक गृहकार्य नहीं बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है — “कचरा भी संसाधन बन सकता है, बस सोच बदलनी चाहिए।”
ऐसी पहलें न केवल बच्चों में रचनात्मकता लाती हैं बल्कि आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में प्रेरित भी करती हैं।











