
धनबाद। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर झारखंड की समृद्ध आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने के उद्देश्य से पश्चिमी टुंडी के मछियारा में बृहद तीरंदाज प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। इस आयोजन को “बेझा जोस” नाम दिया गया है। कार्यक्रम के आयोजकों ने एक अनूठी परंपरा निभाते हुए सखुआ की डाली पर पत्र बांधकर क्षेत्र में निमंत्रण संदेश भेजे।
संस्कृति और खेल को पुनर्जीवित करने का प्रयास
आयोजन समिति के अध्यक्ष गोविंद टुडू ने बताया कि यह कार्यक्रम न केवल तीरंदाजी जैसे परंपरागत खेल को बढ़ावा देने का प्रयास है, बल्कि झारखंड की विलुप्त होती सांस्कृतिक धरोहर और खेल-कूद को भी जीवित रखने का माध्यम बनेगा। मकर संक्रांति के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम में कई अन्य पारंपरिक खेलों की प्रतियोगिताएं भी होंगी।
मुख्य अतिथियों की उपस्थिति से बढ़ेगा आयोजन का गौरव
कार्यक्रम में लुगुबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगाढ ललपनिया के सचिव श्री लोबिन मुर्मू और मारांगबुरू जुग जाहेर थान के अध्यक्ष श्री नुनका टुडू विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। साथ ही धनबाद, गिरिडीह, जामताड़ा, बोकारो, रामगढ़, और रांची से धर्मगुरु, समाजसेवी, मांझी बाबा और सम्मानित बुद्धिजीवी इस आयोजन में उपस्थित रहेंगे।
परंपराओं का अनूठा जश्न
मकर संक्रांति के इस विशेष आयोजन में पारंपरिक खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जो न केवल आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करेंगे, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम भी करेंगे। आयोजन समिति ने इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों से कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की है।
विशेष संदेश
सखुआ की डाली पर निमंत्रण संदेश भेजने की परंपरा ने न केवल क्षेत्र के लोगों को आकर्षित किया है, बल्कि झारखंड की आदिवासी संस्कृति और प्रकृति प्रेम का भी संदेश दिया है। इस अनूठे प्रयास को लेकर पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और नए आयाम देने का यह प्रयास निश्चित रूप से मकर संक्रांति पर एक ऐतिहासिक पहल बनेगा।