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सरस्वती विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक सादड़ी मातृशक्ति सम्मेलन सम्पन्न

वक्ताओं ने कहा माता की जिम्मेदारी पिता से भी ज्यादा। 

आदर्श शिक्षा संस्थान बाली द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक सादड़ी में मातृशक्ति सम्मेलन रविवार को संपन्न हुआ। सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री श्री 1008 श्री बालक नाथ जी महाराज गादीपति रघुनाथ पीर आश्रम ढालोप, विशिष्ठ अतिथि श्रीमती भावना शर्मा पार्षद- नगर पालिका सादड़ी, मुख्य वक्ता श्रीमान उगम सिंह जी पंवार-सेवानिवृत्ति मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बाली व प्रबंध समिति सदस्य श्रीमान हरीसिंहजी राजपुरोहित व स्थानीय विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोहरलाल जी सोलंकी, सहायक प्रधानाचार्य भेराराम परिहार ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

अतिथि स्वागत व परिचय-सहायक प्रधानाचार्य भेराराम परिहार ने करवाया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यवक्ता श्री उगमसिंह जी पंवार ने बताया कि मैं भी बहुत सारे विद्यालय देखें परंतु इतनी मातृशक्ति कहीं पर नहीं देखी आज हमारे बच्चों को इस विद्यालय में शिक्षा के साथ संस्कार भी दिए जाते हैं। शिक्षा खरीदी जा सकती है, लेकिन संस्कार खरीदे नहीं जा सकते।

मुख्य अतिथि श्री श्री 1008 बालक नाथ जी महाराज ने कहां की माताएं भी सरस्वती का रूप है। हमारे मस्तिष्क में 108 नाडिया है एक स्वर है तो दूसरी सती।

जैन मुनि मा.प्रेम रतन सूरिजी ने कहा- बालक परिवार में माता-पिता से व्यवहार सीखता है। मां बालक की प्रथम गुरु तथा परिवार प्रथम पाठशाला होती हैं। वर्तमान में चिंता का विषय है कि बालक मोबाइल एवं टेलीविजन के ज्यादा नजदीक रहता है बालकों को सच्ची देशभक्ति की कहानी सुननी चाहिए। केवल भौतिक सुख सुविधा देने से बालकों का भविष्य नहीं बनता है खेलने की उम्र में बच्चों पर ज्यादा दबाव नहीं देना चाहिए।

मातृ भारती अध्यक्ष श्रीमती संतोष जी ने घर के कार्यों में बहनों को निपुण करना इसके बारे में बताया।

मातृ सम्मेलन में 273 माता व बहने उपस्थित रही। अंत मे आभार प्रकट हरिसिंहजी राजपुरोहित द्वारा किया गया।

आज का मंच संचालन रिंकू कुमारी ने किया तथा प्रतिवेदन प्रस्तुत विद्या जी ने किया तथा मातृशक्ति को रामायण के प्रश्नोत्तर अरुणा जी द्वारा किए गए।

आज के कार्यक्रम में उपस्थित सरस्वती विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक के प्रधानाचार्य श्रीमान मनोहर लाल जी सोलंकी सहायक प्रधानाचार्य भेराराम जी व शिशु वाटिका, शिशु मंदिर, शिशु निकेतन के प्रधानाचार्य प्रद्युमन सिंह जी, मुकेश जी, उमाजी तथा समस्त आचार्य एवं दीदी जी उपस्थित रहे।

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