सरस्वती विद्या मंदिर सादड़ी में ‘सप्तशक्ति संगम मातृ सम्मेलन’ का भव्य आयोजन

सादड़ी। सरस्वती विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय, सादड़ी में ‘सप्तशक्ति संगम मातृ सम्मेलन’ का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं ओम स्वास्तिक के समक्ष दीप प्रज्वलन और वंदना के साथ किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता फूली कुमारी जाट ने की, मुख्य अतिथि सुमन न्यौल और मुख्य वक्ता श्रीमती दीपिका रहीं। अतिथियों का स्वागत क्रमशः श्रीमती संतोष माली, श्रीमती नीतू शर्मा, श्रीमती रेखा देवी, श्रीमती पूजा त्रिवेदी,एवं उमा गौड़ द्वारा किया गया।
अतिथि परिचय एवं स्वागत आचार्या इंद्रा प्रजापत ने करवाया।

मुख्य वक्ता श्रीमती दीपिका ने ‘सप्तशक्ति संगम’ विषय पर बोलते हुए कहा कि नारी शक्ति ममता, संवेदना, कीर्ति, मेधा, वाणी, स्मृति और करुणा का संगम है। उन्होंने बताया कि नारी समाज की आधारशिला है और यदि वह अपनी संस्कृति एवं संस्कारों से जुड़ी रहे तो राष्ट्र स्वतः सशक्त होता है।
उन्होंने पाँच परिवर्तन — भूषा, भाषा, भवन, भजन और भ्रमण — के माध्यम से भारतीय संस्कृति के संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि नारी आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है, यही शक्ति भारत को पुनः विश्वगुरु बनाएगी।

कार्यक्रम के दौरान विद्यालय की बालिकाओं ने “हम मातृशक्ति आद्य शक्ति कर्म योगिनी” गीत प्रस्तुत किया। इसके अलावा महारानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई होलकर, आनंदीबाई, सावित्रीबाई फुले और द्रौपदी मुर्मू की भूमिकाओं पर आधारित प्रेरक प्रस्तुतियाँ दी गईं।
आचार्य अरुणा पंवार ने महिला सशक्तिकरण विषय पर प्रश्नोत्तरी आयोजित की, जिससे कार्यक्रम और रोचक बन गया। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वाली मेथी बाई महेंद्र नगर को सम्मानित किया गया। संयुक्त परिवार में कुटुंब व्यवस्था का संचालन करने वाली महिला पूजा त्रिवेदी को सम्मानित किया गया।

शिशु वाटिका प्रधानाचार्य उमा गौड़ ने कहा कि “जहाँ नारियों की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं।”
संतोष माली ने धन के सदुपयोग और परोपकार के महत्व पर विचार व्यक्त किए।
अंत में अध्यक्ष फूली जाट ने सम्मेलन के निष्कर्ष में कहा कि “संगठन ही शक्ति है — नारी शक्ति इस कलियुग में भी सतयुग ला सकती है।”
लक्षिता गोस्वामी ने उपस्थित 186 माताओ मातृशक्ति को सप्तशक्ति जागरण की प्रतिज्ञा दिलाई।
कार्यक्रम का समापन शांति मंत्र और अल्पाहार के साथ हुआ।











