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सरस्वती विद्या मंदिर सादड़ी में स्वर्ण प्राशन शिविर आयोजित किया गया
स्वर्ण प्राशन भारतीय संस्कृति अनुसार 16 संस्कारों में से एक संस्कार है, जो जन्म से 16 वर्ष तक के बच्चों में किया जाता है किंतु बच्चों के मस्तिष्क का 90% विकास 5 वर्ष की आयु तक हो जाता है। अतः इस आयु में विशेष महत्व है।
सुवर्ण प्राशन बच्चों में रोग होने से पूर्व स्वस्थ रखने का आयुर्वेदिक टिका है । इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है , स्मृति बढ़ती है , भूख बढ़ाता है व पाचन तंत्र को ठीक करता है । यह बैक्टीरिया एवं वायरस के इंफेक्शन से बचाता है । शक्ति वर्धक रूप निखार एवं एलर्जी रोधी है । सुवर्ण प्राशन पुष्य नक्षत्र के दिन पिलाया जाता है जो की अति लाभदायक है । अतः शिविर के अंतर्गत सरस्वती शिशु वाटिका में 71 बच्चों , सरस्वती शिशु मंदिर में 50 बच्चों , सरस्वती शिशु निकेतन में 28 बच्चों , व माध्यमिक भाग में 70 बच्चों को सुवर्ण प्राशन पिलाया गया ।