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सादड़ी पालिका क्षेत्र में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर, नरेगा श्रमिक से मांगा गया कमीशन

सादड़ी पालिका क्षेत्र में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर, नरेगा श्रमिक से हाजरी भरने के एवज में मांगा गया कमीशन

गोडवाड़ की आवाज। सादड़ी नगरपालिका क्षेत्र में सरकार द्वारा प्रदेशवासियों को रोजगार की गारंटी के तहत चल रहे कार्य में भी घोटाले सामने आ रहे है। नरेगा पर कार्यरत मैट द्वारा श्रमिको पर अवैध वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस सब पर जब नगरपालिका अधिशासी अधिकारी नरपत सिंह से बात कर जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा की मामले की जानकारी नही है, लिखित में शिकायत दो तो कार्यवाही करता हूं।

प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से शहरी इलाकों में भी गांवो की तर्ज पर नरेगा कार्य शुरू किए गए है। लेकिन प्रारंभ से ही संज्ञान में आ रहा था की कार्यस्थल पर श्रमिक के स्थान पर कोई दूसरा कार्य कर रहा है या श्रमिक की अनुपस्थिति में भी उसकी प्रजेंट लग रही है या श्रमिक से किसी न किसी बहाने कमीशन की मांग की जाती है।

मंगलवार को परशुराम बगेची छात्रावास के समीप चल रहे मनरेगा पर श्रमिक निर्मला को हाजिरी लगाने के बदले कमीशन राशि देने के लिए दबाव बनाया गया।
दरहसल मैट ने निर्मला को कहा की आपके जॉब कार्ड में आपकी सास का नाम है, नियम के हिसाब से यहां कार्य करने के लिए आपकी सास को आना होगा। मैट मीना ने श्रमिक से कहा की सास के स्थान पर आपको लगा दूंगी लेकिन आपको कुछ कमीशन राशि देनी होंगी। इसके लिए मुझे कार्यस्थल पर आने वाले जांच अधिकारी को भी संभालना पड़ेगा। मैट ने कहा की जांच अधिकारी के समक्ष मैं झूठ बोल दूंगी की इनकी सास की तबियत खराब हो गई इसलिए इनको लगाया है।

श्रमिक निर्मला ने बताया कि मेरे जॉब कार्ड में पहले पेज पर मेरी सास का नाम है जो परिवार की मुखिया है और 60 वर्ष से अधिक उम्र की है। फैमिली पर जाने के लिए जॉब कार्ड बनवाया और इमित्रा से कार्य की मांग भी की गई। लेकिन महीनो बीतने के बाद तक भी किसी तरह का रिस्पॉन्स नही मिला तो नगरपालिका में जाकर मौखिक रूप से कार्य की डिमांड की गई। 1 अगस्त को जब परशुराम बगेची झूपा कार्य स्थल पहुंची तो वहां मैट मीना ने कहा की यहां आपकी सास का नाम आया है आपका नही, अगर आपको लगना है तो सास के स्थान पर लगा देंगे, जांच दल को संभालने की जिम्मेदारी में उठा रही हू इसलिए कमीशन राशि देनी होगी।

अब सवाल यह उठता है की योजना के अनुसार सरकार ने 18से 60 वर्ष तक के व्यक्तियों को पात्र बनाया है, तो नगरपालिका सादड़ी को यह क्या हो गया है जो उल जलूल में हमेशा अपने कायदे कानून थोकने के लिए उतावली रहती है। तो वही नगरपालिका के ईओ नरपत सिंह को ये सब बातें ज्यादा गंभीर नहीं लगती क्योंकि जब गोड़वाड़ की आवाज ने उनसे संपर्क साध कहा की मैट हाजिरी भरने के लिए कमीशन मांग रही है। इस पर उन्होंने सिर्फ यह कहा की कार्यालय आकर लिखित रूप में मुझे दे दो, मैं कार्यवाही करता हु। उनका क्या कहना है जानने के लिए उनसे पूछा गया लेकिन मामले पर उन्होंने पल्ला झाड़ दिया। यहां तक कि उन्होंने मामले की जानकारी लेने की चेष्टा भी नही की है।

JOB CARD APPLY पालिका क्षेत्र में किसी की जवाबदेही तय नहीं, इसलिए योजना की मूलभूत जानकारी के अभाव में कर दिए आधे अधूरे आवेदन

जॉब कार्ड के रजिस्ट्रेशन पालिका परिसर में निशुल्क शुरू किए गए थे। लेकिन योजना के पूर्व अध्ययन बिना ही रजिस्ट्रेशन आमजनों को इतना महंगा पड़ा की अभी तक ई मित्रो के चक्कर काट रहे है। दरहसल योजना में एक जन आधार एक बार ही रजिस्ट्रेशन होता है। जॉब कार्ड में श्रमिक का चयन करने के लिए सदस्य की बैंक खाता नंबर जन आधार में अपडेट होना अनिवार्य था। लेकिन जैसे जन आधार में मुखिया की बैंक डिटेल जुड़ी हुई ही होती है। मुखिया के अलावा अन्य सदस्यों की बैंक डिटेल आवश्यकता अनुसार ग्रामीण जुड़वाते है।
पालिका क्षेत्र मे ऑपरेटर ने जन आधार से OTP भेजे और जॉब कार्ड बना दिया। अब जॉब कार्ड धारक को लगता है की मेरी बालिग पुत्री या पुत्रवधु को मनरेगा में भेजना है तो यह संभव नही होगा। क्योंकि जॉब कार्ड नॉन एडिटेबल रहता है। पालिका क्षेत्र मे जॉब कार्ड बना रहे ऑपरेटर को पूर्व जानकारी दी गई होती तो वे ग्रामीणों को कहते की यदि 18वर्ष से ऊपर के अन्य सदस्य मे से कोई मनरेगा योजना में पंजीकृत होना चाहता है तो वे अपनी बैंक खाता की जानकारी जन आधार में अपडेट कराए।

NFSA के पात्र फॉर्म रिजेक्ट किए
पालिका के कार्मिकों की कार्यशैली पर सवाल उठता है जब उन्होंने खाद्य सुरक्षा के पात्र फॉर्म को रिजेक्ट कर दिया।
बारली सादड़ी निवासी कस्तूरचंद ने बताया कि मैं पंजीकृत निर्माण श्रमिक हु, पिछले साल मैने इमित्र से खाद्य सुरक्षा में आवेदन किया था जिसमे राजस्थान लेबर पोर्टल द्वारा जारी श्रमिक कार्ड की प्रति लगवाई थी। लेकिन फिर भी नगरपालिका से मेरा फॉर्म प्रथम चरण में ही रिजेक्ट कर दिया गया। इसी तरह अनेको पात्र फॉर्म को रिजेक्ट कर दिया गया। जबकि कुछ अपशिष्ट फॉर्म को अप्रूवल किया गया। हालाकि वे भी अगले चरण में नियमानुसार रिजेक्ट हो गए।

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