सोलहवीं राजस्थान विधानसभा का तृतीय सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
सोलहवीं राजस्थान विधान सभा के तृतीय सत्र की समीक्षा— 24 बैठकों के साथ 181 घंटे 52 मिनट चला सदन

राजस्थान विधान सभा को देश की आदर्श विधान सभा बनाने का आव्हान
95 प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर प्राप्त, आय-व्ययक अनुमान पर एक दिवस अधिक चर्चा
राजस्थान विधान सभा में तीन सत्र चलाये जाने की मंशा जताई विधान सभा अध्यक्ष ने — 2841 लोगों ने देखी विधानसभा की कार्यवाही
जयपुर। राजस्थान विधानसभा का तृतीय सत्र सोमवार, 24 मार्च को रात 08:26 बजे राष्ट्रगान के साथ अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने जानकारी दी कि इस सत्र से विधानसभा की कार्यवाही को पेपरलेस करने की शुरुआत की गई। सदन में आईपैड के माध्यम से काम किया गया और सदन को गुलाबी रंग में नया स्वरूप प्रदान किया गया। उन्होंने सभी विधायकों से अपील की कि वे मिलकर राजस्थान विधानसभा को देश की आदर्श विधानसभा बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएं।
प्रश्नोत्तर प्रक्रिया में ऐतिहासिक उपलब्धि
सत्र में विधायकों से कुल 9800 प्रश्न प्राप्त हुए, जिनमें 4480 तारांकित, 5302 अतारांकित और 18 अल्प सूचना प्रश्न थे। कुल 516 तारांकित प्रश्न सूचीबद्ध हुए, जिनमें से 288 प्रश्न मौखिक रूप से पूछे गए और उत्तर दिए गए। वहीं 576 अतारांकित प्रश्न सूचीबद्ध हुए। पिछले सत्र में 8088 प्रश्न प्राप्त हुए थे। अब तक प्रथम और द्वितीय सत्र मिलाकर 10049 प्रश्नों में से 9453 प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो चुके हैं और केवल 596 प्रश्न शेष हैं। यह अब तक का सबसे अधिक प्रतिशत है, जिसमें 95% प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हुए हैं।
स्थगन प्रस्तावों की स्थिति (नियम 50)
इस सत्र में नियम 50 के तहत 231 स्थगन प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनमें से 71 पर सदन में चर्चा हुई और 63 विधायकों ने अपने विचार रखे। पिछले सत्र में 194 स्थगन प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिनमें से 54 पर चर्चा हुई थी।
विशेष उल्लेख प्रस्ताव (नियम 295)
नियम 295 के तहत 337 विशेष उल्लेख प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनमें से 293 को पढ़ा गया या पढ़ा हुआ माना गया। 92 सूचनाओं पर राज्य सरकार से जानकारी प्राप्त हुई है, जबकि 40 सूचनाएं विधायकों की अनुपस्थिति के कारण व्यपगत हुईं। पिछले सत्र में 280 विशेष उल्लेख प्राप्त हुए थे, जिनमें से 255 पढ़े गए और 245 पर सरकार से जानकारी मिल चुकी थी।
पर्चियों की स्थिति
सत्र में कुल 767 पर्चियां प्राप्त हुईं, जिनमें से 84 पर्चियां शलाका द्वारा चयनित की गईं और विधायकों ने अपने विचार रखे। पिछले सत्र में 808 पर्चियां आई थीं, जिनमें से 72 चयनित की गई थीं।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव (नियम 131)
सत्र में 811 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनमें से 7 प्रस्ताव अग्राह्य किए गए। शेष 804 प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे गए, जिनमें से 400 के उत्तर प्राप्त हो चुके हैं। कुल 28 प्रस्ताव कार्यसूची में सूचीबद्ध किए गए। पिछले सत्र में 748 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिनमें से 14 अग्राह्य हुए और 734 प्रस्तावों में से 689 के उत्तर मिले थे।
बजट और अनुदानों पर चर्चा
आय-व्ययक अनुमान वर्ष 2025-26 को 19 फरवरी को सदन में प्रस्तुत किया गया। इस पर पांच दिन चर्चा हुई, जिसमें 96 विधायकों ने भाग लिया। उप मुख्यमंत्री ने 27 फरवरी को सरकार की ओर से उत्तर दिया।
64 अनुदानों की मांगों में से 17 अनुदानों पर 8 दिन चर्चा की गई। 4319 कटौती प्रस्ताव आए, जिनमें से 3789 प्रस्तुत किए गए और 530 प्रस्ताव अग्राह्य हुए। इस चर्चा में कुल 349 विधायकों ने भाग लिया।
विधायी कार्य
सत्र में कुल 12 विधेयक पुनःस्थापित किए गए, जिनमें से 10 विधेयक पारित हुए और 3 प्रवर समिति को भेजे गए। विधेयकों पर 210 संशोधन प्रस्ताव आए, जिनमें से 39 अग्राह्य और 171 संशोधन स्वीकार किए गए। पिछले सत्र में 5 विधेयक पुनःस्थापित हुए थे, जिनमें से 3 पारित और 1 प्रवर समिति को भेजा गया था।
याचिकाएं और प्रतिवेदन
सत्र में 55 याचिकाएं प्रस्तुत की गईं, जबकि पिछले सत्र में 19 याचिकाएं प्रस्तुत हुई थीं। विभिन्न समितियों के 17 प्रतिवेदन सदन में रखे गए, जबकि पिछले सत्र में 20 प्रतिवेदन प्रस्तुत हुए थे।
तीन सत्र आयोजित करने का प्रस्ताव
अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि राजस्थान विधानसभा में भी लोकसभा और अन्य विधानसभाओं की तरह वर्ष में तीन सत्र आयोजित किए जाएं, ताकि विधायकों को अधिक भागीदारी का अवसर मिल सके।
आभार प्रदर्शन
अध्यक्ष ने विधायकों, सभापति तालिका के सदस्यों, सदन के नेता, नेता प्रतिपक्ष, सरकारी मुख्य सचेतक, विधानसभा के अधिकारियों, कर्मचारियों, राज्य सरकार के विभागीय प्रतिनिधियों, पुलिस विभाग और मीडियाकर्मियों का सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
दर्शकों की भागीदारी
इस सत्र की कार्यवाही को 2841 लोगों ने दर्शक दीर्घा में बैठकर देखा। इसके अलावा विधानसभा के राजनैतिक आख्यान संग्रहालय को अब तक 14 हजार लोग देख चुके हैं। यह सत्र कई मामलों में ऐतिहासिक रहा, जहां प्रश्नोत्तर प्रक्रिया, विशेष उल्लेख, ध्यानाकर्षण और विधायी कार्यों में रिकॉर्ड गतिविधि दर्ज की गई। विधानसभा की कार्यप्रणाली में डिजिटल बदलाव के साथ-साथ कार्यवाही को जनता तक पहुंचाने में भी उल्लेखनीय प्रयास किए गए।