हरि शेवा उदासीन आश्रम में सतगुरु बाबा शेवाराम साहब का 109वां प्राकट्य उत्सव धूमधाम से मनाया गया

भीलवाड़ा-मूलचन्द पेसवानी। हरि शेवा उदासीन आश्रम के आराध्य सतगुरु बाबा शेवाराम साहब जी का 109वां वार्षिक दो दिवसीय प्राकट्य उत्सव शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के वातावरण में सम्पन्न हुआ। आश्रम परिसर में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आयोजित इस उत्सव में संत-महात्माओं, अनुयायियों एवं समाज के गणमान्यजनों ने भाग लेकर बाबा जी के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित की।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातःकाल 5 से 6 बजे तक गुरुओं की समाधियों पर महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन के सान्निध्य में मौन एकाग्रचित ध्यान वंदन से हुआ। तत्पश्चात वैदिक मंत्रोच्चार के बीच धर्म ध्वजारोहण किया गया। श्रद्धालुओं ने दरबार साहब, हरिसिद्धेश्वर मंदिर, समाधि साहिब, धूणा साहिब और आसण साहिब पर शीश नवाकर पूजन-अर्चन किया। अखंड श्रीरामायण पाठ के पूर्ण होने पर भोग साहब पड़ा तथा संतों-महात्माओं निर्वाण मंडल द्वारा बाबा जी के प्राकट्य दिवस पर लड्डू महाप्रसाद का भोग लगाया गया।

आरती और अरदास के पश्चात संत-महात्माओं का भंडारा एवं आम भंडारा हुआ। नगर की बस्तियों में भी अन्नक्षेत्र सेवा आयोजित की गई। इस दौरान भजन संकीर्तन, ढोल-नगाड़ों और बैंड की धुनों पर श्रद्धालु झूम उठे। हवन यज्ञ में उपस्थित श्रद्धालुओं ने आहुतियां देकर विश्व शांति की कामना की।
सत्संग प्रवचन श्रृंखला में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने “हम भिखत भिखारी तेरे” और “जेको राम जपंदो सो संसार मां तरंदो” जैसे भजनों के माध्यम से भक्तिभाव जगाया। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि “हरि शेवा रूपी वट आज जिस प्रकार पल्लवित हो रहा है, वह सतगुरु बाबा शेवाराम साहब की अनंत कृपा का परिणाम है।” उन्होंने जीवन में सद्कर्म, सेवा और सुमिरन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “मनुष्य को सोच-समझकर कर्म करना चाहिए, क्योंकि पाप कर्मों का फल सत्कर्मों के प्रभाव को नष्ट कर देता है।”
स्वामी हंसराम उदासीन ने कहा कि “प्राणी को परमात्मा के सिवा किसी से कुछ नहीं मांगना चाहिए, क्योंकि यदि वह कृपा दृष्टि रखता है तो संसार में कोई भी चीज असंभव नहीं रहती।”
इस अवसर पर संत मायाराम, संत राजाराम, संत गोविंदराम, ब्रह्मचारी संत इंद्रदेव, सिद्धार्थ, कुणाल और मिहिर ने भजनों और गुरुगान से वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। सायंकालीन सत्र में नितनेम और प्रवचन के साथ सतगुरुओं की समाधियों पर विशेष पूजन एवं वस्त्र-चादर अर्पण किया गया। रात्रि में उत्सव का समापन विश्राम पल्लव के साथ हुआ, जिसमें सर्वत्र सुख-शांति की प्रार्थना की गई।
उत्सव में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के अलावा अजमेर के ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महंत स्वरूपदास, पुष्कर के महंत हनुमानराम, किशनगढ़ के महंत श्यामदास, राजकोट के महंत अमरदास, स्वामी अर्जनदास, स्वामी ईश्वरदास, इंदौर के स्वामी मोहनदास व संत संतराम सहित अनेक संत-महात्मा उपस्थित रहे।
इस अवसर पर भारतीय सिन्धु सभा के महेन्द्र तीर्थानी, हरि शेवा संस्थान के पदाधिकारी, सदस्यगण और शहर के अनेक गणमान्यजन भी उपस्थित रहे। श्रद्धालुओं ने सत्संग, प्रवचन और भंडारे का लाभ उठाते हुए बाबा शेवाराम साहब की शिक्षाओं को आत्मसात करने का संकल्प लिया।











