गोगामेड़ी आगामी 13 जनवरी 2025 से 26फरवरी 2025 तक होने वाले प्रयागराज में महाकुंभ को प्लास्टिक मुक्त रखने का संकल्प पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के साथ-साथ संत समाज ने भी लिया है। हनुमानगढ जिले की पवित्र धरा गोगामेड़ी भी रविवार को एक थैला व एक थाली महाकुम्भ प्रयागराज भेजने का शंखनाद हुआ।
गोगामेड़ी महंत बालयोगी रूपनाथ ने इस पुनित सेवा कार्य की सराहना करते हुए दो हजार एक थाली व थैला महाकुम्भ प्रयागराज भेजने की घोषणा की। बालयोगी रूपनाथ ने कहा की भविष्य में गोगामेड़ी पर लगने वाले मेले में या अन्य कार्यक्रमों में प्लास्टिक थैली व एक बार काम में आने वाले प्लास्टिक के बर्तन -डिस्पोज काम में नहीं लेने पुण्य कार्य करेंगे। श्रीगंगानगर विभाग संयोजक तारा चन्द रत्तन ने बताया कि पिछ्ले 7 वर्षों से भारत वर्ष में पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के हजारों कार्यकर्ता पेड़ लगाने व उसका संरक्षण करने, जल का संरक्षण व सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने आदि इस पुनित कार्य को जन जागरण के माध्यम से करने में जुटे हुए हैं।
इस बार स्वच्छ व हरित महाकुम्भ के लिए प्रयागराज में पहुंचने वाले प्रत्येक भक्त जन को एक थाली एक थैला उप्लब्ध करवाया जायेगा जिनके उपयोग से महाकुम्भ में किसी भी प्रकार का प्लास्टिक कचरा नहीं फैलेगा। शिक्षाविद पवन जाखड़ ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण गतिविधि द्वारा सभी मुख्य शहरों व कस्बों में सामुहिक बैठकों क आयोजन किया जा रहा है। अनेकों सामाजिक संगठनों ने उत्साह के साथ सहयोग प्रदान किया है।
इस अवसर पर भारतमाता आश्रम के महंत योगी रामनाथ अवधूत ने बताया कि भारतीय संस्कृति का प्रमुख पर्व एवं आध्यात्मिक संगम महाकुंभ को पर्यावरण संरक्षण के साथ पूर्ण रूप से पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण गतिविधि गोगामेड़ी से अभिनव पहल हूई है। प्रयागराज महाकुंभ के 45 दिनों में अनुमानित 40 करोड़ श्रद्धालु सम्मिलित होने वाले हैं।
यदि हम कल्पना करें कि इतने तीर्थ यात्रियों के भोजन आदि में कितना पॉलिथीन, डिस्पोजल, प्लास्टिक के कागज लग सकता है जो कचरा बनकर तीर्थ नगरी प्रयागराज में पवित्र त्रिवेणी संगम को पूरी तरह से प्रदूषित कर सकता है। महाकुंभ में कुल 40 हजार टन कचरा उत्सर्जित होने का अनुमान है। शासन प्रशासन अपने स्तर पर स्वच्छता कचरा निस्तारण की व्यवस्था करेंगे ही किंतु कचरा ना हो या कम हो यह तो हम कर ही सकते हैं। हमारा प्रयास है कि हम अपना महाकुंभ पर्यावरण अनुकूल बने, हरित कुंभ बने, अपनें संकल्प लिया है कि हर घर से एक थाली एक थैला संग्रहित कर प्रयागराज के तीर्थ यात्रियों तक पहुंचाया जाए। हर कुंभ यात्री के पास भोजन के लिए थाली हो वह भी सामान के लिए थैला हो तो हम कचरे को बहुत कम कर सकते हैं।