भायंदर तपस्वीओ का बहुमान किया गया
- भायंदर
विजय शांतीसुरीश्रवरजी माराज साहेब मंदीर मे गुरू भक्ती मे तपस्वीओ का बहुमान किया गया
भायंदर पशिचम शांती योगी जैन ट्रस्ट 01/09/2024 रविवार ईदरा कोंपलेक्स विश्व की महानतम विभूति युग प्रधान आचार्य सम्राट 1008 विजय शांती सुरीश्रवर माराज साहेब आज शाम को 8:00 बजे विराट गुरूभक्ति हुई आरती ओर मंगल दिपक उतारा गया गुरूदेव अजैन होते हुऐ भी विश्व मे जैन का ङंका बजाया था गुरूदेव का संक्षिप्त जिवन परिचय गुरूदेव का जन्म 25 जनवरी 1890मे वंसत पंचमी के शुभ दिन हुआ था जन्म स्थान मणादर (सिरोही) पिता का नाम -भीम तोला ,माता का नाम वसुदेवी,जाती – अहिर बचपन का नाम-सगतोजी, दिक्षा- रामसीन जालोर मे 9/02/1905मे दिक्षा -तीर्थ विजय मा साहेब से ली थी ।
दादा गुरूदेव- धर्म विजय महाराज साहेब आचार्य पदवी 20/11/1933 को निर्वाण 23/9/1943 को अचलगढ माऊटआबु मे अग्नि संस्कार 27/9/1943 समाधी मंदीर प्रतिष्ठा माणङोली नगर मे वंसत पंचमी को हुई थी यह बोहत ही चमत्कारिक गुरूदेव की प्रतिमा है मागी गई हर मनोकामना पुरी होती है केन्सर जेसे मरीज भी ठीक हो गये है राकेश जे शाह, प्रकाश भाई, नितीन जैन , विक्रम राठोङ,मुणिष छाजेङ, जयतीलाल कोटारी, राजेश मगल मेटल दिलीप नाहटा, दिपक कटारिया, गोपाल पुरोहित, मुनीम केशरीमल आदी भक्त गण पधार कर तपस्वीओ का बहुमान किया वषीतप के आराधक ममता विक्रम राठोङ का बहुमान किया गया।
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