शाहपुरा का कवि सम्मेलन साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का अद्भुत प्रयास
देर रात तक चला कवि सम्मेलन, श्रोताओं ने उठाया भरपूर आनंद
- शाहपुरा
लोक कवि मोहन मंडेला के नाम पर होगा ऑडिटोरियम का निर्माण
लोक कवि मोहन मंडेला स्मृति में आयोजित 27वें कवि सम्मेलन ने शाहपुरा के श्रीराम टॉकीज हॉल में साहित्य और कला का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। साहित्य सृजन कला संगम संस्थान के तत्वावधान में आयोजित इस कवि सम्मेलन में विभिन्न रसों और भावों से भरी कविताओं ने श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा।
इस मौके पर शाहपुरा-बनेड़ा क्षेत्र के विधायक डॉ. लालाराम बैरवा ने ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि शाहपुरा में 1000 व्यक्तियों की क्षमता वाला एक भव्य टाउन हॉल बनाया जाएगा, जिसका नाम लोक कवि मोहन मंडेला के नाम पर रखा जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि इसके लिए बजट जल्द ही पास किया जाएगा।
इस घोषणा का श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया। लोक कवि मोहन मंडेला की स्मृति में आयोजित यह कवि सम्मेलन न केवल साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का एक अद्भुत प्रयास था, बल्कि शाहपुरा क्षेत्र के लिए एक नई शुरुआत का संकेत भी। विधायक डॉ. बैरवा द्वारा ऑडिटोरियम निर्माण की घोषणा ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया। यह कवि सम्मेलन न केवल एक यादगार साहित्यिक शाम रहा, बल्कि लोक कवि मोहन मंडेला के योगदान को भी सच्ची श्रद्धांजलि थी।
कार्यक्रम की प्रमुख झलकियां
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के स्वागत और माल्यार्पण के साथ हुआ। मुख्य अतिथि विधायक डॉ. लालाराम बैरवा ने इस आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह सम्मेलन न केवल साहित्यिक परंपरा को जीवित रखता है, बल्कि लोक कवि मोहन मंडेला जैसे व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि देने का भी एक माध्यम है। उन्होंने क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों का भी जिक्र किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर परिषद सभापति रघुनंदन सोनी ने की। विशिष्ट अतिथियों में एमएलडी एकेडमिक ग्रुप के चेयरमैन चंद्रप्रकाश दुबे और पुलिस उप अधीक्षक ओमप्रकाश विश्नोई मौजूद रहे। सभी अतिथियों का संस्थान की ओर से माल्यार्पण और शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया।
लोक साहित्य सम्मान से नवाजे गए बाबू बंजारा
राजस्थान की हाड़ौती अंचल के सुप्रसिद्ध कवि बाबू बंजारा को वर्ष 2024 का लोक कवि मोहन मंडेला लोक साहित्य सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें सम्मान स्वरूप श्रीफल, शॉल, नकद राशि, और मानपत्र भेंट किया गया। मानपत्र का वाचन संस्थान के अध्यक्ष जयदेव जोशी ने किया।
कवियों ने किया श्रोताओं को मंत्रमुग्ध
श्रीराम टॉकीज का हॉल खचाखच भरा हुआ था, जहां कवियों ने अपने काव्यपाठ से श्रोताओं को कभी हंसाया तो कभी भावुक कर दिया। दिनेश बंटी ने अपनी हास्य कविताओं और फुलझड़ियों से माहौल को ठहाकों से गूंजा दिया। उनकी कविता ‘पड़ोसन’ को खूब सराहा गया। सम्पत कबीर ने अपनी शायरी ‘भला हो हिज्र का…’ और ‘किसी भी दिन नदी पी जाएगी…’ से गंभीर और भावुक वातावरण बनाया। नाथद्वारा के कवि लोकेश महाकाली ने सिचुएशन पोएट्री और प्रेमिका से प्रेम प्रस्ताव के विभिन्न रूप प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। दौसा की कवयित्री सपना सोनी ने अपनी गजल ‘रिश्ता हमसे बातें उनसे…’ सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। मुंबई से आए लाफ्टर चैंपियन पं. सुनील व्यास ने बचपन की मासूमियत और मां के त्याग को अपनी कविताओं में उकेरा। चित्तौड़गढ़ के प्रसिद्ध गीतकार रमेश शर्मा ने ‘जब गरजे तब बरसे नहीं…’ और ‘बारिशें न मन छुएंगी…’ जैसे गीतों से सम्मेलन को साहित्यिक गरिमा प्रदान की। सत्येंद्र मंडेला ने राजस्थानी भाषा में अपनी कविताओं से लोक संस्कृति की झलक प्रस्तुत की।
संचालन ने जीता सबका दिल
कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध मंच संचालक राव अजातशत्रु ने किया। उनकी चुटीली टिप्पणियां और प्रभावशाली काव्यपाठ ने पूरे कवि सम्मेलन में उत्साह बनाए रखा। उनकी कविता ‘कविता जिंदाबाद…’ को खूब सराहा गया।
लोक कवि मोहन मंडेला को श्रद्धांजलि
कार्यक्रम के अंतिम चरण में कवि सम्मेलन के संयोजक डॉ. कैलाश मंडेला ने लोक कवि मोहन मंडेला की प्रसिद्ध रचना ‘छबळक-छबळक’ सुनाई, जिसने पूरे हॉल को भावुक कर दिया। इसके बाद उनकी प्रसिद्ध ‘हेली सुणजे ए’ और ‘हेली मेळो लाग्यो भारी…’ गीतों ने समां बांध दिया। श्रोताओं ने दो मिनट तक खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से लोक कवि मोहन मंडेला को श्रद्धांजलि दी।
संस्थान अध्यक्ष जयदेव जोशी ने सभी अतिथियों, श्रोताओं, और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने आयोजन को सफल बनाने में शिवप्रकाश जोशी, पं. सुनील भट्ट, सत्यव्रत वैष्णव, आमीन शेख, शांति लाल मामोड़िया, नगर परिषद और थानाधिकारी माया बैरवा सहित अन्य सदस्यों के योगदान की सराहना की।