मुंबई
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री शंकर ठक्कर ने बताया इस वर्ष में रूसी सूरजमुखी क्रशिंग कंपनियों की कुल क्षमता 1.475 मिलियन बढ़ जाएगी। चालू वर्ष में टन के अनुसार विश्लेषणात्मक केंद्र। विशेषज्ञों का मानना है, “उत्पादन क्षमता न केवल इस साल की फसल, बल्कि सभी अवशेषों को संसाधित करने के लिए पर्याप्त होगी – अधिशेष क्षमता 1.2 मिलियन टन होने का अनुमान है।” यह भी निर्दिष्ट है कि विशेषज्ञों के अनुसार, रूसी सूरजमुखी की सकल फसल लगभग 17.6 मिलियन टन हो सकती है।
- दूसरी तरफ उत्पादन बढ़ने से निर्यात को बढ़ावा देने हेतु 1 मई 2024 से रूस से सूरजमुखी तेल के निर्यात पर शुन्य शुल्क की घोषणा की है। मिल निर्यात शुल्क का आकार काफी कम हो जाएगा – 3,403.9 रूबल से प्रति टन 2,389.6 रूबल तक प्रति टन होगा।
- सांकेतिक कीमतें, जिसके आधार पर कर्तव्यों की गणना की जाती है, सूरजमुखी तेल के लिए $766.7 प्रति टन ($768.6 प्रति टन एक महीने पहले), की बजाय जबकि मिल के लिए $205.9 प्रति टन ($224.7) होगी।
- सूरजमुखी तेल पर शुल्क आधार मूल्य (82,500 रूबल प्रति टन) और सांकेतिक मूल्य (महीने के लिए बाजार कीमतों का अंकगणितीय औसत) के बीच अंतर का 70% है।
- सूरजमुखी मिल पर निर्यात शुल्क की गणना सूत्र का उपयोग करके सांकेतिक मूल्य (महीने के लिए बाजार कीमतों का अंकगणितीय औसत) और आधार मूल्य (15,875 रूबल प्रति टन) के बीच अंतर को समायोजन कारक (0.7) से गुणा करके की जाती है।
शंकर ठक्कर ने आगे कहा युद्ध के चलते रूस लगातार सूरजमुखी तेल का निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रहा है जिसके चलते घरेलू बाजार में पहली बार पाम तेल और सोया तेल के मुकाबले सूरजमुखी तेल सस्ता बिक रहा है। रूस में उत्पादन में हुई बढ़ोतरी और प्रसंस्करण की क्षमता बढ़ाने से और निर्यात शुल्क शून्य करने से घरेलू बाजारों में भी सूरजमुखी के दाम कम होने की संभावनाये बन रही है।
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