जयपुर।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज अभय कुमार ने आगामी मानसून सीजन में प्रदेश में सघन पौधारोपण की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव शनिवार को शासन सचिवालय के समिति कक्ष द्वितीय में इस संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे।
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उन्होंने निर्देश दिए कि सभी जिलों में जिला परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अपने जिले के जिला वन अधिकारी से समन्वय कर अन्य विभागों के सहयोग से 25 मई तक आवश्यक रूप से कार्ययोजना तैयार करें।
उन्होंने कहा कि विद्यालयों, कार्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों, सामुदायिक मैदान, सड़क के किनारे आदि में खाली भूमि पर स्थानीय जलवायु के अनुकूल प्लांटेशन किया जाए। इसके लिए उन्होंने सभी विभागों जैसे पंचायती राज, वन, शिक्षा ,मनरेगा, जल संसाधन, नगर निगम, हॉर्टिकल्चर, राजीविका आदि को साथ मिलकर इसे सफल बनाने में अपना पूर्ण सहयोग देने के निर्देश दिए।
अभय कुमार ने कहा कि पौधे लगाने के साथ ही उनकी सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि न केवल पौधे लगें बल्कि पनपें भी। पौधे लगाने से पूर्व हर एक पौधे की जिओ टैगिंग, पौधरोपण स्थल की फेंसिंग, पौधों की पर्याप्त उपलब्धता एक जून से 30 जून तक सुनिश्चित करे। साथ ही सभी जिलों में एक जुलाई से 15 अगस्त तक पौधारोपण अभियान क्रियान्वित किया जाये। उन्होंने कहा कि इस अभियान में आमजन की सहभागिता सुनिश्चित की जाए।
अभय कुमार ने विशेष रूप से घास के बीज का पर्याप्त इंतजाम करने के निर्देश दिए जिससे आगामी मानसून में राज्य में चारागाह विकसित हो सकें। उन्होंने कहा कि राजस्थान की अर्थव्यवस्था का मूल आधार पशुधन है। ऐसे में पशुधन के चारे के लिए व्यापक चारागाह का होना महत्वपूर्ण है। उन्होंने हर जिले को अपने घास के बीज बैंक को बढ़ाने और चारागाह को विकसित करने के निर्देश दिए जिससे नेचुरल हैबिटैट बना रहे।
शासन सचिव स्कूल शिक्षा कृष्ण कुणाल ने कहा कि इस अभियान में परिवारों और समाज की जोड़ने की कोशिश करें। शिक्षा विभाग को निर्देशित किया कि नवाचार कर आमजन को पौधारोपण के लिए प्रेरित करे। हर विद्यालय के नोडल अधिकारी विद्यार्थियों को पौधा लगाने को प्रोत्साहित करें और मॉनिटरिंग के लिए डैशबोर्ड और मोबाईल एप की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
आयुक्त एवं शासन सचिव पंचायती राज रवि जैन ने कहा कि मरुस्थल के प्रसार को रोकने और पशुधन के संरक्षण के लिए चारागाह को बढ़ावा देना आवश्यक है। बैठक में जिला वन मंडल अधिकारी, जिला परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जल संसाधन तथा वाटरशेड के जिला स्तरीय अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े।
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