जांगिड़ समाज पाली का शिक्षा के क्षैत्र में 11 लाख का अनुकरणीय योगदान
- पाली
श्री विश्वकर्मा शिक्षा समिति सम्पूर्ण पाली जिला के निर्माणाधीन चार मंजिला छात्रावास एवं समाज भवन के कार्य की प्रगति को देखकर श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज सेवा समिति पाली द्वारा पिछले दिनों सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर शिक्षा समिति की संस्थापक सदस्यता ग्रहण करने का निर्णय लिया गया था।
जिसके तहत गुरुवार को शिक्षा समिति संरक्षक भंवरलाल गुगरीयां दुदौड़ , अध्यक्ष भंवरलाल आसदेव हिगोला, जिला अध्यक्ष एवं सचिव ओमप्रकाश लूंजा पाली को श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज सेवा समिति अध्यक्ष रामचन्द्र पीड़वा, उपाध्यक्ष बंशीलाल उमराणियां, सचिव राजेंद्र जोपिग, कोषाध्यक्ष पारसमल बुढ़ल सहित कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा 11 लाख रूपए का चेक भेट कर संस्थापक सदस्यता ग्रहण की गई। समिति अध्यक्ष रामचन्द्र पीड़वा ने कहां कि श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज सेवा समिति पाली द्वारा शिक्षा के निमित्त दिया गया दान पाली जिले की विश्वकर्मा मंदिर समितियों के लिए प्रेरणा दायक सिद्ध होगा।
जिला प्रचार मंत्री एवं मीडिया प्रभारी घेवरचन्द आर्य ने बताया कि इस अवसर पर शिक्षा समिति संरक्षक भंवरलाल गुगरीयांऔर अध्यक्ष भंवरलाल आसदेव ने निर्माणाधीन भवन की प्रगति और भावी योजनाओं के बारे में जानकारी देते हूंए बताया कि करोड़ों की लागत से बनने वाला छात्रावास और विशाल समाज भवन चार मंजिला बनेगा, जिसमें लिफ्ट एवं अतिथियों के ठहरने और भोजन आदि की समुचित व्यवस्था रहेगी । पाली में बनने वाला यह भवन पाली सम्भाग सहित सम्पूर्ण राजस्थान के जांगिड़ समाज भवनों और छात्रावासो में सर्वश्रेष्ठ होगा। यहां समाज के छात्र नाम मात्र के शुल्क पर निवास कर अध्ययन कर अपना भविष्य संवार सकेंगे । इससे जांगिड़ समाज पाली की पुरे राजस्थान में विशिष्ट पहचान बनेगी। उन्होंने उपस्थित जनों को छात्रावास एवं भवन की खुबीया बताकर शिक्षा के निमित्त अधिकाधिक सहयोग की अपील की ।
प्रचार मंत्री अमरचंद बुढल ने बताया कि इस अवसर पर अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी प्रवीण जांगिड़़, जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश जांगिड़, दुर्गाराम सायल, मूलचंद दायमा, चन्द्रप्रकाश सिधानियां, डायाराम सायल, ढगलाराम ओस्तवाल, पुनाराम सायल, ओमप्रकाश लिंकड, बाबुलाल डिगरना, इन्द्र प्रकाश किजा, ऋषिराज त्रिपाठी, विष्णु किंजा, शान्ति लाल आसदेव, मधुसुदन बुढल, भंवरलाल बैगड, सहित कई वरिष्ठ समाज बंधु मोजूद रहे।