दादा दादी नाना नानी की बालकों के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका-राणावत
दादा दादी नाना नानी की बालकों के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है अतः वे अपने कर्तव्यों का समुचित निर्वहन कर बालकों का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं।
सादड़ी। श्रीकृष्ण उपासक महेंद्र सिंह राणावत मामाजी धाम गुड़ा मांगलियान ने स्थानीय बारली सादड़ी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित दादा दादी नाना नानी सम्मेलन में यह विचार व्यक्त किए।
राणावत ने कहा कि दादा दादी नाना नानी समय निकाल कर पोत्र पोत्रियो को कहानियां सुनाकर धर्म संस्कृति के संस्कारों का सिंचन करें। रामायण महाभारत व अन्य धार्मिक ग्रंथों के दृष्टांत सुनाए और हमारे मानबिन्दुओं से अवगत कराएं।
- श्रीकृष्ण उपासक महेंद्र सिंह राणावत मामाजी धाम गुड़ा मांगलियान ने दादा दादी नाना नानी से बाल संगोपन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को कहा।
सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि शहरी संकुल प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी विजय सिंह माली ने दादा दादी नाना नानी को उनके कर्तव्यों का स्मरण कराया तथा उन्हें अपने पौत्र पौत्री नाती नातिन को रिश्तों नातों की समझ कराने, शिक्षा के साथ संस्कार, स्वावलंबन व समरसता का उदाहरण अपने आचरण द्वारा रखने की बात कही।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि सेवा निवृत्त बैंक अधिकारी चंपालाल ने परिवार प्रबोधन में दादा दादी नाना नानी के योगदान को रेखांकित करते हुए दादा दादी नाना नानी सम्मेलन की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। सम्मेलन की अध्यक्षता समाजसेवी लादूराम मेवाड़ा ने की।
सरस्वती व भारत माता पूजन से प्रारंभ हुए इस सम्मेलन में सर्वप्रथम संस्था प्रधान प्रध्युमन सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। रुपा राम व कालूराम ने स्मृति चिन्ह भेंट किया।
साक्षी दीदी व दिशा दीदी के निर्देशन में नन्ही बहनों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। पूरण मल प्रजापत ने दादा दादी नाना नानी की ओर से अनुभव कथन किया।इस अवसर पर शहरी संकुल प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी विजय सिंह माली ने उपस्थित दादा दादी नाना नानी को शत प्रतिशत मतदान करने की शपथ दिलाई।हरिओम कंवर ने आभार व्यक्त किया।मंच संचालन मांगी लाल लूणिया ने किया।इस अवसर पर शिशु मंदिर में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के दादा दादी नाना नानी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास व लालन-पालन में दादा दादी नाना नानी की महत्वपूर्ण भूमिका को मानते हुए विद्याभारती ने अपने विद्यालयो में दादा दादी नाना नानी सम्मेलन का नवाचार प्रारंभ किया है।