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लोकतंत्र के साथ सनातन धर्म को बचाना संभव है ?

प्रधानसेवक नरेन्द्र मोदी को जनमानस ने क्यों नकारा ? INDIA गठबंधन के पनपने के मुख्य कारण यह


सनातन धर्म को खत्म करने की सोच रखने और राम मंदिर का विरोध करने वालो ने लोकसभा चुनाव में बढ़त बना ली, ओबीसी वर्ग का आरक्षण काटकर मुसलमानों को देने वाली ममता बनर्जी भी जीत गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश किस दिशा में जा रहा है। रामभक्तो पर गोलियां चलवाने वाली पार्टी देश की तीसरी बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. जिस अयोध्या में हिन्दुओ ने अपने प्राणों की आहुति दी वही भाजपा के प्रत्याशी चुनाव हार गए.


4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए, जिस सनातन धर्म की अनुयायी पार्टी भाजपा ने 400 पार का नारा उछाला उसे 240 सीटें ही मिल पाई। यानी भाजपा को 272 वाला बहुमत भी नहीं मिला। असल में भाजपा को उम्मीद थी कि उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने, अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनवाने, पाकिस्तान, बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर आए हिंदुओं को भारत की नागरिकता देने, दुनिया में आर्थिक क्षेत्र में देश को तीसरी महाशक्ति बनाने, 81 करोड़ लोगों को प्रतिमाह पांच किलो राशन फ्री देने, नल से जल, शौचालय आदि बनाने के जो काम किए है, उसकी बदौलत देश के मतदाता चुनाव में एकतरफा वोट करेंगे, लेकिन भाजपा का यह आकलन गलत साबित हो गया। भाजपा ने इस बात का ख्याल ही नहीं रखा कि देश में किस किस विचार के मतदाता है।

इस चुनाव में तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके ने 39 में से 22 सीटें हासिल की है। यह वही डीएमके है, जिसके नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि देश से सनातन धर्म को खत्म कर देना चाहिए। सनातन की तुलना कोरोना, मलेरिया के वायरस से की गई थी। उत्तर प्रदेश में जिस समाजवादी पार्टी ने अयोध्या में राम मंदिर का विरोध किया उसने भी उत्तर प्रदेश में 80 में से 39 सीट जीत ली। ओबीसी वर्ग का आरक्षण काट कर मुसलमानों को देने वाली ममता बनर्जी ने भी पश्चिम बंगाल में 42 में से 29 सीटों पर जीत दर्ज की है। यानी देश में इस विचार के भी मतदाता है जो सनातन धर्म को समाप्त करना चाहते हैं। ओबीसी वर्ग का कोटा धर्म के आधार पर काटने पर भी मतदाताओं को ऐतराज नहीं है।

ऐसे मतदाता भी है जिन्हें अयोध्या में राम मंदिर बनने से खुशी नहीं है। जिस अयोध्या में मंदिर बना उस अयोध्या के संसदीय क्षेत्र फैजाबाद में भी भाजपा की हार हो गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश किस की दशा में जा रहा है। कोई माने या नहीं, लेकिन इस चुनाव में हिंदू मुस्लिम का मुद्दा छाया रहा। मुस्लिम मतदाताओं और क्षेत्रीय दलों का जो गठबंधन हुआ, उसी का परिणाम रहा कि चुनाव में भाजपा की हार हो गई। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस का सारा जोर नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बनने पर था। हालांकि कांग्रेस अपने इस मंसूबे में कामयाब नहीं हो सकी, लेकिन देश में जो माहौल बना उसका फायदा कांग्रेस को भी हुआ। कांग्रेस की सीटें भी 52 से बढ़कर 100 हो गई। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी केरल की मुस्लिम बाहुल्य सीट से चुनाव जीत गए।

राहुल गांधी यह दावा कर सकते हैं कि उन्हें हिंदू और मुसलमान दोनों पसंद करते हैं। सवाल उठता है कि क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था से भारत और सनातन धर्म को बचाया जा सकता है? जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और अयोध्या में राम मंदिर बनवाने के बाद भी यदि सनातन धर्म को समाप्त करने की सोच रखने वालों की जीत होती है तो 2029 में होने वाले आम चुनावों के परिणामों का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस बार जोड़ तोड़ कर नरेंद्र मोदी भले ही प्रधानमंत्री बन जाए, लेकिन पांच वर्ष देश में ऐसे मतदाताओं की संख्या और बढ़ जाएगी जो अयोध्या में राम मंदिर का बनना पसंद नहीं करते हैं। ऐसे मतदाताओं की संख्या बढ़ेगी जो जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को वापस लागू करने के पक्ष में है। चूंकि ऐसी विचारधारा वाले मतदाताओं के साथ कांग्रेस भी खड़ी है, इसलिए चुनाव परिणाम आसानी से प्रभावित हो जाएंगे।

कहा जा सकता है कि 2029 में सनातन धर्म को समाप्त करने की सोच रखने वाले ही देश में सरकार बनाएंगे। ऐसी सोच को तब और बल मिलता है, जब राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव जैसे नेता एकजुट हो जाते हैं। ऐसा नहीं कि देश के मतदाताओं के सामने हालातों को नहीं रखा गया हो। नरेंद्र मोदी ने बड़ी स्पष्टता के साथ हालातों को रखा। लेकिन फिर भी राजस्थान जैसे प्रदेश में जातीय समीकरणों के कारण भाजपा को 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। यह बात अलग है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने मतदान के समय राम मंदिर और अनुच्छेद 370 के फैसलों को ही महत्व दिया।

यह अच्छा हुआ कि नरेंद्र मोदी ने सहयोगी दलों के दम पर तीसरी बार सरकार बनाने का निर्णय ले लिया है। कहा जा सकता है कि मोदी प्रधानमंत्री रहते अगले पांच साल तक देश में अराजकता का माहौल नहीं होगा। जिस अग्निवीर योजना की प्रशंसा पूरी दुनिया में हो रही है उस अग्निवीर योजना को कांग्रेस ने कूड़ेदान में फेंकने की घोषणा कर रखी है। यदि अग्नि वीर को कूड़ेदान में फेंका जाएगा तो फिर भारतीय सेना में किस सोच वाले युवाओं की भर्ती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। चुनाव नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। कोई माने या नहीं, लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही दुनिया में भारत की स्थिति मजबूत हुई है।

SOURCE – SP MITTAL 

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