Karwa Chauth 2025: 09 या 10 अक्टूबर, कब है करवा चौथ? जानें सही तिथि, पूजा का शुभ मुहुर्त और चंद्रोदय का समय

सत्यनारायण सेन गुरला
Karwa Chauth 2025: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं करवा चौथ की सही तिथि, चंद्रोदय का समय सहित अन्य जानकारी है
09 या 10 अक्टूबर, कब है करवा चौथ? जानें सही तिथि, पूजा का शुभ मुहुर्त और चंद्रोदय का समय
Karwa Chauth 2025: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं करवा चौथ की सही तिथि, चंद्रोदय का समय सहित अन्य जानकारी
कब है करवा चौथ 2025: सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके अलावा कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस दिन माता करवा की पूजा करने के साथ चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ पूजा करने का विधान है। ये व्रत आमतौर पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा आदि जगहों पर धूमधाम से मनाया जाता है। आइए जानते हैं करवा चौथ की सही तिथि, मुहूर्त, चंद्रोदय का समय सहित अन्य जानकारी
कब है करवा चौथ 2025
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ- 09 अक्टूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट पर
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन- 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर
करवा चौथ पूजन का मुहूर्त- 05 बजकर 55 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 09 मिनट तक
करवा चौथ का समय- सुबह 6 बजकर 17 मिनट से रात 8 बजकर 10 मिनट तक
करवा चौथ 2025 तिथि- 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
करवा चौथ 2025 चंद्रोदय का करवा चौथ पर शुभ योग
इस साल करवा चौथ पर सिद्धि योग के साथ कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन चंद्रमा शुक्र की राशि वृषभ में रहेंगे। ऐसे में पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। सिद्धि योग सुबह से लेकर 05 बजकर 41 मिनट तक रहेंगे। है। इसके साथ ही शिववास योग का भी संयोग है, जिससे पूजा का आपको दोगुना फल मिल सकता है।
चन्द्रोदय समय
दृंक पंचांग के अनुसार, 10 अक्टूबर को शाम 8 बजकर 10 मिनट पर होगा।
करवा चौथ 2025 पूजा विधि* (Karwa Chauth 2025 Puja Vidhi)
करवा चौथ के दिन व्रती महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाना चाहिए। इसके बाद सरगी का सेवन करें, जो कि इस व्रत की शुरुआत मानी जाती है। सरगी के बाद देवी-देवताओं का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। करवा चौथ की मुख्य पूजा शाम के समय की जाती है। पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। साथ ही एक करवा का चित्र भी रखें। पूजा की शुरुआत भगवान शिव की आराधना से करें। उन्हें सफेद चंदन, फूल, माला और भोग अर्पित करें। इसके बाद माता पार्वती को सिंदूर, रोली, कुमकुम, चुनरी और सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। गणेश जी की विधिवत पूजा करें। फिर घी का दीपक जलाएं, धूप दें, और करवा चौथ की व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इसके बाद एक टोंटीदार करवा (मिट्टी या पीतल का) लें। उसमें गेहूं, चावल, मिठाई और एक सिक्का डालें। करवा को ढक्कन से बंद कर दें और ऊपर गेहूं या चावल रखें। करवा की टोंटी में कांस (धातु) की सींक लगा दें। अब इस करवे की पूरी श्रद्धा और विधि के साथ पूजा करें। पूजा पूर्ण होने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण करें।
करवा माता की आरती
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया.. ओम जय करवा मैया।सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी.. ओम जय करवा मैया।कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती.. ओम जय करवा मैया।होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे.. ओम जय करवा मैया।करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे..ओम जय करवा मैया।












