मनुष्य के श्रेष्ठ कर्म आजीवन स्मृति के स्रोत: संत मायाराम
अमां जोते माँ और बाबा लद्दा राम की 50 वीं पुण्यतिथि मनाई
- भीलवाड़ा, पेसवानी
मनुष्य के श्रेष्ठ कर्म आजीवन स्मृति के स्रोत होते हैं और इन्हीं के बूते उनके समाज जन अपना जीवन भी श्रेष्ठ बना सकते हैं। यह बात आज स्थानीय हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर के संत मयाराम ने नाथद्वारा सराय स्थित हेमराजमल झूलेलाल सनातन मंदिर में आयोजित स्वर्गीय अमाँ जोते माँ और स्वर्गीय बाबा लद्दाराम की 50 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित सत्संग-समागम में अपने प्रवचन में कही। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से अमाँ जोते माँ और बाबा लद्दा राम के पद चिन्हों पर चलकर और श्रेष्ठ कर्म कर अपना जीवन सार्थक करने को कहा।
इस दौरान गोविंद धाम के संत किशनदास, इच्छापूर्णी दुर्गा माता मंदिर की महंत पारी माता, संत राजाराम, भगत टेऊँराम, भगत मंगाराम, उद्धवदास भगत, पंडित लाल शर्मा, नवीन शर्मा, कमल शर्मा, चंदन शर्मा, बाबूलाल शर्मा, दशरथ मेहता सहित कई गणमान्यजनों ने स्वर्गीय आत्माओं के जीवन पर प्रकाश डाला व भजन सुनाए।
समाजसेवी मूलचंद बहरवानी ने बताया कि शुरू में विधानी परिवार ने गुलशन विधानी के नेतृत्व में संत समुदाय का माल्यार्पण कर स्वागत किया। बाद में सभी श्रद्धालुओं ने महाआरती कर पल्लव अरदास की व सभी ने भोग लगाया व प्रसादी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर रमेश सभनानी, वरिष्ठ समाजसेवी हेमनदास भोजवानी, ढालू मल सोनी, वीरूमल पुरसानी, प्रिया खट्टर, दीपू सभनानी, कोमल चावला, हरीश मानवानी, विनोद झुरानी, किशोर लखवानी, मनीष सबदानी, लखन मूलचंदानी, ओम गुलाबानी, राजेश माखीजा, जितेंद्र मोटवानी, जितेंद्र रंगलानी, नाका रामसिंघानी, चीजनदास फतनानी सहित बड़ी संख्या में सिंधी समाजजन मौजूद थे।
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