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लेखन से नवकार सहित अध्यात्म को दुनिया तक पहुंचाते 85 वर्षीय भगवानदास सुगंधी (दर्डा)

7 लाख से ज्यादा शब्द लिखे : शब्दों में एक भी गलती नहीं, लगातार 15 घंटे तक 'नवकार मंत्र' लिखने का रिकॉर्ड

  • दीपक जैन

जेठमल राठौड़
रिपोर्टर

जेठमल राठौड़, रिपोर्टर - मुंबई / बाली 

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पूना : कहते है कि कला और धर्म के लिए कोई उम्र नहीं होती। 85 साल के भगवानदास सुगंधी (दर्डा) ने पुना में लगातार 15 घंटे तक ‘नवकार मंत्र’ लिखने का रिकॉर्ड बनाया। इस दौरान सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इस उम्र में जब हाथ कांपने लगते है तब उन्होंने बिना रुके अपने हाथ से 7.6 लाख शब्द लिखने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर सभी को हतप्रभ कर दिया।

इस रिकॉर्ड की सबसे बड़ी विशेषता यह कि इतने शब्दों को उन्होंने लिखा जिसमें एक भी गलती नही थी,और बहुत ही सुंदर तरीके से इसकी प्रस्तुति दी गई थी।व्यापारी एकता दिवस के अवसर पर पुना मर्चेंट्स चैबर कार्यालय मे इसकी शुरुआत सुबह 7 बजे चैबर अध्यक्ष राजकुमार नहार और राजेंद्र बाठिया के हस्ताक्षर से हुई। कार्यक्रम में चैंबर के सचिव ईश्वर नहार, संयुक्त मचिव आशीष दुगड़, प्रवीण चोरबेले व कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थिति थे। लेखन के प्रति उनका जुनून ऐसा है कि वे 2017 से अब तक 7049 पेज लिख चुके हैं।जिन किताबों में उन्होंने लेखन किया इसके लिए उन्हेंअपने दोस्त दिवाकर हेजिब का सहयोग मिला।

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पिछले 110 वर्षों से अगरबत्ती का व्यवसाय करते दर्डा कहते हैं कि 2017 में ज्ञान पंचमी के दिन उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि उन्हें अक्षरों को कागज पर उतारने के लिए देव आज्ञा हुई ,और उस दिन से शुरू हुआ लिखने का नियम आज भी जारी हैं।इस उम्र में सुबह 10 से शाम 7.30 बजे तक व्यवसाय संभालते है, और समय मिला तो बीच बीच मे लिखते भी रहते हैं।शाम को 30 मिनट वे अनंत लब्धि निधान गुरु गौतम स्वामी का स्मरण करते हैं, तथा भोजन के बाद रात 9 बजे से 1बजे तक वे जैन धर्म के मंत्र सहित हिंदू धर्म के मंत्रों का लेखन करते है।गणपति बप्पा के नाम 200 बार लिखने का उनका नियम है।

वर्तमान में अवधि भाषा मे लिखे उत्तराध्यान ग्रंथ को वो सरल हिंदी भाषा मे लिख रहे है।अबतक वे इसके 14 अध्याय पूर्ण कर 15वां अध्याय शुरू हैं।आपने 48 गाथा के भक्तामर स्तोत्र को मात्र 48 लाइन में सुंदर ढंग से लिखा है।उन्हें वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एलीट बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से गोल्ड मेडल मिल चुका है। कोल्हापुर जगदगुरु शंकराचार्य ने उन्हें प्रमाण पत्र और द पूना मर्चेंट्स चैंबर द्वारा पहले से ही नामित ‘आदर्श विद्यार्थी उत्तम पुरस्कार’ से सम्मानित किया है।इसके अलावा अनेक सामाजिक,धार्मिक संगठनों ने उन्हें सम्मानित किया है।

अपने बिजनेस में उन्होंने कुल 108 उत्पाद खुद बनाए हैं। इसकी अपनी उत्पादन इकाई मुख्य रूप से धूप, अगरबत्ती, पूजा सामग्री बनाती है। वर्ष 1983 में उन्होंने एक सामाजिक ट्रस्ट की स्थापना की और ट्रस्ट के माध्यम से उन्होंने समाज के लिए कई गतिविधियाँ संचालित कीं और कर रहे हैं।उनके सभी कार्यों में पत्नी कमलाबाई, बेटियां सुमिता, शोभा और बाला तथा बेटे गिरीश और बहु शिल्पा पोते दर्शन का साथ मिलता हैं।

Khushal Luniya

Khushal Luniya is a young kid who has learned HTML, CSS in Computer Programming and is now learning JavaScript, Python. He is also a Graphic Designer. He is playing his role by being appointed as a Desk Editor in Luniya Times News Media Website.

2 Comments

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