पैसों की कमी नहीं, कर्ताओं की कमी हैं गोडवाड़ में,जाने मारवाड़ गोडवाड़ की परिभाषा
बिजनेस, व्यापार-व्यवसाय हो अथवा समाजउपयोगी सामाजिक कार्य योजनाओं को पूरा करने के लिए पैसों की कोई कमी नहीं हैं। बस कमी हैं तो उसे करने वाले सुलझे हुए दूरदृष्टिवान विज़नरी कार्यकर्ताओं की बहुत बड़ी कमी गोडवाड़ क्षेत्र में हैं।
गोडवाड़ समाज में व्यापार-व्यवसाय सहित सामाजिक कार्य क्षेत्र में नए आयाम देने वालों की बहुत बड़ी कमी हैं। व्यापार-व्यवसाय करने वालों की भी बहुत बड़ी कमी हैं, व्यापार-व्यवसाय योजनाओं पर पैसे निवेश करने वाले तो देश-दुनिया में अनेक निवेशक पलक-फावड़ा बिछाए खड़े हैं। अभी हाल ही में पिछले दिनों आपने देखा होगा चार कंपनीयों के आईपीओ में निवेशकों ने ढाई लाख करोड़ रुपये दिए जबकि उन चार कंपनियों को सिर्फ पांच हजार करोड़ रुपए की ही जरूरत थी।
अब आप ही बताए ऐसे दस नाम जो गोडवाड़ से निकलकर देश-दुनिया के नक़्शे पर छाए हुए हो? जिन्होंने भारतीय बाज़ार में झंडे खड़े किए हो? ऐसे मारवाड़ियों के नाम जो देश की इकॉनमी को नई दिशा दे रहे हो, हां वे मारवाड़ी जरुर हैं लेकिन गोडवाड़ी नहीं हैं वे सब मारवाड़ क्षेत्र के नहीं होते होते हुए भी अपने आप को बड़े मारवाड़ी कहते हैं जबकि वे सब हकीकत में तो शेखावटी हैं।
मारवाड़ और गोडवाड़ की परिभाषा
आबू रोड़ से लेकर अजमेर तक अरावली पर्वतमाला की गोद यानी गोड़ में बसे गांवों को गोडवाड़ कहा जाता हैं, इसकी सीमा पश्चिम में रेलवे लाइन के रूप में और पूर्व में अरावली की तलहटी को माना जा सकता हैं। अब पश्चिम में रेलवे लाइन के उस पार पाकिस्तान सीमा से लेकर पूर्व में अरावली पर्वतमाला की तलहटी के बीच बसे तमाम गांवों को मारवाड़ कहा जाता हैं जिसमें गोडवाड़ भी सम्मिलित हो जाता हैं। गोडवाड़ पूरे मारवाड़ क्षेत्र का सिर्फ़ पूर्वी हिस्सा हैं जो की अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसता हैं।
राजकीय स्तर पर आप मारवाड़ को पूर्व जोधपुर डिवीज़न के रूप में देख सकते हैं जिसमें जोधपुर संभाग के सात जिलों का समावेश था जिसमें से हाल ही में जोधपुर के दो संभाग बना दिए गए हैं। पाली को अब अलग संभाग का दर्जा दिया गया है।
इस तरह वर्तमान में जोधपुर और पाली दोनों संभाग को मारवाड़ कहा जा सकता हैं।
—भरतकुमार सोलंकी, वित्त विशेषज्ञ