सांवलिया सेठ मंदिर में करोड़ों की आवक, फिर भी अव्यवस्थाओं का अंबार
सांवरिया सेठ दर्शनार्थियों को नहीं मिल रहा प्रसाद, मंदिर परिसर में फैली गंदगी और अव्यवस्था से भक्तों में आक्रोश

- भीलवाड़ा
राजस्थान के प्रख्यात श्रद्धा स्थल श्री सांवलिया सेठ मंदिर, जहां हर माह करोड़ों रुपये का दान, नकद और स्वर्ण-चांदी के रूप में चढ़ावे के रूप में आता है, वहां व्यवस्थाओं का हाल बेहाल है। मंदिर ट्रस्ट की लापरवाही और अनदेखी के चलते भक्तों को बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है, जिससे श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी व्याप्त है।
पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने मंदिर में दर्शन के बाद मंदिर व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि, ष्सांवलिया सेठ मंदिर में धन की कोई कमी नहीं, लेकिन व्यवस्थाएं शून्य हैं।ष उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर और उसके चारों ओर की सड़कों पर जगह-जगह गंदगी और पॉलिथिन फैली हुई है। परिक्रमा मार्ग में बने शौचालयों से बदबू आती है और फर्श अत्यधिक गंदे हैं, जिससे दर्शनार्थियों को असुविधा होती है। जाजू ने बताया कि मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित चार प्रसाद विक्रय केंद्रों में से केवल एक या दो ही चालू रहते हैं, शेष हमेशा बंद रहते हैं। दर्शनार्थियों को घंटों कतार में लगने के बावजूद मठरी या लड्डू नहीं मिलते। उन्होंने यह भी बताया कि लड्डुओं का आकार पहले की तुलना में छोटा कर दिया गया है, जबकि भक्त मंदिर द्वारा तयशुदा दर पर प्रसाद खरीदना चाहते हैं।
मंदिर में आने वाले भक्तों के जूते रखने की कोई व्यवस्थित रैक व्यवस्था नहीं है। दर्शन के दौरान जूते-चप्पल इधर-उधर बिखरे रहते हैं, जिससे अव्यवस्था और अव्यवधान दोनों उत्पन्न होते हैं। जाजू ने बताया कि मंदिर परिसर में स्थित उद्यान में गाजर घास और खरपतवार उग आई है, जिससे साफ तौर पर यह प्रतीत होता है कि उद्यान की नियमित देखभाल नहीं हो रही है। बाबूलाल जाजू ने इस गंभीर स्थिति पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर आलोक रंजन, तथा देवस्थान विभाग के आयुक्त भवानी सिंह देथा को पत्र लिखकर मंदिर की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की मांग की है।
उन्होंने निम्न सुझाव दिए-सभी प्रसाद विक्रय केंद्र नियमित रूप से संचालित किए जाएं, परिक्रमा मार्ग में बने शौचालयों व फर्श की सफाई आधुनिक मशीनों से करवाई जाए, जूते-चप्पल रखने के लिए व्यवस्थित रैक बनवाए जाएं, मंदिर उद्यान का सौंदर्यीकरण कर नियमित रखरखाव सुनिश्चित किया जाए, तिरुपति मंदिर की तर्ज पर ट्रस्ट फंड से आधुनिक सड़क मार्ग व पार्किंग व्यवस्था विकसित की जाए, मैसूर के वृंदावन गार्डन की तर्ज पर फव्वारेयुक्त भव्य उद्यान बनवाए जाएं, दर्शनार्थियों के रुकने हेतु उत्तम सशुल्क आवासीय व्यवस्था विकसित की जाए
करोड़ों की आय, सुविधाओं में फिसड्डी क्यों?
श्री सांवलिया सेठ मंदिर ट्रस्ट को प्रत्येक माह दान के रूप में करोड़ों रुपये की राशि प्राप्त होती है, इसके बावजूद मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। शुद्ध प्रसाद, स्वच्छ परिसर, सुरक्षित जूता-चप्पल व्यवस्था, और सम्मानजनक रुकने की सुविधा दृ ये भक्तों का अधिकार है। इन सभी व्यवस्थागत कमियों से श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी है। स्थानीय नागरिकों और संगठनों ने भी मंदिर ट्रस्ट से सवाल उठाए हैं कि जब इतना अधिक फंड है, तो उसका सदुपयोग क्यों नहीं हो रहा?