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दिव्यांग सेवा समिति पाली से जुड़े बधिरों ने अन्तर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर जिला कलेक्टर को दिया ज्ञापन

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पाली – घेवरचंद आर्य।

दिव्यांग सेवा समिति पाली से जुड़े बधिर व्यक्तियों ने अन्तर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर एल एन मंत्री को ज्ञापन देकर बधिरों की सांकेतिक लेंग्वेज भाषा को भारत में मान्यता देने और प्रचार प्रसार करने की मांग की गई।

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दिव्यांग सेवा समिति मंत्री घेवरचन्द आर्य जो स्वयं बधिर है ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि बधिर व्यक्तियों के आपसी वार्तालाप की सांकेतिक भाषा के प्रचार-प्रसार और आम जन में जन जागरण की आवश्यकता है। क्यों कि जो व्यक्ति बंधिर है, उनको भी दुसरे की बात सुनने और समझने का अधिकार है, उनकी भी एक खास भाषा होती है, जिसको हम सांकेतिक भाषा यानि साईन लेंग्वेज कह सकते हैं। यह भाषा बधिर लोगों के शारीरिक मानसिक, सामाजिक समावेश और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है। जिससे बधिर व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार और आत्मविश्वास आता है।

ज्ञापन में लिखा गया कि सन् 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बंधिर व्यक्तियो के हित में एक संकल्प A/RES/72/16 को पारित कर 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस दिन की स्थापना करने का संकल्प यह स्वीकार करता है कि सांकेतिक भाषा और सांकेतिक भाषा में उपलब्ध गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सहित सेवाओं तक प्रारंभिक पहुंच हर बधिर व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है।

दिव्यांग सेवा समिति कोषाध्यक्ष विनोद कुमार जैन ने सांकेतिक भाषा में बताया कि भारत के बधिर समुदाय की मूल प्राकृतिक दृश्य-मैनुअल भाषा है और इसका उपयोग बधिर और श्रवण समुदाय दोनों द्वारा किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पहली बार सन् 2018 में बधिरों के अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह के रूप में मनाया गया था। तब से यह हर साल 23 से सितंबर से एक सप्ताह तक भारत सहित दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि भारत में इस भाषा के महत्व और बधिर लोगों के अधिकारों के बारे में आम जन में जागरूकता अनिवार्य है। जागरूकता के अभाव में आम जन बधिर व्यक्ति की भावना नहीं समझते इससे बधिर व्यक्ति के सुनने समझने के अधिकार का हनन होता है। साथ ही वह मानसिक रूप से प्रताड़ित दुःखी होता है। इसलिए भारत में इस भाषा के व्यापक प्रचार-प्रसार की महती आवश्यकता है। जिससे हर स्वस्थ व्यक्ति, बधिर व्यक्ति से आसानी से वार्तालाप कर सके।

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दिव्यांग सेवा समिति पाली द्वारा मांग की गई है की भारत में इस भाषा को सरकारी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनवाया जावे। जिससे आमजन बधिर व्यक्तियों से सहज ही वार्तालाप कर सके। इस अवसर पर समिति मंत्री घेवरचन्द आर्य, कोषाध्यक्ष विनोद कुमार जैन, शालिनी जैन, निरव शर्मा सहित कई बधिर जन मोजूद रहे।

ज्ञापन की प्रतियां मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग मंत्री अविनाश गहलोत और जिला कलेक्टर एल एन मंत्री को भी दी गई है।

न्यूज़ डेस्क

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