भीलवाड़ा सांसद ने लोकसभा में उठाई नांदसा स्तंभ को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग

भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल ने लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान नियम 377 के तहत एक ऐतिहासिक और लोकमहत्व के विषय को सदन में उठाया।
उन्होंने गंगापुर विधानसभा क्षेत्र के नांदसा गांव में स्थित 1800 वर्ष प्राचीन ‘यूप स्तंभ’ को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर संरक्षित स्मारक बनाए जाने की मांग सरकार के समक्ष रखी।
इतिहास से जुड़ा गौरवपूर्ण स्तंभ
सांसद प्रवक्ता विनोद झुरानी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह स्तंभ चैत्र पूर्णिमा को 1800 वर्ष पूर्ण कर चुका है। इसकी स्थापना मालवा नरेश राजा सोम ने की थी, जिन्होंने 61 रात्रियों तक चले एकसृष्टि यज्ञ के पश्चात इस ‘यूप’ स्तंभ की स्थापना की। चूंकि यहां दो स्तंभ हैं, इसे ‘यूप’ कहा जाता है। ग्रामीण इसे भीमरा और भीमरी के नाम से जानते हैं।
दूसरा स्तंभ क्षतिग्रस्त, हिस्सा उदयपुर संग्रहालय में सुरक्षित
इनमें से दूसरा स्तंभ, जिसे ग्रामीण ‘भीमरी’ कहते हैं, क्षतिग्रस्त अवस्था में है और उसका टूटा हुआ भाग उदयपुर संग्रहालय में संरक्षित किया गया है।
अद्वितीय ब्राह्मी लिपि में लिखा स्तंभ
यह मानव निर्मित स्तंभ ब्राह्मी लिपि में संस्कृत भाषा में अंकित है। पूरे उत्तर भारत में ऐसा कोई अन्य स्तंभ नहीं है जो इस प्रकार की जानकारी, शिल्प और ऐतिहासिक महत्त्व रखता हो। यह स्तंभ समकालीन राजनीतिक व्यवस्था, सामाजिक संरचना, धार्मिक-आध्यात्मिक जीवन की जानकारी देता है।
खोज और ऐतिहासिक दस्तावेजीकरण
- इस स्तंभ की खोज 1927 में प्रसिद्ध पुराविद रायबहादुर गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने की थी।
- वर्ष 1937 में इस पर लिखे शिलालेख को एक कपड़े पर छापकर पढ़ा गया।
- 1947 में एएसआई (ASI) द्वारा इसे अपनी रिपोर्ट ‘इम्पिग्राफिया’ में दस्तावेज किया गया।
- यह रिपोर्ट अब तक तीन बार प्रकाशित हो चुकी है, परन्तु यह स्तंभ राष्ट्रीय स्मारक सूची में शामिल नहीं हो सका।
अब खुल सकता है राष्ट्रीय स्मारक बनने का रास्ता
सांसद दामोदर अग्रवाल द्वारा इस मुद्दे को संसद में उठाए जाने के बाद, इस प्राचीन यूप स्तंभ को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिलाने की संभावना प्रबल हो गई है। वर्तमान में यह स्तंभ नांदसा गांव के तालाब के अंतिम छोर पर स्थित है।
स्थानीय प्रयास: जलधारा विकास संस्थान का आग्रह
जलधारा विकास संस्थान ने वर्ष 2025 में आयोजित भीलवाड़ा पुराप्राचीन वैभव महोत्सव के दौरान इस ऐतिहासिक स्थान को संरक्षित घोषित करने की अपील सांसद से की थी।
सांसद का वक्तव्य: “संस्कृति की पहचान हमारी प्राथमिकता”
सांसद दामोदर अग्रवाल ने सदन में कहा:
“प्राचीन काल के स्तंभ और भवन हमारी संस्कृति की पहचान हैं, हमारी धरोहर हैं। इनका संरक्षण करना हमारी प्राथमिकता है। यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास और गौरव की प्रेरणा बनेंगे।“