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महाकुंभ में संगम तट पर Apple की उत्तराधिकारी लॉरेन पॉवेल जॉब्स करेंगी कल्पवास

विक्रम बी राठौड़
रिपोर्टर

विक्रम बी राठौड़, रिपोर्टर - बाली / मुंबई 

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प्रयागराज।  प्रयागराज के महाकुंभ मेले में इस बार संगम तट पर एक विशेष आकर्षण होने जा रहा है। दुनिया की सबसे धनी महिलाओं में शुमार और Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स की उत्तराधिकारी लॉरेन पॉवेल जॉब्स पहली बार इस पवित्र आयोजन में हिस्सा लेने के लिए पहुंच रही हैं। वह पौष पूर्णिमा (13 जनवरी) के शुभ अवसर पर संगम में प्रथम डुबकी लगाकर अपने आध्यात्मिक सफर की शुरुआत करेंगी।

सनातन धर्म से जुड़ने की इच्छा

लॉरेन पॉवेल जॉब्स, जो न केवल अपनी संपत्ति बल्कि परोपकार और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सक्रियता के लिए जानी जाती हैं, इस बार भारत की प्राचीन परंपराओं और सनातन धर्म को समझने के उद्देश्य से प्रयागराज आई हैं। संगम तट पर उनका 29 जनवरी तक कल्पवास का कार्यक्रम तय किया गया है।

विशेष शिविर में ठहराव

महाकुंभ में उनके ठहरने की विशेष व्यवस्था निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में की गई है। इस शिविर में रहकर वह सनातन धर्म की विधियों का पालन करेंगी और हिंदू धर्म की प्राचीन परंपराओं को करीब से समझेंगी।

लॉरेन पॉवेल का आध्यात्मिक सफर

लॉरेन पॉवेल ने विश्व स्तर पर भौतिकता और आधुनिकता से परे जाकर आत्मिक शांति और धर्म को अपनाने की इच्छा जताई है। प्रयागराज के महाकुंभ मेले में उनकी भागीदारी यह दर्शाती है कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं वैश्विक स्तर पर कितनी प्रभावशाली हैं। संगम में डुबकी लगाकर वह पवित्रता और आध्यात्मिकता का अनुभव करेंगी।


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आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संगम

महाकुंभ मेला, जो अपने आप में विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, इस बार लॉरेन पॉवेल जैसे व्यक्तित्व की उपस्थिति से और भी खास हो गया है। उनके इस कदम को आधुनिक और प्राचीन परंपराओं के बीच एक पुल के रूप में देखा जा रहा है।

महाकुंभ में विश्वभर से जुटते श्रद्धालु

प्रयागराज का महाकुंभ न केवल भारत बल्कि विदेशों के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। लॉरेन पॉवेल जॉब्स जैसे दिग्गज का इस आयोजन में शामिल होना, भारतीय धर्म और संस्कृति की ओर बढ़ते वैश्विक झुकाव का प्रतीक है।

ध्यान और धर्म का गहराई से अध्ययन

लॉरेन पॉवेल के शिविर में ध्यान, योग और धर्मग्रंथों का अध्ययन करने की योजना है। उनके इस आध्यात्मिक सफर को उनके जीवन के नए अध्याय के रूप में देखा जा रहा है। महाकुंभ के इस ऐतिहासिक आयोजन में उनकी उपस्थिति न केवल भारतीय परंपराओं के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह दुनिया को सनातन धर्म के शाश्वत मूल्यों से अवगत कराने का एक माध्यम भी बनेगा।

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