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शिक्षा मंत्री द्वारा डॉ. दिनेश बालाच को ‘आयुष तेजस अवार्ड 2025’ से सम्मानित किया गया

संवाददाता – राकेश कुमार लखारा | 

बाड़मेर: चिकित्सा जब संस्कृति से जुड़ती है, तो उसका उद्देश्य केवल रोग का इलाज नहीं, बल्कि एक संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली का निर्माण बन जाता है। इसी उद्देश्य को साकार करते हुए 4 से 6 अप्रैल 2025 के बीच आगरा, उत्तर प्रदेश में इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन भव्य रूप से किया गया। इस आयोजन का संयोजन एसेल ग्रुप एवं सिविक सर्विसेज के संयुक्त तत्वावधान में किया गया, जिसमें देश-विदेश से 150 से अधिक आयुष चिकित्सकों ने भाग लिया।

इस अंतरराष्ट्रीय मंच का मुख्य उद्देश्य भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली – आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी (आयुष) – को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना और इसके प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित करना रहा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।

मंच पर अन्य विशिष्ट अतिथियों में शामिल रहे:

  • विशाल श्रीवास्तव, डायरेक्टर एवं बिजनेस हेड, EZ-Care (Essel Group)
  • प्रो. धर्मवीर सिंह, कुलपति, हरिद्वार यूनिवर्सिटी
  • डॉ. एम.एम. कुरैशी, सिविक सर्विसेज
  • डॉ. संदीप चावला, आयुष विशेषज्ञ
  • सुनील चोपड़ा, प्रख्यात प्रेरक वक्ता (Your Win)

साथ ही TaxZeal और Smart Vision संस्थानों का भी आयोजन में अहम योगदान रहा।

कार्यक्रम के दौरान डायबिटीज और अन्य जटिल बीमारियों के सरल एवं प्राकृतिक उपचारों पर विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिए गए। इन सत्रों में आयुष चिकित्सा की उपयोगिता, रोग निवारण की क्षमता और जीवनशैली सुधार पर विस्तृत चर्चाएं हुईं।

इस सम्मानजनक मंच पर राजस्थान के बाड़मेर जिले से आयुष चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. दिनेश बालाच को उनकी मानवतावादी सोच, समर्पित सेवा भाव और चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए “आयुष तेजस अवार्ड 2025” से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय के कर-कमलों द्वारा प्रदान किया गया।

डॉ. दिनेश बालाच ने वर्षों से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आयुष चिकित्सा को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया है। उन्होंने जटिल रोगों का सहज उपचार करते हुए समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। इस सम्मान के मिलने से न केवल बाड़मेर बल्कि समूचे राजस्थान को गौरव की अनुभूति हुई है।

इस अवसर पर डॉ. बालाच ने कहा, “यह पुरस्कार मेरे लिए नहीं, बल्कि उन सभी मरीजों के विश्वास और आयुष पद्धति की शक्ति का सम्मान है। मैं प्रयासरत रहूँगा कि आयुष चिकित्सा को और अधिक प्रभावी तरीके से समाज की सेवा में लगा सकूं।”

इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025 के इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ आज भी आधुनिक स्वास्थ्य समस्याओं का प्रभावी समाधान प्रस्तुत कर सकती हैं – बशर्ते उन्हें उचित मंच, मार्गदर्शन और समर्थन मिले। डॉ. दिनेश बालाच जैसे समर्पित चिकित्सकों के प्रयास निश्चित ही आयुष चिकित्सा के उज्जवल भविष्य की नींव हैं।

न्यूज़ डेस्क

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