सादड़ी: महिलाओं ने धूमधाम से किया दशा माता व्रत और पूजन, पीपल पूजन कर मांगी परिवार की खुशहाली

सादड़ी। नगर सहित आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने परंपरागत रीति-रिवाज के अनुसार श्रद्धा और भक्ति के साथ दशा माता व्रत और पूजन संपन्न किया। महिलाओं ने सुख-समृद्धि, सौभाग्य, और परिवार की मंगल कामना के साथ पीपल वृक्ष की पूजा-अर्चना कर दशा माता का आशीर्वाद प्राप्त किया।
पौराणिक मान्यता और व्रत का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दशा माता मां पार्वती का ही एक दिव्य स्वरूप मानी जाती हैं। यह व्रत मुख्य रूप से घर-परिवार में बिगड़े ग्रहों की दशा और प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि दशा माता का पूजन करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि, सौभाग्य और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
सुबह शुभ मुहूर्त में किया पीपल पूजन
इस अवसर पर सभी सनातन धर्म की महिलाओं ने प्रातःकाल स्नान कर नए वस्त्र और आभूषण धारण किए। महिलाओं ने समूह में अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित पीपल के पूजन स्थल पर पहुंचकर विधिवत रूप से पूजन किया। पूजन के दौरान पीपल वृक्ष तथा पंथवारी देवी का आह्वान कर पूजा-अर्चना की गई और परिवार की खुशहाली व सुख-समृद्धि की कामना की गई।
पूजन विधि और कथा वाचन का हुआ आयोजन
पूजन के पश्चात महिलाओं ने निश्चित कथा स्थल पर एकत्र होकर दशा माता व्रत कथा का वाचन और श्रवण किया। कथा के माध्यम से दशा माता व्रत के महत्व और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताओं को साझा किया गया। इसके बाद सभी महिलाओं ने पूजा का विशेष धागा ‘डोरा’ गले में धारण किया, जिसे पहनने से ग्रह दोषों का निवारण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
घर में किया दशा माता का पूजन और व्रत उद्यापन
कथा वाचन के उपरांत सभी महिलाओं ने अपने-अपने घरों में भी विधिवत दशा माता का पूजन कर व्रत का उद्यापन किया। महिलाओं ने माता से अपने परिवार की सुख-शांति, संतानों की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करते हुए मंगल गीत गाए और आरती उतारी। इस दौरान पूरे वातावरण में भक्ति और श्रद्धा का माहौल छाया रहा।
धार्मिक आस्था और संस्कृति का परिचायक रहा आयोजन
दशा माता व्रत और पूजन का यह आयोजन क्षेत्र में आस्था और संस्कृति का प्रतीक बना। महिलाओं का यह सामूहिक आयोजन भारतीय परंपरा, लोक आस्था और सनातन धर्म के मूल्यों को जीवंत करता नजर आया। महिलाओं ने एकजुट होकर धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए अपने परिवार और समाज की खुशहाली के लिए यह व्रत संपन्न किया। समापन में महिलाओं ने एक-दूसरे को व्रत की शुभकामनाएं दीं और परिवार में सुख-शांति बनी रहे, ऐसी कामना के साथ व्रत का समापन किया।