नोहर
अखिल भारतीय साहित्य परिषद, द्वारा भारत माता आश्रम में श्री गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष में ‘भारतीय संस्कृति एवं गुरु परंपरा ‘ विषय पर विचार – गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारत माता आश्रम के महंत रामनाथ अवधूत ने गुरु परंपरा का महत्व बदलते हुए कहा कि गुरु आत्मा का परमात्मा से मिलान करवाते हैं। मंत्र दीक्षा ,ज्ञान के माध्यम से शिष्य का सर्वांगीण विकास करते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य शेखर मिश्रा ने समाज, शिक्षा, संस्कृति एवं शिक्षक तथा बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि बालक का प्रथम गुरु मां होती है। आज शिक्षक पद आजीविका के रूप में, एक व्यवसाय के रूप में अपनाया जाता है। संस्कृति को मिटाने के लिए जो वैचारिक आक्रमण हो रहे हैं, शिक्षकों का दायित्व है कि हम बच्चों को संस्कारों से जोड़ें। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता हरीश चन्द्र शर्मा ने गुरु शिष्य परंपरा का वर्णन करते हुए स्वामी दयानंद सरस्वती स्वामी विवेकानंद व अनेक महापुरुषों के उदाहरण देते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नर्मदा देवी बिहाणी राजकीय महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ.बलदेव महर्षि ने कहा कि गुरु की भूमिका एक निर्देशक की थी,एक नियामक की नहीं थी। आज भी इस बात की आवश्यकता है कि हम निर्देशक की भूमिका में रहे।
प्रधानाचार्य महेंद्र मिश्रा ने गुरु शिष्य परंपरा के इस प्रकार के श्रेष्ठ आयोजन में विद्यार्थियों की सहभागिता पर विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए हिंदी व राजस्थानी के साहित्यकार डॉ. शिवराज भारतीय ने विद्यार्थियों में संस्कार निर्माण हेतु प्रार्थना सभा का वातावरण प्रभावी बनाने तथा प्रार्थना सभा में प्रत्येक माह में सम्बधित महापुरुष की जीवनी बच्चों के समक्ष रखने का आग्रह किया।
परिषद के मंत्री डॉ. भवानीशंकर व्यास ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए साहित्यिक कार्यक्रमोंकी निरंतरता रखने की बात कही। कार्यक्रम में वैद्य सतपाल शर्मा, रामेश्वर लाल जोशी, कुलदीप शर्मा, नानूराम लोकेश कंडवानी, राघव हिसारिया सहित अनेक साहित्य प्रेमी नागरिकों ने सहभागिता की।।
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